हिंदू को धर्म न मानने वाले देश में कर रहे हिंदू राजनीति – स्वामी अविमुक्तारेश्वरानंद

ए. जावेद

वाराणसी. नरेंद्र मोदी ने अपने एक वक्तव्य जिसकी वीडियो क्लिप मौजूद है, में साफ तौर पर कहा है कि हमारी दृष्टि में हिंदू कोई धर्म नहीं है। वह तो जीवन पद्धति है। हम अपने घोषणा-पत्र आदि ने जहां-जहां हिंदू शब्द का प्रयोग करते हैं उसका मतलब हिंदू धर्म से नहीं होता है। ऐसे ही विचार भाजपा और उनसे जुड़े संघ आदि संस्थाओं के भी हैं। वे मानते हैं कि हिंदुस्तान में जन्मा कोई भी व्यक्ति हिंदू है। हिंदू शब्द राष्ट्रीयता का वाचक है, धर्म का नहीं। यह विचार उनके एकात्म राष्ट्रवाद को पोषित करता है। विडंबना कि जो हिंदू को धर्म ही नहीं मानता वह देश में धड़ल्ले से हिंदुओं की राजनीति कर रहा है और हिंदू धर्म मानने वाले लोग उनका नेतृत्व भोगने के लिए बाध्य हैं।

उक्त बाते एक पत्रकार वार्ता में धर्मसंसद प्रमुख और मंदिर बचाओ आन्दोलन के संस्थापक स्वामी अविमुक्तारेश्वरानंद ने कही. उन्होंने कहा कि 80 करोड़ धार्मिक हिन्दू भाजपा के इस वक्तव्य के बाद से स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे. उन्होंने कहा कि पिछली 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 97 करोड हिंदू हैं। इन 8 वर्षों में कुछ और बढ़ोतरी हुई होगी। अतः आज की तिथि में मोटा-मोटी 100 करोड़ हिंदू देश में हैं। इन 100 करोड़ हिंदुओं में से 10 करोड़ प्लस भाजपा जैसा कि उसके वर्तमान अध्यक्ष अमित शाह गर्व से बतलाते हैं, लगभग 1 से 2 करोड़ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, एक करोड़ के करीब विश्व हिंदू परिषद् और इसी तरह 1-2 करोड़ बजरंग दल, दुर्गा वाहिनी, किसान मजदूर संघ आदि उनसे जुड़ी अनेक संस्थाओं के लोग भी मान लें तो यह संख्या 15 करोड़ पहुंचती है। यदि इसे 20 करोड़ भी मान लें तो प्रश्न उठता है कि बाकी के 80 करोड़ हिंदू कौन हैं?

उन्होंने कहा कि कहना होगा कि यह सनातनी हिंदू हैं जो मुस्लिम विरोध और राष्ट्रवाद की संकीर्णता को अपनाने के कारण नहीं, अपितु हिंदू धर्म और उनके धर्मशास्त्र को मानने के कारण हिंदू हैं, जिनके पूर्वजों ने वसुधैव कुटुंबकम् का उद्घोष किया था। सनातनी नेतृत्व के न उभरने के कारण आज भी 80 करोड़ सनातनी धार्मिक हिंदू स्वयं को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।

परमधर्संसद् सनातन धर्मियों को राजनीतिक दृष्टि से अपना नेतृत्व खड़ा करने की करेगा अपील

उन्होंने कहा कि 80 करोड़ से अधिक सनातनी धार्मिक हिंदू ही तीर्थ यात्रा करते हैं, गंगास्नान करते हैं, पर्व त्यौहार मनाते हैं परंतु वह मूलरूप से संतोषी प्रवृत्ति के होने के कारण राजनीति में भाग लेने से बचते हैं और इसे गंदगी मानते हैं परंतु यह भी सच है कि राजनीति का प्रभाव समाज पर पड़ता है और जिस समाज की राजनीति में सहभागिताा नहीं होती है उसे बहुत कुछ भुगतना पड़ता है। काशी में मंदिर इसीलिए टूटे क्योंकि संसद् और विधानसभाओं में इस प्रश्न को उठाने वाला कोई नहीं था। अतः अब आवश्यकता पड़ गई है कि सनातनी नेतृत्व सामने आए और सनातनी राजनीति का पुनः आरंभ हो। परमधर्संसद् इस बात की आवश्यकता का अनुभव करती है और इसीलिए सनातनधर्मियों को राजनीति में आने, सनातनी राजनीति करने और नेतृत्व विकसित करने की अपील करती है।

