नजीब की माँ ने उठाया सीबीआई के कार्यप्रणाली पर सवाल, कहा सुप्रीम कोर्ट तक लड़ेगे
निलोफर बानो
डेस्क केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से लापता हुए छात्र नजीब अहमद का केस आख़िरकार बंद कर दिया है. इस पर नजीब की मां फ़ातिमा नफ़ीस ने सीबीआई की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि वो अपनी लड़ाई जारी रखेंगी और ज़रूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाज़ा खटखटाएंगी. वही इस सम्बन्ध में अधिकारियों का कहना है कि नजीब अहमद को खोजने की तमाम कोशिशों का कोई नतीजा नहीं निकलने के बाद सीबीआई ने केस बंद करने का फ़ैसला किया गया है. सीबीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट से इजाज़त लेने के बाद हाल ही में पटियाला हाउस कोर्ट में अपनी रिपोर्ट दाख़िल की है. अदालत इस मामले पर अगली सुनवाई 29 नवंबर को कर सकती है. नजीब 14 अक्तूबर 2016 से लापता हैं.
ज्ञातव्य हो कि 14 अक्टूबर की रात जेएनयू के माही मांडवी हॉस्टल में कुछ छात्रों के बीच झड़प हुई थी. इसके बाद नजीब का कहीं पता नहीं चला. नजीब के लापता होने पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 365 के तहत मामला दर्ज किया था. वर्ष 2017 में दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था.
इस सम्बन्ध में नजीब की माँ ने कहा है कि वह हार नहीं मानेगी और सुप्रीम कोर्ट तक जायेगी, उन्होंने कहा, ‘‘सीबीआई ने कोर्ट को गुमराह किया है. वॉर्डन और सिक्योरिटी के बयान कोर्ट को नहीं बताए गए हैं. तमाम एजेंसियों ने कोर्ट का समय ख़राब किया है. जांच एजेंसी ने किसी दबाव में अपना काम सही तरीके से नहीं किया है. मेरे पास 20-21 प्रत्यक्षदर्शी हैं जिन्होंने नजीब को एबीवीपी के गुंडों से बचाया था. वॉर्डन इस घटना के गवाह हैं जिन्होंने लिखित में बयान दिया है कि मुझे भी चोट लगी है नजीब को बचाने में.उन्होंने कहा कि नजीब को बचाने वाले सिक्योरिटी के छह-सात गार्ड भी गवाह हैं. ये कैसे कह सकते हैं कि जेएनयू में कोई घटना नहीं हुई. ये झूठ बोल रहे हैं. तमाम एजेंसियों खाली हाथ हैं तो कहीं न कहीं तो घोटाला हुआ है. इस मामले में ज़रूरत पड़ी तो हम सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे. लेकिन हार नहीं मानेंगे, हमें हमारा बेटा चाहिए.”
कौन है नजीब
नजीब अहमद जेएनयू में बायो टेक्नॉलजी का छात्र था. उसके लापता होने के बाद जेएनयू के अंदर और बाहर छात्रों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किए थे.नजीब की मां ने मोदी सरकार से उनके बेटे को खोजने की गुहार लगाई थी. इस सिलसिले में उन्होंने कई मंत्रियों और नेताओं से मुलाक़ात की थी. नजीब की मां ने उन ख़बरों को भी ग़लत बताया था जिनमें कहा गया था कि उनका बेटा मानसिक संतुलन खो चुका था.
नजीब अहमद, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU – जेएनयू) का एक लापता विद्यार्थी है। वह 15 अक्तूबर 2016 के बाद कैंपस से गुम हो गया है। वह एमएससी बायोटैकनॉलजी के पहले साल का विद्यार्थी है। 14 अक्टूबर 2016 को उसके और दक्षिणपंथी एबीवीपी के बीच झगड़ा हुआ। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय अध्यापक संघ (जेएनयूटीए) ने प्रशासन को इस मुद्दे के प्रति बेरुख़ी और पक्षपाती प्रबंधन के लिए ज़िम्मेदार ठहराया था। जेएनयू अध्यापक संघ ने यूनिवर्सिटी द्वारा जारी की गई 25-बिन्दु बुलेटिन की भी आलोचना की थी कि वह जानबूझकर यह तथ्य छोड़ दिया है कि एक रात पहले हुए झगड़े के दौरान नजीब पर हमला किया गया था। नजीब अहमद की माँ फ़ातिमा नफ़ीस ने जेएनयू के प्रशासन पर यह आरोप लगाया है कि वे असंवेदनशील हैं।
प्रदर्शन में, जेएनयू विद्यार्थियों ने प्रशासनिक इमारत को 20 घंटे घेरी रखा। नजीब के माँ-बाप की शिकायत के आधार पर वसंत कुंज पुलिस ने अगवा और ग़लत क़ैद कर रखने के लिए एफ़आईआर दायर की है। यह ख़बर फैल चुकी थी कि नजीब के जीवन का अंत करने की एक कोशिश की गई है। यह भी ख़बर थी कि हो सकता नजीब किसी छोटे से शहर में गुप्त तौर पर रहने के लिए चला गया हो।
नजीब अहमद का केस दिल्ली हाईकोर्ट ने सी.बी.आई. को सौंप दिया था। अदालत ने केस सी.बी.आई. को सोपंते हुए विशेष निर्देश दिए की केस की जांच की अगुआई कम से कम डी.आई.जी. रैंक के अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए। दिल्ली हाईकोर्ट ने यह आदेश नजीब अहमद की मा श्रीमती फातिमा नफीस द्वारा लगाई गई याचिका पर किया था।नजीब के ठिकाने के बारे में जानकारी देने के लिए 100,000 रुपये के इनाम का ऐलान भी किया गया था। दिल्ली पुलिस की एक ख़ास परीक्षक टीम (एसआईटी) इस केस की पड़ताल कर रहा थी.