कांग्रेस के मनीष मिश्रा देगे अन्य दलों को फूलपुर में चुनौती

कनिष्क गुप्ता,

इलाहाबााद। लोकसभा उप चुनाव में उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ माहौल बनाने में लगे विपक्षी दल बिखर गए हैं। अब नामांकन के दो दिन बचे रहने के बाद भी कांग्रेस को छोड़कर किसी दल ने अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है।
इलाहाबाद से लोकसभा का चुनाव लड़ चुके स्वर्गीय जेएन मिश्र के बेटे मनीष मिश्रा को कांग्रेस ने इलाहाबाद के फूलपुर से प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने कल गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव के लिए रात में अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी। प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर ने ट्वीट कर उम्मीदवारों के नामों का ऐलान करते हुए बताया कि फूलपुर से मनीष मिश्रा अकांग्रेस के उम्मीदवार होंगे। युवा नेता मनीष मिश्रा को फूलपुर लोकसभा सीट पर मजबूत दावेदार थे।

प्रदेश में होने वाले उपचुनाव कांग्रेस के साथ ही केंद्र और प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के लिए अहम हैं। कांग्रेस ने फूलपुर लोकसभा में मनीष मिश्रा को अपना प्रत्याशी बनाया है। मनीष मिश्रा कांग्रेस के टिकट पर फूलपुर विधानसभा से चुनाव लड़ चुके हैं। इन्हें हार का सामना करना पड़ा। मनीष मिश्रा पूर्व कांग्रेस नेता और नेहरू ग्राम भारती डीम्ड विश्वविद्यालय के संस्थापक स्वर्गीय जेएन मिश्रा के पुत्र हैं। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के फूलपुर से इस्तीफे के बाद सीट खाली हो गयी थी। फूलपुर में वर्ष 2014 में भाजपा के केशव प्रसाद मौर्य ने पहली बार जीत दर्ज की थी।

मनीष मिश्रा वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री हैं बता दें कि मनीष मिश्रा वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री हैं। उनके पिता जेएन मिश्रा आईएएस ऑफिसर थे, उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निजी सचिव की जिम्मेदारी निभाई थी। कांग्रेस से इनका पुराना नाता है और उसी का परिणाम है कि उपचुनाव में मनीष मिश्रा को देश की सबसे हॉट सीट फूलपुर का कांग्रेस प्रत्याशी बनाया गया है। फूलपुर तहसील के जमुनीपुर कोटवा गांव निवासी आइएएस जेएन मिश्र भी दो बार फूलपुर लोकसभा का दो बार चुनाव भी लड़ चुके हैं। मनीष मिश्र ने इससे पहले 2007 में झूंसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था।

लोकसभा उपचुनाव के लिए अब तक भारतीय जनता पार्टी सहित समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है। दो लोकसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए ही महत्वपूर्ण हैं। राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद राजस्थान में हुए उपचुनाव में पार्टी की जीत से कार्यकर्ताओं का हौसला बुलंद हैं। पार्टी कार्यकर्ता राजस्थान जैसा करिश्मा प्रदेश में दोहराने का दावा कर रहे हैं। यूपी बोर्ड की परीक्षाओं के बीच पीएम नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ सरकार का भी 11 मार्च को इम्तिहान है। इन दो सीटों के उपचुनाव को लेकर सभी सियासी दलों में तैयारियां शुरु हो गई हैं। सपा, बसपा भी यहां जुगत लगाए हुए हैं। सभी दलों की नजर टिकी है एक दूसरे के प्रत्याशियों पर यह दोनों प्रत्याशी कांग्रेस की उम्मीदों पर कितना खरा साबित होंगे यह तो वक्त बताएगा, लेकिन कांग्रेस पर नजर टिकाए सभी दलों के लिए अब चुनौती बिल्कुल सामने है। जिससे अब सत्ताधारी भाजपा और सपा को पार पाना होगा।

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