समाजसेवी मो आरिफ़ की पहल से बीस वर्ष बाद बेटे से मिली मां

मो आफ़ताब फ़ारूक़ी

 

प्रयागराज। कुम्भ मेले के दौरान मार्ग दुर्घटना में अचेत हुए युवक की जब स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल में आंख खुली तो बीस वर्ष बाद मां एवं भाई को पाकर गदगद हो गया। उसकी मां के आखों से खुशी के आशु टपक पड़े। यह कारनामा एक समाजसेवी ने कर दिखाया।
मेजा थाना क्षेत्र के लूतर तेदुवान गांव निवासी शम्शाद 45 वर्ष पुत्र जाफर अली को कुम्भ मेला पुलिस ने लावारिस हालत में एक अधेड़ को अचेतावस्था में उपचार के लिए 23 / 2 19 को स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में भर्ती कराया। जहां चिकित्सकों एवं वार्ड व्याय की देख.रेख के चलते शम्शाद की हालत धीरे धीरे ठीक होने लगी। यह जानकारी होते ही शहर के समाजसेवी गुमशुदा तलाश के एडमिन मो. आरिफ को हुई तो वह उसे खोजते हुए वार्ड नम्बर 10 में पहुंचे। जहां उससे नाम व पता जानने का प्रयास किया। शम्शाद ने कई गांव के नाम बताए लेकिन वह सही नही निकला।

11 / 3 / 19 की शाम उसने समाजसेवी को मेजा थाना क्षेत्र के लूतर गांव का नाम बताया। इस पर समाजसेवी ने वहां के अपने एक परिचित राजेश गौड़ से सम्पर्क किया तो उसके घर तक पहुंच गए। यह खबर मिलते ही शम्शाद की मां अफ्साना बेगम व भाई नौशाद 12 / 3 / 19 की सुबह एसआरएन पहुंचे और उसकी पहचान किया। मां ने कहा कि बीस वर्ष बाद मेरा बेटा मुझसे आज मिला है।
यह जानकारी देते हुए मां अफ्साना ने बताया कि शम्शाद की पत्नी शन्नों ने दूसरी शादी कर ली तो यह घर छोड़कर भाग निकला। उसके बाद से शम्शाद का कोई पता नहीं चल पाया था। अल्लाह का शुक्र है कि कुम्भ के दौरान वह यहां आया और घायल होकर अचेत हो गया। इस दौरान उसकी याद अपने घर की आ गई और उसने अपने घर का पता बता दिया।

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