सुरहा ताल हजारों वर्ष से इस क्षेत्र के लिए वरदान साबित हो रहा है – डा0 गणेश पाठक
बलिया.“आर्द्र भूमि विकास एवं सम्पोषित विकास” पर बापू भवन बलिया में चल रहे दो दिवसीय संगोष्ठी एवं कार्यशाला के पहले दिन एक तरफ जहां विभिन्न विद्वानों द्वारा अपने शोध अध्ययनों के माध्यम से सुरहाताल आर्द्र भूमि विकास एव इस क्षेत्र के पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी विकास हेतु अपने-अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए गये , वहीं आज दूसरे दिन कार्यशाला कार्यक्रम का आयोजन सुरहाताल के किनारे स्थित मौनीनाथ मंदिर( मैरीटार) प्रांगण में रखा गया ताकि स्थानीय जनता को भी इसमें सहभागिता सुनिश्चित कर इस क्षेत्र एवं सुरहा ताल की समस्याओं को जाना जा सके। इसमें सुरहा ताल में नौका भ्रमण का भी कार्यक्रम रखा गया।
कार्यशाला में बोलते हुए स्थानीय नागरिक नदेसर ने कहाकि सुरहा ताल सेही हम लोगों की आजीविका चलती है , किन्तु इसमें पानी कम हो जाने से मछलियों पर संकट आ गया है। अभिनव पाठक ने कहा कि सुरहा ताल इस क्षेत्र के लोगों की पहचान है ।उनकी सभ्यता , संस्कृति एवं अस्मिता की पहचान है ।अंत: इसे हमें बचाना होगा , किन्तु इसके लिए सबसे पहले यहां के निवासियों को आगे आना होगा। जन-जागरूकता एवं जन सहभागिता निभानी होगी। डा० विभाग मालवीय ने कहा कि सुरहा ताल से ही न केवल इस क्षेत्र के लोगों की , बल्कि बलिया की पहचान है।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए डा० मालविका विश्वाश राय ने कहा कि इस सुरहा ताल में इतनी पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी समृध्ता है कि यदि इसे बढ़ाकर रखा जाय तो कोई समस्या नहीं आयेगी। इस सुरहा ताल से ही यहां के निवासियों की पहचान जुड़ी हुई है। वर्ल्ड विजन, बलिया के प्रबन्धक बलवंत जी ने कहा कि मैंने इस क्षेत्र पर बहुत काम किया हूं और सदैव इस क्षेत्र के विकास के लिए तत्पर रहूंगा। पवन पाण्डेय ने कहा कि सुरहा ताल हम लोगों का भरण पोषण करता है और हम लोगों की आजीविका का साधन है।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए अमरनाथ मिश्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय दूबे छपरा के प्राचार्य एवं पर्यावरणविद् डा० गणेश कुमार पाठक ने कहा कि बलिया में इतनी अधिक छोटी – बड़ी आर्द्र भूमियां हैं कि अन्यत्र कम ही मिलती हैं । यह सुरहा ताल हजारों वर्षों से इस क्षेत्र के लिए वरदान साबित हो रहा है । इस ताल में इतने प्राकृतिक संसाधन हैं कि यदि उसका नियोजित तरीके से नियंत्रित उपयोग किया जाय तो निश्चित ही इस क्षेत्र का संपोषित विकास होगा, जिससे इस क्षेत्र के लोग सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक विकास होगा। यदि यहां के उत्पाद जो सिर्फ सुरहा ताल में मिलते हैं, जैसे विशेष प्रकार के चावल की प्रजाति , कमल, सिंघाड़ा, मखाना, मछली आदि की खेती व्यवसायिक रूप से की जाय तै यह क्षेत्र एक आर्थिक क्षेत्र के रुप में उभरेगा। साथ ही साथ सुरहा ताल क्षेत्र को यदि पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित कर दिया जाय तो इस क्षेत्र की बेरोजगारी दूर हो जायेगी।
कार्यशाला के संयोजक अभिषेक कुमार ने कल और आज के हुए कार्यक्रमों को विस्तृत रूप से प्रकाश डालते हुए अपने द्वारा सुरहा ताल पर किए ग्रे शोध कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि मैं हमेशा सुरसा ताल क्षेत्र के विकास के लिए तत्पर रहूंगा। अंत में आयोजक सचिव डा० प्रमोद शंकर पाण्डेय ने सभी आगंतुकों के प्रति आभार प्रकट किया।