कुम्भ कार्यों के भुगतान में सतर्कता पर कमिश्नर ने बढ़ाया दबाव

वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर बिना जल्दबाजी के काम करने की कड़ी हिदायत

तारिक खान

उचित परीक्षण और कटौती के बिना भुगतान न करने के दिये कड़े निर्देश
जल्दबाजी में नियमों की अनदेखी कर भुगतान करने वाले अधिकारी एवं कर्मचारी होंगे दण्ड के भागीदार – मण्डलायुक्त, प्रयागराज।

अन्तिम बिल का आडिट कराये बिना या निरीक्षण में पायी गयी कमियों का निराकण कराये बिना सम्बन्धित कार्यों का भुगतान रोक देने का निर्देश

कमी पाये जाने वाले कार्यों को निरस्त करने तथा भुगतान में व्यापक कटौती कर देने का कमिश्नर ने दिया निर्देश

कुम्भ के लिए कम समय में कराये गये कार्यों में भी गुणवत्ता से कोई समझौता सम्भव नही – – कमिश्नर, प्रयागराज।

प्रयागराज।
कुम्भ के कार्यों में भुगतान की प्रक्रिया को पूरी तरह नियम संगत रखने तथा गुणवत्ता के अनुरूप ही भुगतान सुनिश्चित कराने पर दबाव बढा दिया गया है। मण्डलायुक्त डॉ. आशीष कुमार गोयल ने सभी विभागों को दी गयी अपनी सख्त हिदायत को दोहराते हुए पुनः यह कहा है कि कुम्भ के कार्यों में कार्य की गुणवत्ता के अनुरूप ही कार्य किया जाय तथा वित्तीय वर्ष समाप्त होने की जल्दबाजी में कार्यों की गुणवत्ता तथा नियमों की अनदेखी कदापि न की जाय।
मण्डलायुक्त ने कहा कि वित्तीय वर्ष की समाप्ति के दिनों में गुणवत्ता परीक्षण तथा कमी पाये जाने पर भुगतान में कटौती आदि जल्दबाजी में छूट जाने की सम्भावना से सभी विभागध्यक्ष बचें। सभी विभागाध्यक्ष कुम्भ कार्यों के गुणवत्ता परीक्षण में सजगता तथा कमी पाये जाने पर भुगतान में समुचित कटौती किया जाना जल्दबाजी में छुट न जाय, इस बात का विशेष ध्यान सजगता के साथ रखें। इस स्थिति पर कठोर नियंत्रण स्थापित किया जाय तथा भले ही भुगतान इस वित्तीय वर्ष में रोक देना पड़े, लेकिन अनियमित भुगतान कदापि न किया जाय।
मण्डलायुक्त ने चेतावनी देते हुए कहा कि जल्दबाजी में किये गये भुगतान के लिए भुगतान प्रक्रिया में सम्मिलित हर स्तर के अधिकारी एवं कर्मचारी जिम्मेदार माने जायेंगे। इसलिए उन्होंने मेला प्रशासन तथा सभी विभागों को यह हिदायत दी है कि परीक्षण और कार्य सत्यापन की आख्या संतोषजनक न होने की दशा में प्रस्तावित भुगतान को न केवल रोक दिया जाय बल्कि, सम्बन्धित कार्य का परीक्षण उपयुक्त ढंग से कराकर संतोषजनक न होने की दशा में उसे निरस्त भी कर दिया जाय।
इस कड़े निर्णय से मेला प्रशासन को अवगत कराते हुए मण्डलायुक्त ने साफ किया कि कुम्भ के लिए कम समय में यद्यपि तेज गति से काम कराये गये हैं किन्तु किसी भी स्तर पर उनकी गुणवत्ता में कमी न होने पाये, इस हेतु विशेष निर्देश भी लगातार दिये जाते रहे हैं। थर्ड पार्टी निरीक्षण एजेंसी द्वारा हर कार्य की तत्समय जांच एवं कमी पाये जाने पर उसके निराकरण की अनुपालन आख्या तत्समय ही सुनिश्चित करायी