रामनवमी को जारी होगा परमधर्म हिंदू घोषणा-पत्र

परमधर्संसद् 1008 की ओर से आगामी रामनवमी को एक परमधर्म हिंदू घोषणा-पत्र जारी किया जाएगा जिसमें सनातनधर्मी हिंदुओं की आकांक्षाओं का उल्लेख होगा। सभी राजनीतिक दलों से इस माध्यम से अपेक्षा की जाएगी कि वे 80 करोड़ से भी अधिक सनातनियों की आकांक्षाओं का संज्ञान ले और तदनुरूप कार्य करें। यदि वर्तमान राजनीतिक दलों ने इस पर ध्यान और तदनुरूप बर्ताव नहीं किया तो स्वाभाविक है कि सनातनी अपने हितों की रक्षा के लिए स्वयं आगे आएगा।

अगर नही बदला व्यवहार तो अगली बार सन्तों की सरकार

परमधर्मसंसद् 1008 कोर कमेटी की बैठक में लिए गये निर्णयों के अनुसार यदि सनातनियों की बात अनसुनी रहती है तो परमधर्मसंसद् सन्तों से अनुरोध करेगी कि वे आगे आएॅ और एक बार देश को सन्तों की सरकार देकर जनाकांक्षा की पूर्ति करें। तथाकथित रुप से गंगाजी के बुलाने पर आए नरेंद्र मोदी जी के राज्य में गंगा जी की अविरल धारा के लिए तपस्यारत स्वामी सानंद जी 112 दिन की तपस्या के बाद भी अनसुना कर दिए जाने पर बलिदान दे ही चुके हैं। अब उन्हीं की राह पर विगत 160 से भी अधिक दिनों से उन्हीं उद्देश्यों के लिए हरिद्वार के मातृ सदन आश्रम में स्वामी शिवानंद सरस्वती जी के प्रिय शिष्य स्वामी आत्मबोधानन्द जी भी तपस्यारत हैं। परमधर्संसद् 1008 उनके स्वास्थ्य व जीवन के लिए चिंतित है। निर्णय लिया गया कि आने वाली नवरात्रि की अष्टमी तिथि को विविध स्थानों पर 1 दिन का उपवास किया जाएगा और देवी माता से प्रार्थना की जाएगी कि वर्तमान शासकों को सद्बुद्धि मिले।

लिए गये अनेक निर्णय, आगामी वर्ष का कार्यक्रम और बजट हुए निर्धारित

परमधर्संसद् 1008 की कार्य परिषद् की बैठक में अनेक निर्णय लिए गए और अगले पूरे वर्ष का कार्यक्रम निर्धारित किया गया जिसमें अनेक लोक-कल्याणकारी कार्यक्रमों के अनुष्ठान सहित भारत-परिक्रमा और सभी प्रदेशों में परमधर्मसंसद् का सम्मेलन सम्मिलित है। यह भी निश्चय किया गया कि परमधर्संसद् 1008 का अगले वर्ष का (चैत्र से चैत्र 2076 वि) के लिए 10 करोड का बजट रखा जाए। इसके लिए लगभग 3 लाख लोगों से एक-एक रुपये प्रतिदिन लेकर सनातन धर्म की रक्षा का यह बजट जुटाया जाए।

परमधर्मसंसद् 1008 कोई एनजीओ नहीं

परमधर्मसंसद् 1008 एक वृहद् संसद् है, न कि कोई ट्रस्ट, एनजीओ या परिषद् या संगठन जैसे कि आर एस एस या बजरंग दल । यह एक वृहद् नियमावली के अन्तर्गत प्राचीन परम्परा जो कि वेद के मूल स्वरूप के ही अन्तर्गत संसद् की तरह कानून, विचार, जीवन शैली, पहचान और योजनाओं के अस्तित्व को बताती और सिखाती है इसलिए इसे कोई संगठन की तरह न समझे, इसे ईश्वरीय व्यवस्था का अंग समझें।

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *