मदर मेरी के जन्मदिन पर आयोजित हुआ कार्यक्रम
विकास राय
गाजीपुर जनपद के बाराचंवर क्षेत्र के हार्टमन इण्टर कालेज हार्टमन पुर में मदर मेरी का जन्मदिन एवम बालिका दिवस के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सबसे पहले कार्यक्रम के बारे में शिक्षक सी डी जान के द्वारा परिचय दिया गया। कार्यक्रम का कुशल संचालन व्लू हाउस की सृष्टि सिंह एवं ऋतु चौहान के द्वारा किया गया।इस कार्यक्रम में बेटी बचाओ बेटी बढाओ पर की गयी प्रस्तुती को उपस्थित लोगों के द्वारा बहुत ही सराहा गया।हार्टमन पुर के छात्राओं द्वारा दहेज पर आधारित बहुत ही मार्मिक गीत अब नाहीं दुल्हा किनाई ये पापा हमके माहूर मंगा द की प्रस्तुती पर उपस्थित सभी लोगों की आंखे नम हो गयी।प्रेम रतन धन पायो पर छात्राओं ने बहुत ही खुबसूरत नृत्य प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम के अन्त में छात्राओं द्वारा प्रस्तुत एकांकी में गीत जनती जे जारल जईबू आग मे दहेज के ,पाप नाहीं करती बेटी ससुरा में भेज के माध्यम से आज के समाज में दहेज को लेकर प्रताडना से लेकर हो रही हत्याओ की तरफ ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास करते हुवे एक बाप की बिबशता एवम ब्यथा का वर्णन किया जिसे देख एवं सुन कर सभी लोगों की आंखो से आशू छलक पडे। अपने सम्बोधन में फादर पी विक्टर ने कहा की आज हम इक्कीसवीं शताब्दी में पहूंच गये है। बालक और बालिका में अब किसी भी क्षेत्र में कोई अंतर नहीं रह गया है। बालिकाएं हर क्षेत्र में आगे बढ कर अपना नाम रोशन कर रही है। मदर तेरेसा,इन्दिरा गांधी, कल्पना चावला, पिटी उषा, महादेवी वर्मा, सुभद्रा कुमारी चौहान, महाश्वेता देबी, पी बी सिंधू, साक्षी मलिक, सुनिता विलियम्स, ममता बनर्जी, किरण बेदी,किंजल सिंह, गरिमा सिंह, प्रियंका चोपडा, सावित्री बाई फुले, मोहसिना किदवई, बेगम लक्ष्मी बाई, तसलीमा नसरीन, मलाला युसूफ जई,हिलेरी क्लिंटन,सानिया मिर्जा, सायना नेहवाल, लता मंगेशकर समेत अनेक महिलाओ ने पुरूष प्रधान देश में अपनी काबिलियत के बल बूते पर अपनी एक अलग पहचान कायम की है।
आपने भ्रूण हत्या को समाज का कोढ की संज्ञा देते हुवे इसकी घोर निन्दा करते हुवे सरकार से इसे पुर्णतया बन्द करने की अपील की और समाज में अभी लोगो में और जागरूकता लाने की बात कही।समाज में हम लोग बहुत दर्द के साथ जी रहे है।हम सभी अंदर से रो रहे है बस दिखावे के लिए बाहर से हंस रहे है।फादर ने कहा की हम सभी वक्ता है।आज जरूरत है की पुरूष वर्ग चिन्तन करें।बोली भाषा जीवन शैली में हमें गंभीर होने की आवश्यकता है।शिक्षा से शक्ति बढ जायेगी. जिस देश में नारी का सम्मान नहीं होगा उस देश का पतन अवश्य होगा। नारी शहनशीलता की मूरत होती है।फादर ने खुद मंच से एक गीत जिंदगी में मेरे हलचल मचा गया है कोइ जब सुनाया तो सभी ने तालियों से स्वागत किया।शिक्षिका स्वर्ण लता ने कहा की एक ब्यक्ति को शिक्षित करने से केवल एक ब्यक्ति शिक्षित होता है।परन्तु एक महिला को शिक्षित बनाने से पूरा परिवार शिक्षित होता है।
कोई उनसे जाकर के पूछे जिनके पास बेटी नही है।शिक्षिका इसरत अतिया ने कहा की त्याग सेवा समर्पण एवम ममता की जीती जागती मिशाल है बेटियां ।जब दो दो कुल की लाज को ढोती है बेटियां फिर भी पता नहीं क्यो लोगों को खटकती है बेटियां। इस देश में प्रति वर्ष 29 लाख लडकियों को गर्भ में मार दिया जाता है। विकास के क्रम में भी हम सभी शिक्षित एवं सभ्य जानवर है। लोग लडके को पूंजी समझते है। और बेटी को कर्ज समझते है। प्रकृति का संतुलन है स्त्री पुरूष। बस आप बेटियों को अवसर देकर तो देखिए।सिस्टर अंजना ने हम शिक्षा के द्वारा ही आगे बढ सकती है। सरकार के नियम बनाने से कुछ नहीं होगा अगर समाज की मनोबृत्ती न बदले तो यह सब बेमानी है। हम सभी शोषण के बावजूद भी आगे बढ रही है।आज जरूरत है आत्म निर्भर बनने की।
आपने कहा की हमें देवी नही मानव ही रहने दिया जाये। आपने छात्राओं से साफ साफ शब्दों में कहा की विदेह राज जनक के समान सांसारिक मोह माया आकर्षण जैसे टीबी वगैरह से दूरी बनाकर शिक्षा ग्रहण करो। आपको किसी जंगल में तपस्या करने नहीं जाना है। आपको शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिला है। परिवर्तन संसार का नियम है आज परम्परायें बदलने की आवश्यकता है।कार्य क्रम के अंत में सभी छात्राओं एवम उपस्थित लोगों को एक एक पौधा एवम मिष्ठान वितरण किया गया।। इस मौके पर ,प्रभाकर मणि त्रिपाठी,अनिल मिश्रा, दिनेश पाठक, सुशील कुमार, उदय कुमार, अजय कुमार, सत्य प्रकाश अरविन्द भारती, महात्मा प्रसाद, सत्येन्द्र पाण्डेय, राकेश जोसफ, ईशरत अतिया, स्वर्ण लता, सिस्टर हेलेन,शुभ नरायण यादव, राजेश कुशवाहा समेत सभी शिक्षक शिक्षिका एवम छात्राएं उपस्थित रही।