सुप्रीम कोर्ट दो जजों की नियुक्ति पर राष्ट्रपति की लगी मुहर, विरोध में उठे स्वर
आदिल अहमद
नई दिल्ली : सुप्रीमकोर्ट में दो जजों की नियुक्ति पर राष्ट्रपति की मुहर लग चुकी है। इसके बाद दोनों जज जस्टिस दिनेश महेश्वरी और जस्टिस संजीव खन्ना को देश की सर्वोच्च न्यायालय का जज नियुक्त किया जा चूका है। मगर एक बार फिर इस नियुक्ति पर सवालिया निशान लगने शुरू हो गये है और सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एस के कौल सहित कई अन्य ने इसके विरोध में आवाज़े उठाई है। इससे पहले जस्टिस खन्ना के जूनियर होने का हवाला देकर सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एस के कौल समेत कई लोगों ने विरोध किया था। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश इस बार फिर सवालों के घेरे में आ गई। दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस संजीव खन्ना को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाए जाने की सिफारिश पर खुद सुप्रीम कोर्ट के ही जज जस्टिस संजय किशन कौल ने भी आपत्ति जता दी।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाले पांच जजों के कॉलेजियम की एक सिफारिश पर चौतरफा सवाल उठ रहे हैं। दरअसल दस जनवरी को कॉलेजियम ने कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस संजीव खन्ना को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने के लिए केंद्र को सिफारिश भेजी है। इस पर सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस संजय किशन कौल ने भी आपत्ति जताई जताई है। उन्होंने चीफ जस्टिस से कहा है कि वरिष्ठता के क्रम में आगे राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रदीप नंदराजोग पर जस्टिस खन्ना को वरियता देना ठीक नहीं। कॉलेजियम के इस फैसले से गलत संदेश जाएगा। हालांकि जस्टिस कौल ने जस्टिस खन्ना पर किसी तरह के सवाल नहीं उठाए हैं।
इससे पहले दिसंबर में कॉलेजियम ने दिल्ली के चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन और राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रदीप नंदराजोग को चुना था लेकिन ये फैसला बदल दिया गया। इस पर पूर्व सीजेआई आरएम लोढा ने ने एक चैनल से बातचीत में कहा था कि कॉलेजियम संस्थान की तरह काम करता है। उसके काम में पारदर्शिता होनी चाहिए। अगर कोई फैसला बदला जाता है तो उसके कारणों का खुलासा किया जाना चाहिए। वहीं पहले भी वरिष्ठता में पीछे होने के बावजूद जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस एस अब्दुल नजीर समेत कई हाईकोर्ट जजों को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया है।पहले भी कॉलेजियम केंद्र को सिफारिश भेजने ये पहले नामों को बदलता रहा है।