छोटी सी उम्र में ही खामोश हो गई एक दमदार कलम, क्राइम रिपोर्टर विजय उपाध्याय का निधन
तारिक आज़मी
वाराणसी। ईश्वर ने जीवन और मृत्यु को अपने हाथो में रखा है। हर व्यक्ति जो इस दुनिया में आया है वह एक न एक दिन जायेगा ज़रूर। मगर इन्सान की यादे रह जाएगी। ऐसे ही यादो को छोड़ कर हमारे बीच से एक कलम का सिपाही भरी जवानी में रुखसत हो लिया। डाक्टर भी थे, लोग भी थे, अस्पताल भी थे, हाईटेक मशीने भी थी मगर कोई मौत को रोक नही सका और एक दमदार कलम आज हमेशा के लिये खामोश हो गई। लाख कोशिशो के बाद भी डाक्टर उसको नही बचा सके। कलम का वह सिपाही हमेशा के लिये गहरी नींद में सो गया।
अभी उम्र ही क्या थी। सिर्फ 32 साल मगर जिम्मेदारिया थी कि कम नही थी। सब ज़िम्मेदारी वह अकेला उठता था। वह मृदुभाषी था, वह सबसे मिल कर रहता था, वह हसमुख स्वाभाव का था, वह शांत प्रकृति का था। अभी लगभग दस दिन पहले ही मेरी उससे मुलाकात हुवे। मजबूत कद काठी के साथ उसके इरादे भी मजबूत थे। मगर लगता है कुदरत ने इतनी हयात ही बक्शी थी उसको। आँखे में आंसू देकर वह हमेशा मुस्कुराने वाला इंसान आज चला गया।
एक विख्यात अखबार में क्राइम रिपोर्टर के पद पर कार्यरत विजय उपाध्याय को को बीते दिनों सर सुन्दरलाल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी तबियत खराब होने की सूचना मिलते ही उन्हें देखने राज्यमंत्री नीलकंठ तिवारी सहित काशी के कई बड़े नेता पहुंचे थे। विजय उपाध्याय का इलाज कर रहे चिकित्सकों ने बताया कि उनके सेहत में कोई सुधार नहीं हो रहा था।
विजय उपाध्याय शहर के शहर के मशहूर नई सड़क इलाके के रहने वाले थे। दो भाईयों में सबसे छोटे रहे विजय के परिवार की पूरी जिम्मेदारी विजय पर ही थी। हाल में विजय की शादी हुई थी उनकी एक 5 माह की बच्ची है। विजय दो वर्ष पूर्व दैनिक जागरण परिवार से जुड़े इसके पहले वह अमर उजाला और दैनिक भास्कर जैसे अखबारों में भी सराहनीय योगदान दे चुके थे। विजय के निधन की सूचना मिलते ही सभी पत्रकार शोक व्यक्त करने और इस दुःख कि घड़ी में उनके परिवार को ढांढस बंधाने के लिए उनके नई सड़क स्थित आवास पर पहुंचे हैं। पीएनएन परिवार इस दुःख की घडी में शोक संतप्त परिवार के साथ है और इश्वर से मृत आत्मा की शान्ति हेतु प्रार्थना करता है।