जलधाराएं’ खोजने में हर दिन खर्च हो रहे 12 लाख

कनिष्क गुप्ता.

इलाहाबाद : काैशांबी और इलाहाबाद जिले में सरस्वती समेत अन्य जलधाराओं की खोज की पहल दूरगामी परिणाम देगी, ऐसी आस भू वैज्ञानिक लगा रहे हैं। वैज्ञानिकों की यह पहल काफी मेहनत के साथ खर्चीला भी है। केंद्रीय भूजल बोर्ड की देखरेख में चल रहे इस अभियान में प्रतिदिन का शोध खर्च 10 से 12 लाख रुपये है। 28 दिनों के प्रोजेक्ट में केंद्र सरकार सवा चार करोड़ रुपये इस मिशन में खर्च करेगी। सबसे ज्यादा ईंधन का खर्च माना जा रहा है।

बीते एक फरवरी से कौशांबी जिले के फनगांव और सरायअकिल के मध्य भूजल शोध, राष्ट्रीय भू भौतिकीय अनुसंधान संस्थान हैदराबाद की टीम द्वारा किया जा रहा है। इसमें स्थानीय टीम के साथ डेनमार्क देश के तीन लैब टेक्निीशियन समेत कुल दस विशेषज्ञ शामिल हैं। अभियान का नेतृत्व हैदराबाद टीम के भू वैज्ञानिक सुभाष चंद्रा कर रहे हैं। स्थानीय टीम में उनके साथ केंद्रीय भूजल बोर्ड के विभागाध्यक्ष डॉ. एमएन खान सहयोग कर रहे हैं। टीम के सदस्यों ने चल रहे अभियान में गोपनीयता लगातार बनाए रखी है। हालांकि उक्त अभियान में पीएमओ भी लगातार जानकारी मांग रहा है। टीम के सदस्यों के अनुसार जलधारा तलाशने के इस अभियान में आने वाला खर्च भूजल स्कैनिंग के लिए डाटा कलेक्शन का है। इसमें स्काई टेम मशीन का खर्च सबसे अधिक है।

जलधाराओं की खोज में आठ घंटे की मशक्कत
-सरस्वती समेत अन्य जलधाराओं की खोज का मामला
इलाहाबाद :फनगांव में जलधाराओं की खोज और जांच पड़ताल के लिए भू वैज्ञानिकों की लगी टीम ने सोमवार को आठ घंटे की कड़ी मशक्कत की। इस दौरान टीम ने दो चरणों में 190 लाइन किलोमीटर का सर्वे किया है।
पहला चरण प्रात: दस बजे से शुरु किया गया, जबकि दूसरा दोपहर पौने दो बजे शुरू हुआ। स्काईटेम मशीन से एकत्र किया गया डाटा वैज्ञानिकों द्वारा सेव किया गया। इलाहाबाद और कौशांबी जिलों के बारह सौ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के सर्वे में टीम द्वारा अब तक साढ़े छह सौ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का सर्वे किया जा चुका है। हेलीकॉप्टर की मदद से ट्राजियेंट इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिस्टम से किए गए इस सर्वे में वैज्ञानिकों ने तीन घंटों में कंप्यूटर डाटा तलाश कर उसे सुरक्षित किया है। भूजल शोध को देखने के लिए दर्जनों ग्रामों के लोग कौतूहल के साथ हेलीकाप्टर देखने एकत्र हो रहे हैं। फनगांव में भी लोग इसे देखने आते हैं।

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