भाजपा सांस्कृतिक परम्पराओं, धरोहरों की निष्ठा और संरक्षण का ढकोसला करती है – अजय राय

अनुपम राज

वाराणसी। भाजपा और उसकी सरकारें सांस्कृतिक परम्पराओं,धरोहरों की निष्ठा और संरक्षण का बढ़ चढ़कर दावा तो करती है, लेकिन उसकी सरकार तथा उसके अधीन प्रशासन उनके प्रति गंभीर नहीं है। इसका सबसे बड़ा नमूना है कि काशी की सनातन धर्म संस्कृति परंपरा की पंचकोशी यात्रा में श्रद्धालु यात्री पानी,षसफाई, मार्ग की खतरनाक एवं दुर्दशाग्रस्त स्थिति तथा ठहराव आदि की बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहकर बेहद कष्टप्रद स्थिति में आस्था से जुड़ी यात्रा के लिए मजबूर हैं।

उपर्युक्त आरोप एक पत्रकार वार्ता में अपनी पंचकोशी काशी परिक्रमा यात्रा के अनुभव साझा करते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व विधायक अजय राय ने लगाये। उन्होंने कहाकि एक दो दुर्घटनाओं के बाद पूरे सावन भर प्रशासन प्रयाग राजमार्ग की तीन लेन बंद रखता है,जबकि हरहुआ के बाद के हैवी ट्रैफिक को संकरे पंचकोशी मार्ग पर मोड़ दिया गया है,जिससे सिर पर गठरी लादे गर्मी में बेहाल चल रहे यात्री हर समय दुर्घटना की आशंका से गुजर रहे हैं। लगता है बेपरवाह प्रशासन को किसी और दुर्घटना का इंतजार है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के आने पर शहर में सड़कें रातो रात पेंट हो जाती हैं, पर पंचकोशी मार्ग बेहद खस्ताहाल हैं। पैरों में धंसते कंकड़-गिट्टी नंगे पांव चल रहे यात्रियों को मजबूर करते हैं कि वे आस्था त्याग कर चप्पल पहन लें। पड़ावों पर पेयजल के घोर अभाव की सर्वत्र शिकायत थी, जिससे यात्री गर्मी में परेशान हाल चल रहे हैं। कुछ पड़ावों पर कहीं गंदे से टैंकर धूप में खड़े मिले, जिसका पानी शायद ही कोई पीना चाहे।

उन्होंने बताया कि पड़ावों पर यात्री भीड़ के अनुरूप ठहराव की व्यवस्था नहीं है और न रैन-बसेरे के अस्थाई इंतजाम। शौच-स्नान आदि को लेकर भी लोग परेशान हाल हैं। गंदगी सर्वत्र और सफाई इंतजामों का अभाव है। बिजली की नियमित व सुचारु आपूर्ति किसी भी पड़ाव क्षेत्र में नहीं है। सुना था भाजपा जनप्रतिनिधियों और प्रशासन ने मिलकर हमारी यात्रा के पूर्व पंचकोशी यात्रा मार्ग और पड़ावों का निरीक्षण किया, लेकिन किया क्या वह कहीं नजर नहीं आया।

असुविधाओं के बीच भी बहुत बड़ी संख्या में इस भीषण गर्मी में श्रद्धालुओं की पंचकोशी यात्रा में भागीदारी को कष्ट सहित आस्था जीने का अभिनन्दनीय संकल्प बताते हुए श्री राय ने कहा कि हमें भी उसके व्यवहारिक अनुभव का बड़ा आध्यात्मिक सुख पंचकोशी यात्रा में मिला। लेकिन काशी में कथित विकास के नाम पर धरोहर ध्वंस में लगे शासन प्रशासन द्वारा इस सनातन पंचकोशी परिक्रमा के श्रद्धालुजनों की भी उपेक्षा की स्थिति बेहद दुखद है।

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