मोदी सरकार द्वारा सेना के राजनीतिकरण के विरोध में 150 से अधिक पूर्व सैन्य अधिकारियों ने लिखा राष्ट्रपति को पत्र, कुछ ने किया पत्र लिखने से इनकार

सरताज खान

नई दिल्ली : भारतीय राजनीत में सत्तारूढ़ दल भाजपा द्वारा सेना के नाम का इस्तिमाल करने पर अब विवाद और विरोध के स्वर तेज़ होने लगे है। इस बीच 150 से अधिक पूर्व सैन्य अधिकारियों द्वारा मोदी सरकार के सेना के राजनीतिकरण के विरोध में लिखे गए पत्र पर विवाद गहरा गया है। सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रपति कार्यालय को अभी तक ऐसा कोई पत्र नहीं मिला है।

हालांकि कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के दिन (बृहस्पतिवार) ही पत्र राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजा गया था। राष्ट्रपति भवन ने कहा है कि हमें अभी तक ऐसा कोई पत्र नहीं मिला है। वही दूसरी तरफ, पूर्व वायुसेना प्रमुख एयर चीफ एनसी सूरी ने कहा कि उन्होंने कोई चिट्ठी नहीं लिखी है और न ही उनसे कोई सहमति ली गई है। उनके मुताबिक सेना किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़़ी है और न ही सरकार के निर्देश पर काम करती है।  वही दूसरी तरफ कई पूर्व सैन्य अधिकारियो ने इस चिट्ठी के लिखे जाने की बात काबुली है।

इस प्रकरण के सामने आने के बाद कांग्रेस सत्ताधारी दल भाजपा पर हमलावर हुआ है। कांग्रेस की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब पूर्व सैनिकों को सामने आना पड़ा है। 156 पूर्व आर्म्ड फोर्सेज, जिसमें 8 पूर्व सेना, वायु सेना और नेवी के अध्यक्ष रहे हैं, उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर सेना के राजनीतिकरण किये जाने की बात लिखी है। मोदी और अमित शाह लगातार ऐसा कर रहे हैं। योगी आदित्यनाथ ने तो सेना को ‘मोदी की सेना’ तक कह दिया। राष्ट्रपति को तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए।  दूसरी तरफ रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी सूरी की बात को उठाया और कहा कि इस तरह की हरकत निंदनीय है। हालांकि जब उनसे पूछा गया कि कुछ पूर्व अधिकारियों ने पत्र लिखने की बात स्वीकारी है तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

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