भक्तों के उपवास के बाद कंजिकाओं की रही चहल-पहल, मां के नाम के गूंजते रहे नारे
सरताज खान
गाजियाबाद। लोनी नवरात्रे वृतो के बाद बुद्धवार के दिन शहर में श्रद्धालु भक्तों के बीच देवी रूपी कन्या (कंजिकाओ) को भोग लगाने की चारो ओर धूम रही, जहां महिला हो या पुरुष मां के प्रति उनकी आस्था देखने को बनती थी। यही कारण था कि दिनभर गली-मोहल्लों में कंजिकाओं की चहल-पहल बनी रही और मां भगवती के नारे गूंजते रहे।
हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान रखने वाले नवरात्रों पर महिला-पुरुष श्रद्धालुओं द्वारा मां दुर्गा के नाम पर रखे गये उपवास के बाद देवी रूपी कन्याओं की पूजा-अर्चना व उन्हें विभिन्न प्रकार के भोग लगाने की इंतजार समाप्त हो चुकी थी। मां के उपवासक हो या अन्य आस्थावान भक्तजन, सभी सप्तमी-अष्टमी दोनों का एक साथ महत्व रखने वाले बुधवार के दिन कन्याओं को भोग लगाने के लिए उनके घर जाकर पहले ही उनकी नौतनी कर चुके थे। जो अगले दिन प्रातः से ही उन्हें भोग लगाने की तैयारी में जुट गए थे।
विधि-विधान के साथ कराया भोग
खासतौर पर नवरात्रे उपवासको ने अपने घर बुलाई कन्याओं को सर्वप्रथम उनके पैर धोकर उन्हें आसन पर विराजमान किया। तत्पश्चात उन्हें तिलक कर कलावा व चुनरी धारण कराई और धूप-दीपक के साथ उनकी आरती करने के बाद अपनी श्रद्धानुसार बनाए गए हलवा, खीर, पूरी, चने व अन्य व्यंजन परोसकर उन्हें भोजन कराया। तथा अंत में अपनी समर्थनुसार विभिन्न प्रकार के गिफ्ट व नकदी भेंटकर मां दुर्गा स्वरूपनी कन्याओं का आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दौरान सभी के बीच मां दुर्गा नाम के जयकारे गूंजते रहे।
जाने और समझे
धर्म ज्ञानियों की माने तो सप्तमी, अष्टमी व नवमी के दिन देवी स्वरूपनी कन्याओं को भोग लगाना अति शुभ फलदाई माना जाता है। हालांकि सप्तमी व अष्टमी के दिन ही अधिकांश श्रद्धालुओं द्वारा कन्याओं को उनकी आस्थानुसार भोग कराया जाता है। इस पंक्ति में असहाय कन्याओं को भोज कराना अति उत्तम व पाप नाशक माना जाता है। हालांकि धर्म कार्य सदैव बिना किसी फल इच्छा के करना ही सर्वोपरि होता है जिससे अपने इष्ट भी प्रसन्न होते हैं।