एक परिचर्चा – भइया, फूलपुर उपचुनाव 2019 का ट्रेलर है

आम व्यापारियों के बीच नुक्कड़ पर होती बातचीत पर एक नज़र

कनिष्क गुप्ता.

यह चुनाव 2019 का ट्रेलर होगा। जनता बता देगी कि वह क्या रिजल्ट देना चाहती है। इलाहाबाद से पूरे देश की राजनीति तय होगी, यह कहते हुए पूरे आवेश में आ गए व्यापार अश्वनी विश्वकर्मा। अभी वह कुछ और कहते कि तपाक से बोल पड़े रूपेंद्र कपूर, ट्रेलर की बात छोड़ो, पहले इ बताओ एक साल के लिए चुनाव कराना कहां की अक्लमंदी है, जनता का पैसा बर्बाद किया जा रहा है। महंगाई पहले से चरम पर है। मानों उन्होंने नहले पर दहला जड़ दिया हो, दवा व्यवसायी सुधीर मिश्रा उन्हें शांत कराते हैं, फिर संवैधानिक प्रक्रिया विस्तार से समझाते हैं कि यह सब देश हित में होना कितना जरूरी है। वे चौपाल के मेजबान थे, सो सबको शांत कराना भी उन्हीं की जिम्मेदारी थी।

काफी देर से चुप बैठे व्यापारी धर्मेद्र कपूर दार्शनिक भूमिका में नजर आए, मुझे तो लगता है कि इस चुनाव का असर देश की राजनीति पर पड़े न पड़े, वह अलग मुद्दा है, मगर जिस तरह का माहौल बन रहा है, उससे तय है कि चुनाव बीजेपी ही जीतेगी। इस भविष्यवाणी पर सुधीर मिश्रा से न रहा गया, उन्होंने तर्को का पिटारा खोल दिया। व्यापारियों के साथ होने वाली नाइंसाफी और धर्मो को लेकर वितंडावाद, इसी तरह के कई और विवादों की कहानी का पिटारा एक के बाद एक करके खुलता गया। कुछ देर का मौन, इसे तोड़ा सरदार गुरुपाल सिंह बक्शी ने। कहा कि मिश्रा जी, मानो न मानो यह बाई इलेक्शन 2019 का ट्रेलर है। हम आप सभी को एक बात और बता दें कि इंदिरा के बाद कोई अगर नेता आया है, तो उ मोदी ही हैं। कई एक साथ बोले, हां सोलह आने सच है सरदार जी आपकी बात। मोदी ही एकमात्र ऐसे नेता हैं, जिन्होंने विदेश में भारत का महत्व बढ़ाया।

अब बारी थी, मौन साधे बैठे रिसर्च स्कॉलर पंकज कुमार चौधरी की, उन्होंने सवाल उछाला, आप सभी बताइए कि आखिर मोदी ने चार साल में ऐसा क्या किया, जिसका बखान किया जा सके। जिस कांग्रेस ने हमें अंग्रेजों से मुक्त कराया, हमें आज यहां इस स्थिति तक पहुंचाया, हम उसे कैसे भुला सकते हैं। गिनती के दिन नहीं बीते, त्रिपुरा में बीजेपी को चुनाव जीते, लेनिन की मूर्ति गिरा दी। राजेश चौरसिया ने बीच में टोका, यह कैसे पता कि बीजेपी वालों ने ही लेनिन की मूर्ति गिरायी। धर्मेद्र कपूर कहते हैं, अच्छा मान लो कि बीजेपी वाले कुछ नहीं कर रहे, मगर आप सभी एक बात बताओ कि सपा-बसपा की पटरी एक कैसे बैठ गई। एक बार फिर माहौल में गरमी, किसी तरह लोगों को शांत कराने की पहल। धर्मेद्र कपूर बोल पड़े, बसपा सुप्रीमो गेस्ट हाउस कांड कैसे भूल सकती हैं। कई एकसाथ बोले अरे इ राजनीति है भाई, कब कौन कहां किसके साथ बैठा मिलेगा, कोई नहीं जानता। उसी तरह चुनाव का ऊंट कौन करवट लेगा, यह भी आने वाला वक्त तय करेगा।

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