दालमंडी पहलवानी के वर्चस्व से लेकर अपराध के वर्चस्व तक भाग – 10, आतंक का दूसरा नाम बनकर उभर रहा है जेल में बंद अपराधी फैजान
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तारिक आज़मी
वाराणसी का दालमंडी पहलवानी की सीढीयाँ चढ़ते हुवे पहलवानी को कही न कही अलविदा कह चूका है। अखाड़े की मिट्टिया तो वीरान हो गई मगर मशीनों के सजावट लिये बैठे जिम गुलज़ार होने लगे है। इलाका पहले भी व्यापर का हब हुआ करता था। मगर विश्वनाथ गली के कारोबार टूटने के कारण इस इलाके को कारोबारी सहयोग मिला। यहाँ का कारोबार दिन दुनी रात चौगुनी तरक्की करने लगा। कारोबार के तरक्की के कारण इस इलाके में व्यापारियों का आर्थिक विकास होने लगा। ये विकास अपराध जगत को बड़ा पसंद आया और अपराध ने अपने पैर ज़माना शुरू कर दिया। अपराधियों के लिये यहाँ कि पेचीदा दलीलों सरीखी गलियों ने काफी सहारा दिया। उसका कारण यहाँ की पुलिस द्वारा गलियों के रास्तो से वाकिफ न होना भी था।
इतिहास गवाह है कि यहाँ जब भी पुलिस ने छापेमारी किया कोई बड़ी सफलता हाथ नही लगी। इन पेचीदा नुख्तो जैसी गलियों ने अपराधियों के भागने में साथ दिया। इस दौरान कई गुट उभरे और शांत हो गये। मगर इस इलाके को सबसे अधिक अगर किसी ने दहलाया तो वह था हसीन नाम का बदमाश जो पुलिस मुठभेड़ में ढेर हो गया। इसके बाद कुछ दिन की शांति के बाद कई अपराधिक गुट उभरे और समाप्त हुवे। इस बीच दालमंडी का कारोबार दिन दुनी रात चौगुनी तरक्की करता गया और अखाड़ा बीबी रज़िया ख़ामोशी के समुन्द्र में दबता चला गया। जिम उभरने लगे और शरीर को फुलाने वाली दवाओं ने युवाओ के नसों में खुद को बसा कर उनके शरीर को गठीला बनाना शुरू कर दिया था। अब अगर वर्त्तमान स्थिति को देखे तो इस क्षेत्र में दो गुट अपने वर्चस्व हेतु संघर्षशील रह रहे है। भले इस गुट का मुखिया शहर से पलायन कर गया हो मगर उसके फोन का और उसके गुर्गो का दबदबा लगातार कायम है। इसी सब के बीच एक बड़ी डकैती में खुद का नाम चमकाते हुवे फैजान का नाम उभर कर सामने आया वही बाहुबली पुर्व पार्षद पर गोली चलाने वाला सलमान अन्ना भी उभर कर सामने आने लगा।
ऐसा नही कि क्षेत्र में व्यापारी अपराधियों को संरक्षण देते हो, बल्कि उलटे वह इन अपराधियों से परेशान रहते है। मगर कारोबारी अपने नियमो के बंदिश में खुद को कैद करके अपने साथ होने वाले अपराधो की सुचना पुलिस को नही देते है। इनमे से अधिकतर के दिमाग में केवल एक बात रहती है कि कौन काम धंधा छोड़ कर पुलिस थाना करे। पुलिस से खुद को असुरक्षित समझने वाले इन व्यापारियों के दिल में ये असुरक्षा की भावना घर कर गई है। सीधे साधे कारोबार से नाता रखने वाले ये व्यापारी भले इन अपराधियों के वजह से परेशान रहते है मगर इनके लफ्ज़ नही निकलते है। ये ख़ामोशी इनके रगों में बसी हुई है। यही वजह है कि जब कोई अपराधी पकड़ा जाता है अथवा पुलिस मुठभेड़ में ढेर होता है तो इनकी ख़ुशी देखी जा सकती है। मगर ये ख़ुशी भी ख़ामोशी के दायरे में खुद को समेटे हुवे होती है। इसी ख़ामोशी ने इन अपराधियों को हौसला प्रदान किया और अपराध फलने फूलने लगा।
