वाराणसी – माँ गौरी गई ससुराल, काशी में रहा रहा उत्सव का माहोल, मनी रंगभरी एकादशी
सपना यादव
वाराणसी। काशी में रंगभरी एकादशी का पे पर्व की बात ही निराली है। इस खास पर्व पर आज मौज में डूबी काशी अलग ही नजर आई। एकादशी पर बाबा काशी विश्वनाथ का काशीवासियो ने गौना उत्सव मनाया। काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डा. कुलपति तिवारी के आवास पर आज सुबह मंगल बेला में रजत प्रतिमा का विधि विधान से पूजन किया। बाबा भोलेनाथ को भस्म, भभूत की जगह खादी वस्त्र और राज शाही टोपी से सजाया गया। माँ पार्वती को जरी किनारीदार बनारसी साड़ी पहनाकर सोलह श्रृंगार किया गया।
दूल्हा बाबा भोलेनाथ और दुल्हन मां गौरा की अनूठी छवि भक्तो का मन विभोर कर रही थी। वहीं दर्शनार्थियों ने बाबा को माला पहनाकर गुलाल और पाप-ताप से मुक्ति का आशीर्वाद लिया। रजत पालकी में सवार बाबा भोलेनाथ ने भक्तो को दर्शन दिया। महंत कुलपति तिवारी ने संध्या में आरती कर गौरा को ससुराल के लिए विदा किया। गौरा के विदाई के समय सैकड़ो डमरूओ की गड़गड़ाहट, शंखनाद, शहनाई की धुन पर नाचते-गाते काशीवासी कुछ इस तरह घुले की खुशबूदार गुलाल से पूरा वातावरण लाल हो गया।
भक्ति के इस झांकी को आस्था का समुन्द्र इस रंग में रंगता हुआ काशीवासियों को होली के हुड़दंग की अनुमति भी मिल गई। रजत पालकी को कंधे से लगाने व चरण में शीश नवाने की होड़ में भक्त और भगवान के बीच के सारे बंधन टूट गये। गर्भगृह में शिव परिवार को प्रवेश कराने में काफी मशक्कत करनी पड़ी।
माँ पार्वती के साथ गृह प्रवेश से पहले भक्तो की टोली बाबा के आशीर्वाद प्राप्त करने को भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी रही। वहीं श्रद्धापूर्वक काशी विश्वनाथ के परिवार की रजत प्रतिमा को गर्भ गृह में प्रवेश कराया गया। काशी वासियों की श्रद्धा को ध्यान में रखते हुये शाम की सप्तऋषि आरती और रात्रि भोग आरती कर ली गई। इस दौरान महंत आवास पर संगीतमय कार्यक्रम काशी पुराधिपति के गौना के अवसर महंत आवास पर किया गया। जिसमे काशी सहित दूर दराज से भी आये कलाकारों ने विवाह गीत, लोक गीत आदि गाये।