शर्मसार होती रही इंसानियत मगर नहीं टूटी कौशाम्बी पुलिस की नींद

जीतेन्द्र कुमार.

कौशाम्बी। कहते है कि लाश किसी की भी हो वह सम्मान की अधिकारी होती है. जब लाश लावारिस हो तो क्या करेगे. जब लाश सड़क पर पड़ी हो और रात भर वाहन उसको जानवरों की लाश की तरह रौंदते हुवे चले जाये तो उसको क्या कहेगे. बिलकुल आप सही सोच रहे है कि ऐसा कैसे होगा रात को हर सडको पर पुलिस गश्त रहती है. मगर साहेब ऐसा हुआ है. एक लावारिस इंसान की लाश को रात भर वाहनों के चक्कों के नीचे आकर अपने चिथड़े उडवाने पड़े, जानकारी तो पुलिस को सुबह हुई क्योकि रात को अगर सही प्रकार से गश्त होती तब तो जानकारी पुलिस को होती.

घटना थाना पुरामुफ्ती के अंतर्गत इलाहाबाद – कानपुर हाईवे पर तेरामील के पास की है जहा रात भर अज्ञात युवक का शव जी.टी. रोड पर पड़ा रहा। आने जाने वाली गाड़ियाँ इंसान के शव को कुत्तों की भांति रात भर रौंदती रही। युवक के शरीर का एक-एक अंग रौंदने के कारण खराब हो गया। अगर शव की स्थिति सही होती तो शायद शिनाख्त हो सकती थी मगर रात भर में आने जाने वाले वाहनों ने शव के चिथड़े सडको पर फैला दिये थे. जी हम इंसानी शव की बात कर रहे है किसी जानवर के मरे हुवे शव की बात नहीं कर रहे है. मृत युवक की खबर सुबह पुलिस को मिली जब जाकर पुरामुफ्ती पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पंचनामा कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

युवक की शिनाख्त नही हो पाई है।उसकी उम्र तरीबन 35 साल थी। अब आप खुद सोच ले कि गश्ती पुलिस रात भर क्या कर रही होगी. कहा रहे होंगे ये ज़िम्मेदार पुलिस कर्मी, शायद नर्म बिस्तर पर सो रहे होंगे अथवा देख कर भी अनदेखा कर दिया होगा कि इतनी रात को कहा ये तकलीफ उठाया जाये कि पंचनामा करवाया जाये और लाश को पोस्टमार्टम के लिये भेजे. क्या फर्क पड़ता है इन पुलिस वालो को लाश तो अज्ञात थी न, वह उठ कर कह तो सकती नहीं थी, उसकी आवाज़ किसी अधिकारी के कान तक तो पहुच नहीं सकती है, फिर क्यों सुनसान अँधेरी और ठंडी रात में परेशान हुआ जाये, सुबह सुचना पर दिखा दिया जायेगा अज्ञात युवक की किसी अज्ञात वाहन के चपेट में आने से मौत. एक कोरम पूरा कर लिया जायेगा शिनाख्त का और फिर लावारिस का कौन वारिस होता है साहेब. वैसे भी लाश के चीथड़े सडको पर पड़े है.

मगर साहेब शायद लोग भूल जाते है कि गरीब और निर्बल की आवास उसके मरने के बाद भी गूंजती है कभी कभी. इस लावारिस युवक का भी कोई न कोई तो ज़रूर होगा जो शायद हमारी आपकी तरह इंतज़ार कर रहा होगा उसका, मगर वह शायद इंतज़ार कभी नहीं खत्म होगा और वह आँखे दरवाज़े को ताकती ही रह जायेगी. साहेब अगर समय से युवक की लाश को गश्त पर निकली पुलिस देख लेती तो शायद आसानी होती उसकी शिनाख्त में.

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