सामुदायिक स्वास्थ केंद्र के चिकित्साधिकारी को नही मिल रहा सरकारी मकान, उदासीन है डीएम साहब इस मामले में
नुरुल होदा खान
बलिया। वैसे भी सरकार को जल्दी काबिल डाक्टर गाव में सेवा करने के लिये मिलते नही है। अगर मिल जाते है तो फिर सरकार उनके साथ उदासीन रवैया दिखाती है। जैसे सिकंदर पुर सामुदायिक स्वास्थ केंद्र के डॉ व्यास को ही देख ले। दो छोटे बच्चो के साथ यहाँ पोस्टिंग पर आये हुवे डाक्टर साहब को एक साल से अधिक हो चूका है। मगर सरकारी आवास अभी तक नही मिला है। हर महीने मिलने की आशा के साथ वह एक कमरे का किराए का मकान लेकर रह रहे है। जबकि सरकारी आवास में एक अन्य डॉ साहब जिनका पहले ही ट्रांसफर अन्यंत्र हो चूका है, मगर इलाके से उनका मोह भंग नही हो रहा है वो कब्ज़ा करके बैठे है। अब डॉ व्यास की समस्या का निस्तारण करने वाला कोई दिखाई नही दे रहा है। आखिर में थक हार कर डॉ व्यास ने मुख्य चिकित्साधिकारी को संबोधित पत्र लिख कर अपनी समस्या का निस्तारण करने को कहा है।
डॉ व्यास ने अपने पत्र में लिखा है कि मैं एक वर्ष से अधिक समय से सामूहिक स्वास्थ्य केंद्र सिकंदरपुर पर चिकित्सा अधिकारी के पद पर कार्यरत हूं तथा अपना कार्य तत्परता हम जिम्मेदारी के साथ करता हूं। मैं प्राइवेट मकान में किराए पर रहता हूं। यहां पानी और बिजली के भारी आभाव है। इस परिस्थिति में काफ़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यहां अपने पत्नी और दो छोटे बच्चों के साथ रहता हूं। मुझे रात्रि कालीन इमरजेंसी ड्यूटी करने में अब मुझे काफ़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने पत्र में लिखा है कि करीब 8 माह पूर्व यहां से एक चिकित्सा अधिकारी का स्थानांतरण हो चुका है, परंतु यहां का आवास खाली नहीं किया गया है। यह लोग अभी तक इसी सामूहिक स्वास्थ्य केंद्र के सरकारी आवास में ताला जड़े हुए हैं। इस सम्बन्ध में कई बार लिखित पत्र के माध्यम से दिनांक 11 साथ 2018 25-12-2018 एवं 281 2019 के क्रम में अधिकारी को अवगत करा चुका हूं। परंतु अभी तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है। डॉ व्यास ने इस सम्बन्ध में उच्चाधिकारीयो से मदद की गुहार लगाई है।
वही इस प्रकरण में सूत्र बताते है कि स्थानांतरित चिकित्सक का विशेष मोह इस क्षेत्र से है। वह वैसे तो आवास पर ताला बंद रखते है मगर आवश्यकता पड़ने पर उनकी उपस्थिति अक्सर देखने को मिलती है। सूत्रों के अनुसार प्राप्त समाचारों के अनुसार स्थानांतरित चिकित्सक के ऊपर क्षेत्र के दबंग और राजनितिक संरक्षण प्राप्त है। इसके अतिरिक्त काफी वक्त यहाँ गुज़ारने के बाद अब उनकी यहाँ मरीजों में पैठ बन चुकी है। वह विशेष रूप की चिकित्सा करने के लिये इसी सरकारी आवास का सहारा लेते है। अब देखना होगा कि आखिर कैसे डॉ व्यास को इंसाफ के साथ आवास मिलता है। वो भी मिलता है या फिर नही मिलता। क्योकि राजनितिक संरक्षण में कुछ भी संभव है।