थारू महिलाओं से एसटीपीएफ द्वारा अभद्रता का मामला – वन जन श्रमजीवी यूनियन एवं थारू महिला मजदूर किसान मंच ने दी आंदोलन की चेतावनी
फारुख हुसैन
गौरीफंटा खीरी। जंगल में मछली मारने गई आदिवासी थारू महिलाओं के साथ एसटीपीएफ के जवानों द्वारा की गई बदसलुकी को अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन एवं थारू आदिवासी महिला मजदूर किसान मंच ने गंभीरता से लेते हुए इसके विरुद्ध आंदोलन करने की चेतावनी दी है!
ज्ञात हो कि 24 दिसंबर सोमवार को थारू ग्राम बनगवां के करीब आधा दर्जन आदिवासी महिलाएं दुधवा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में मछली मारने गई थी आरोप है कि वहां तैनात एसटीपी एफ के जवानों ने उन्हें पकड़कर सुविधा शुल्क मांगने की मांग की और न देने पर अनैतिक कार्य करने का दबाव बनाया इस बात की जानकारी जब उनके घर वालों एवं ग्रामीणों को हुई तो बड़ी संख्या में वह मौके पर पहुंच गए पश्चात महिलाएं एसटीपीएफ जवानों पर हावी हो गई! इस पर जवानों ने राइफल दिखाकर उन्हें डराना धमकाना शुरू किया जिसके जवाब में महिलाओं ने एक जवान का कालर खींच कर उनकी रायफलें छीन ली! जानकारी मिलने पर पहुंची गौरीफंटा पुलिस ने मौके पर पहुंचकर किसी तरह उन्हें समझा बुझाकर राइफल वापस करवाई!
इस बात की सूचना जब अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य रजनीश एवं प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र राना, थारू आदिवासी महिला मजदूर किसान मंच की उपाध्यक्ष नेवादा राना आदि को हुई ! तो उन्होंने इसे थारू महिलाओं की घोर बेज्जती बता कर अधिकारों का हनन बताया!
उन्होंने इसे राष्ट्रीय वनाधिकार कानून 2006 का उल्लंघन बताया उनका कहना था कि वनाधिकार कानून के तहत थारू महिलाओं को जंगल से लगु वन उत्पादन एवं मछली मारने की अनुमति मिल चुकी है! यह दुधवा टाइगर रिजर्व की अधिसूचना में भी अभीलिखित है समिति एसटीपीएफ जवानों के कृत्य की घोर निंदा करती है और इसके विरुद्ध आंदोलन भी चलाया जाएगा उन्होंने बिना आदिवासियों की सलाह लिए जंगल में एसटीपीएफ की दुधवा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में तैनाती पर भी सवाल उठाए हैं!