इलाके में कही न कही फैजान के नाम की दहशत तो है ही। अभी कल ही की बात ले। कल रंगदारी मामले में एक युवक मो फ़िरोज़ को हिरासत में लिया। हिरासत में आया युवक एक स्थानीय छोटे ठेकेदार को पिस्टल सटा कर फैजान के नाम पर रंगदारी मांग रहा था। घटना में शामिल एक युवक भले अभी फरार है मगर मुख्य रूप से फ़िरोज़ का पुलिस के हत्थे चढ़ना कल दालमंडी में कारोबारियों के चेहरे पर रौनक दे गया था। हमारे सूत्र ने हमको बताया कि गिरफ्तार युवक फैजान के चाचा का बेटा है। इसी युवक ने कटरा अरविन्द सिंह स्थित एक लुंगी के कारोबारी को तीन-चार दिन पहले पिस्टल सटा कर रंगदारी लिया था। हमने जब उस व्यापारी से संपर्क किया तो उनसे जुबां खामोश कर डाली। भले इस घटना पर उसने रजामंदी में सर हिला दिया मगर इसके आगे वह कुछ भी नही बोला। इसको शायद खौफ कहेगे। यही नही खौफ का मंज़र का अंदाज़ इससे लगा के कि हमको जानकारी प्राप्त हुई कि कुछ माह पहले एक कारोबारी से रंगदारी मांगने पहुचे इसी फ़िरोज़ ने उस कारोबारी के शटर पर मिटटी का तेल छिड़क दिया था। लोगो ने इसको पकड़ा और फिर मौके से गुज़र रही पुलिस इसको लेकर थाना चौक पहुच गई। सबसे अचम्भे की बात ये कि पीड़ित ने कोई तहरीर देना छोड़े एक शब्द पुलिस से बतौर शिकायत नही कहा।
वही सूत्रों से प्राप्त समाचारों के अनुसार दालमंडी स्थित एक व्यापारी नेता और मोबाइल कारोबारी से भी फैजान ने फोन करके खुद रंगदारी मांगी थी। एक अन्य व्यापारी नेता और समाजसेवक के रूप में पहचान रखने वाले व्यापारी से भी फैजान ने फोन पर रंगदारी मांगी ये भी चर्चा दालमंडी की गलियों में है। मगर दोनों ही व्यापारियों ने कोई पुलिस शिकायत दर्ज नही करवाया। मोबाइल कारोबारी तो थाना स्थानीय तक तहरीर लेकर गया भी था। मगर सूत्र बताते है कि उक्त कारोबारी पर क्षेत्र में रहने वाले फैजान के रिश्तेदारों ने काफी दबाव बनाया। दुसरे कारोबारी और समाजसेवक के सम्बन्ध में ये जानकारी प्राप्त हुई कि उसने पैसे तो शायद नही दिये। मगर फैजान के रिश्तेदारों ने उसको काफी दबाव बनाया कि पुलिस से शिकायत दर्ज न करवाये।
इसी बीच सूत्रों से प्राप्त सुचना को आधार माने तो दालमंडी के एक कद्दावर और बाहुबली द्वारा पिछले दो पेशी पर फैजान से लगातार मुलाकात किया जा रहा है। क्षेत्रीय चर्चाओ में कयास लगाया जा रहा है कि बाहुबली शायद उसको अपने तरफ मोड़ना चाहते है अथवा मोड़ चुके है। क्षेत्र में एक व्यापारी ने दबी ज़बान और बिना नाम ज़ाहिर करने की शर्त पर बताया कि फैजान के पास एक नही चार नंबर काम कर रहे है। इन नम्बरों से फैजान ने उसको खुद फोन किया था। नंबर को पूरा तो हम यहाँ ज़ाहिर नही कर रहे है क्योकि ये कार्य पुलिस और जेल प्रशासन का है मगर व्यापारी के इस आरोप को थोडा बल भी मिलता है। हमको प्राप्त नंबर में 8840—-65, 7081—-49, 6307—-02, और 9369—-35 है। इन नम्बरों को जब हमने ट्रूकालर पर चेक किया तो मालूम चला कि किसी को उर्फी तो किसी को ब्लैंक नाम से सेव किया गया है।
अगले अंक में हम आपको बतायेगे अपराध और पुलिस का कही गठबंधन तो नही है। आखिर क्यों कोई दरोगा किसी पीड़ित को अपराध दर्ज करवाने से करता है मना। और भी बहुत कुछ जुड़े रहे हमारे साथ।