यहां तो चार साल में मार दिए गए दो सौ काले हिरण
कनिष्क गुप्ता.
इलाहाबाद : ब्लैग बग यानी काले हिरण के शिकार के आरोप में फिल्म अभिनेता सलमान खान को तो पांच साल की सजा हो गई, लेकिन इलाहाबाद के मेजा स्थित चांद खमरिया गांव में काले हिरण के शिकारियों पर आज तक शिकंजा नहीं का सजा सका है। बीते चार सालों में यहां दो सौ काले हिरणों का शिकार हो चुका है। प्रदेश सरकार ने चांद खमरिया को प्रदेश का पहले कंजरवेशन रिजर्व घोषित किया है।
यमुनापार में मेजा तहसील के चांद खमरिया और महुली गांव के जंगल और पहाड़ी पर भारी तादाद में काले हिरन हैं। दरअसल, राजस्थान और मेजा में पहाड़ियों पर एक जैसे काले हिरन पाए जाते हैं। मेजा के इस गांव में 140 एकड़ के क्षेत्रफल में ये विचरण करते हैं। कुछ साल पहले इन काले हिरनों के संरक्षण के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं शुरू हुईं। वर्ष 2012 में प्रोजेक्ट शुरू हुआ। लगभग चार माह पहले ही प्रदेश सरकार ने इसे राज्य का पहला कंजरवेशन रिजर्व घोषित कर दिया। पिछले दो वर्षो में यहां लगभग डेढ़ करोड़ रुपये खर्च हुए। इसके तहत काले हिरनों को रहने के स्थान (हैबीटैड डेवलपमेंट) को विकसित किया गया। काले हिरनों के लिए ही ग्रासलैंड तैयार कराया गया। लगभग हर किमी पर वाटर होल्स बनाए गए, जिसके लिए बो¨रग कराया गया। इसके अलावा पक्का तालाब बनवाया गया। सुरक्षा के लिए एक वॉच टॉवर भी बनाया गया है।
बताते हैं कि कुछ साल पहले यहां सात सौ के करीब काले हिरन थे मगर शिकारियों की नजर इन पर भी पड़ गई। इलाहाबाद और मीरजापुर के साथ ही मध्य प्रदेश के रीवा, सीधी तक के शिकारी यहां पहुंचने लगे। रात ही नहीं दिन में भी यहां शिकार होने लगा। इसके कारण दिनोंदिन काले किरनों की संख्या कम होती जा रही है। अलबत्ता वन विभाग अब भी दावा कर रहा है कि यहां इनकी संख्या 470 है। यह संख्या वर्ष 2017 में हुई गणना के आधार पर है।
कमलेश कुमार, मुख्य वन संरक्षक उत्तर प्रदेश, इलाहाबाद ने हमसे बात करते हुवे कहाकि हुली में ब्लैक बग को शिकारियों से बचाने के लिए विभाग की ओर से काफी प्रयास किए जा रहे हैं। ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है। एक वॉच टॉवर बनवाया गया है जिससे निगरानी होती है। इसके अलावा यहां दो फारेस्ट गार्ड व एक फारेस्टर की भी तैनाती की गई है।
इको टूरिज्म जोन का प्रोजेक्ट तैयार
चांद खमरिया और महुली गांव को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का प्रोजेक्ट तैयार कराया गया है। यहां इको टूरिज्म जोन बनाने के लिए शासन स्तर पर वार्ता भी शुरू हो चुकी है। इससे पर्यटक यहां ब्लैग बग देखने आ सकते हैं।
ब्लैग बग बचाने को करने होंगे उपाय
मेजा के चांद खमरिया और महुली गांव में ब्लैग बग को शिकारियों के बचाने के लिए वन विभाग को कई तरह के उपाय करने होंगे। मुख्य वन संरक्षक कमलेश कुमार ने बताया कि वॉच टॉवर की संख्या बढ़ानी होगी। अभी केवल एक ही वॉच टॉवर है। काले हिरनों की हर पंद्रह दिनों में गणना होनी चाहिए, जिससे उनके बारे में पता चल सकेगा। इसके साथ ही मोशन सेंसर कैमरा लगाया जाए, जिससे उन पर नजर रखी जा सके। स्टॉफ भी बढ़ाने की आवश्यकता है। वन्य जीव रक्षकों की तादात बढ़ेगी तो काले हिरनों की निगरानी हो सकेगी। पौधरोपण करके इन्हें सुरक्षा प्रदान की जा सकती है। सबसे अहम यह कि आसपास के गांव के लोगों को काले हिरनों को बचाने के लिए जागरूक करना होगा।