रैगिंग के आरोपी आइआइटी कानपुर के छात्रों को दंडित करने का आदेश किया हाईकोर्ट ने रद
कनिष्क गुप्ता.
इलाहाबाद। रैगिंग के आरोप में दंडित आइआइटी कानपुर के 16 छात्रों को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने छात्रों को दंडित करने का आदेश रद कर दिया है। इंस्टीट्यूट के सीनेट ने बिना दोष सिद्ध किए कुछ छात्रों को छह साल और कुछ को एक साल के लिए निलंबित कर दिया था। साथ ही निलंबन तक कालेज परिसर में रहने पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट ने सीनेट को नए सिरे से कानून का पालन करते हुए जांच करने व संस्तुति भेजने की छूट दी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र ने अभिनव कुमार व अन्य छात्रों की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता जीके सिंह तथा भारत सरकार के अधिवक्ता सभाजीत सिंह ने बहस की। कोर्ट ने कहा कि याची छात्रों को परीक्षा देने और संस्थान परिसर में निवास करने का अधिकार है। लेकिन, प्रतिबंध रहेगा कि वे नए छात्रों से न तो मिलेंगे और न ही उनसे बात करेंगे।
मालूम हो कि आइआइटी कानपुर के 22 छात्रों पर 19 और 20 अगस्त, 2017 को नवागंतुक छात्रों से रैगिंग का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की गई थी। सीनेट स्टूडेंट अफेयर कमेटी को तथ्यों का पता लगाकर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया गया।
कमेटी के अध्यक्ष ने रिपोर्ट पेश की जिसमें छात्रों को निलंबित करने और आवासीय भवन में ठहरने पर प्रतिबंध लगाने की संस्तुति की। नौ अक्टूबर, 2017 के प्रस्ताव को रैगिंग विरोधी कमेटी के पास भेजा गया जिसका अनुमोदन होने पर 16 छात्रों को दंडित किया गया। सभी कार्रवाई नए छात्रों की शिकायत पर की गई। उनके बयान दर्ज किए गए लेकिन, इस बयान पर नियमित जांच प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। नए छात्रों के बयान पर ही रैगिंग के आरोपी छात्रों को दंडित कर दिया गया। इस मामले के अंतरिम आदेश में न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल ने आरोपी छात्रों का भविष्य बचाने के लिए उन्हें दूसरे स्थान पर परीक्षा में बैठाने की व्यवस्था करने का आदेश दिया था, जिसे संस्थान ने नहीं माना। अब कोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए छात्रों को सुनाई गई सजा को नैसर्गिक न्याय के विपरीत करार देते हुए रद कर दिया है।