कठुआ केस – दो जाबाज़ बेटिया दिलवा रही है पीडिता को इन्साफ

निलोफर बानो

कठुआ (जम्मू). देश इस समय कठुआ काण्ड के बाद से उबल रहा है. उन्नाव, कठुआ, सूरत, दिल्ली में हुवे रेप कांड में कही न कही से सत्तारूढ़ दल की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया गया. सत्तारूढ़ दल के कुछ मंत्री भी इस कार्यक्रम में शामिल थे और उनकी मांग थी कि गिरफ्तार बलात्कारियो को रिहा किया जाये. हकीकत में सुनने में अजीब ज़रूर लगता है मगर एक कड़वा सच यह है जिसको हमको हज़म करना भी होगा कि आरोपियों को छुडवाने के लिये काफी दबाव बनाया था खूब धरना प्रदर्शन किया गया था. इस धरना प्रदर्शन का साथ सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ताओ के साथ क्षेत्रीय प्रतिनिधि भी मौजूदगी खासी खाली थी.

आसिफा बलात्कार और हत्या इस मामले में पहली बार बलात्कारियो के पक्ष में लोगो ने प्रदर्शन, रैली की वो भी तिरंगे के नीचे इस पूरे मसले को हिन्दू बनाम मुस्लिम बनाने की कोशिशें भी  किया गया, एक दल विशेष से जुड़े  IT सेल ने तो मुस्लिमो के साथ बलात्कार को जायज ठहराने की कोशिशें भी की, यह दुर्भाग्य नहीं तो और क्या कहेगे कि जिनको हम अपना प्रतिनिधि चुनते है वही हमारे प्रतिनिधियो में से कुछ इस केस में आरोपियों के पक्ष में खड़े दिखाई दे रहे है. यही नहीं रेप आरोपियों के समर्थन में हुवे इस रैलियों और प्रदर्शनों में मंत्री और एक दल विशेष के कार्यकर्ता शामिल रहे।

एक बार थोड़ा सा ईमानदारी से मूल्यांकन करे तो इस जघन्य कांड का विरोध करने वाले शोशल मीडिया से लेकर सड़क तक देश के अलग-अलग हिस्सों में बहुमत में हिन्दू शामिल रहे। सबने एक आवाज में कहा हम बलात्कार और बलात्कारियो के साथ नही है। हम बलात्कारियो का समर्थन करने वालो के साथ नहीं है.  इन घटनाओं से हिन्दू हो या मुस्लिम या सिख वो सभी चिंतित दिखे, सिर्फ कुछ कथित देश भक्ति का पाठ पढ़ाने वाले लोगो को छोड़ कर.

लेकिन आम जनता ने उनका मुँह बन्द करने का काम सब जगह किया। इस पूरे मामले में सबसे पॉजिटिव बात ये रही कि इस मामले की जांच एसआईटी कर रही थी टीम की सदस्य पुलिस अधिकारी श्वेतेम्बरी शर्मा जिसने मजबूती से और ईमानदारी से काम करते हुए बलात्कारियो और हत्यारो को जेल भिजवाया।

वही दूसरी तरफ पीड़ित आसिफ़ा का केस लड़ रही दीपिका सिंह राजवंत जो विपरीत हालात होते हुए, जान जोखिम में डाल कर मजबूती से केस की पैरवी कर रही है। इन दोनों ही बहादुर महिलाओं को धर्म के ठेकेदारों ने जात व धर्म की दुहाइयाँ तो ज़रूर दिया होगा। जब इससे काम नही चला तो धमकियां भी दी गयी। लेकिन ये मजबूती से लड़ रही है।

ऐसी निर्मम घटनाओ से जनता में खासकर बेटियों के मां-बाप के अंदर सुरक्षा को लेकर डर बैठ गया है। तो वही दूसरी तरफ लोगो ने ऐसी घटनाओं के खिलाफ धर्म-जात से ऊपर उठकर जो आवाज बुलंद की है उससे कुछ डर कम जरूर हुआ है। इसी के साथ धार्मिक आंतकवादियो व जो इस बलात्कार को जायज ठहरा रहे थे उनके मुँह पर थूकने का काम देश की जनता ने किया है।

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