प्रियंका ने किया भीम आर्मी के संस्थापक रावण से अस्पताल में मुलाकात, बढ़ी राजनितिक खुसुर फुसुर
सिद्धार्थ शर्मा
मेरठ। दलित आरक्षण के मुद्दे पर भारत बंद करवाने में कामयाब रहने वाले संगठन भीम आर्मी अचानक दलित समाज में अपनी बढ़िया पकड़ बना चूका है। पहले तो आशा व्यक्त किया जा रहा था कि भीम आर्मी बसपा के लिये काम करने वाला एक संगठन होगा। मगर समय के साथ होने वाले परिवर्तनों को देखा जाए तो भीम आर्मी ने कई मुद्दों पर लगातार बसपा का विरोध किया। इसके साथ ही भीम आर्मी की नज़दीकिया लगातार बढती रह रही है। इसी बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने आज भीम आर्मी के प्रमुख रावण से अस्पताल में मुलाकात किया। वैसे तो प्रियंका गांधी ने इस मुलाकात को एक औपचारिक मुलाकात बताया और कहा कि मैं केवल एक मरीज़ को देखने आई हु मगर इस मुलाकात के राजनितिक मायने भी देखे जा रहे है।
Meerut: Congress General Secretary for UP (East) Priyanka Gandhi Vadra meets Bhim Army chief Chandrashekhar who is undergoing treatment at a hospital. pic.twitter.com/e4QPUJolzW
— ANI UP (@ANINewsUP) March 13, 2019
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मेरठ पहुंचकर भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आज़ाद रावण से मुलाक़ात इस दौरान पश्चमी यूपी के प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मौजूद थे। चंद्रशेखर रावण से मुलाकात के बाद प्रियंका गांधी ने कहा कि इसे चुनावी राजनीति से जोड़कर मत देखिए। इसे ऐसे देखना चाहिए कि चंद्रशेखर युवा हैं, संघर्ष कर रहे हैं। यह सरकार उस नौजवान को कुचलना चाहती है। रोजगार दिया नहीं है जब आवाज उठा रहे हैं तो उठाने दीजिए कुचलने की क्या जरूरत है।
इस मुलाकात के बाबत पत्रकारों ने प्रियंका गांधी से पूछा कि क्या कांग्रेस पार्टी चंद्रशेखर को नगीना से चुनाव लड़ाएगी? इस पर प्रियंका गांधी ने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें इस लड़के का जोश पसंद है और देख कर अच्छा लगा कि वह संघर्ष कर रहा है। पत्रकारों ने जब उनसे पूछा कि क्या आप ऐसे नौजवान को कांग्रेस में लाएंगे तो प्रियंका गांधी ने कहा कि देखिए आप इस का राजनीतिकरण कर रहे हैं। मैं नहीं कर रही हूं। मैं इस लड़के का संघर्ष समझ रही हूं।
बताया जा रहा है कि प्रियंका की इस मुलाकात का सबब कही न कही से इमरान मसूद बने है। बताते चले कि भीम आर्मी पश्चिमी यूपी में सबसे मजबूत है। यहां के दलित समाज रावण को मायावती से बड़ा नेता चंद्रशेखर को मानते हैं। दलित समुदाय के युवा खुद को चंद्रशेखर से जुड़ा महसूस करते हैं।