जाती रही है। उसका उद्देश्य यही रहा है कि कुम्भ के कार्य यद्यपि तात्कालिकता के आधार पर कम समय में कराये गये किन्तु उनकी गुणवत्ता में कही भी कमी न रहे। इस पर कड़ी नजर बहुत पहले से ही रखी गयी है। अतः भुगतान के पूर्व किसी भी कार्य में कमी रह जाने पर उसका परीक्षण तथा कमी दूर किये जाने सम्बन्धी कार्यवाही की स्पष्ट आख्या के बिना भुगतान कदापि नहीं किया जायेगा। इस सम्बन्ध में सभी विभागों को पहले से निर्देश दिये जाते रहे हैं कि कार्यों को मानक के अनुरूप न पाये जाने पर उनका भुगतान रोक दिया जायेगा। मण्डलायुक्त की ओर से माह नवम्बर तथा माह दिसम्बर से ही लिखित निर्देशों के माध्यम से सभी विभागों को यह हिदायत दी गयी है।
गौरतलब है कि कुम्भ की समीक्षा बैठकों में और लिखित रूप से भी ये निर्देश लगातार दिये जाते रहे हैं कि लोक निर्माण विभाग और अन्य सभी कार्यदायी विभागों के कार्यों में मानकों से विचलन में नियमानुसार कटौती की जाय या अधिक विचलन पाये जाने पर उस कार्य को निरस्त कर दिया जाय। लोक निर्माण विभाग के जिन कार्यों में थर्ड पार्टी निरीक्षण एजेंसी द्वारा बिटुमिन या डेंसिटी सम्बन्धी कमियां प्रकाश में लायी गयीं, उन कार्यों के निरस्तीकरण की कार्यवाही करते हुए उन्हें निर्माण पुनः कराने के आदेश भी दिये गये हैं। इसी प्रकार उद्यान विभाग के गमलों के सूखने की शिकायत पर मण्डलायुक्त द्वारा प्रयागराज विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष/जिलाधिकारी प्रयागराज की अध्यक्षता में एक समिति बनाकर इसकी जांच करायी जा रही है तथा एक-एक गमले का परीक्षण कराया जा रहा है। इस जांच के पूरा होने तक सम्बन्धित ठेकेदार का भुगतान रोक दिया गया है।
मण्डलायुक्त ने इन कार्यवाहियों का उदाहरण देते हुए सभी विभागाध्यक्ष एवं मेला प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा है कि 31 मार्च की जल्दबाजी में गुणवत्ता परीक्षण की आख्या तथा नियमसंगत अभिलेखों के बिना भुगतान न तो प्रस्तावित किया जाय और न ही पारित किया जाय। मण्डलायुक्त ने कड़ाई से कहा है कि जिन कार्यदायी विभागों ने अपने बिलों का प्री-आडिट नहीं कराया है, या इंगित कमियों का निराकरण नही किया है, उनका भुगतान न करने के निर्देश कई माह पूर्व से दिये जाते रहे हैं तथा अभी भी इस तरह के प्रकरणों का भुगतान कराने से रोक दिया जाय।
मण्डलायुक्त को मेला प्रशासन द्वारा यह जानकारी दी गयी कि मेला प्रशासन द्वारा केवल उन्हीं मामलों का भुगतान किया जा रहा है, जो पूरी तरह गुणवत्ता के मामले पर खरे हैं तथा नियमसंगत हैं। इसी प्रकार प्रत्येक कार्यदायी विभागों को कार्यों में यथाआवश्यक कटौती के उपरान्त ही भुगतान किया जा रहा है। इसी प्रकार कई विभागों में कटौती के द्वारा बड़ी मात्रा में धनराशि व्यय होने से बचाई जा रही है जो शासकीय कोष में वापस कर दी जायेगी।

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