एग्जिट पोल पर तारिक आज़मी की मोरबतियाँ – हमारे मन की बात मेरा पडोसी कैसे बता रहा है?

तारिक आज़मी

सभी चरणों के मतदान ख़त्म हो चुके है। अब एग्जिट पोल अपने तरीके से सरकार बनाते एनडीए को दिखा रहे है। कुछ तो अकेले भाजपा को ही 300 सीट दिखा रहे है। खैर जैसा भी हो मगर लगता है कि एनडीए को जो सीट मिल भी नही रही है वह भी दिलवा कर मानेगे। लगातार चुनावों में मोदी की लहर तलाश रहे टीवी चैनलों को चुनाव तक लहर कही नज़र नही आई। हां एग्जिट पोल वालो को ज़मीन के नीचे करेंट लगता है ज़रूर मिल गया। फिर क्या था। आखरी चरण का चुनाव मतदान ख़त्म हुआ ही था कि तत्काल कुछ मिनटों में एग्जिट पोल आने का सिलसिला कायम हो गया।

आज सुबह के अखबार आप उठा कर पढ़ ले। हर अखबार का पहला पन्ना मोदीमय हो रहा है। सभी लगे है लाइन में कि किसने किसको पिछाड़ा। इसी आपा धापी में धीरे से सेंसेक्स ने खेल किया और शेयर मार्किट में दस हज़ार करोड़ से अधिक की खरीदारी हो गई। अब आप सोचते रहिये कि खरीदार इसमें कौन है और बिकवाल कौन है। क्योकि खेल तो इतना बारीक होता है कि इस खेल के अन्दर आम जनता न रो पाती है न किसी से कह पाती है। बड़े पूंजी के साथ खेलने बैठे इंट्राडे में छोटे छोटे अपनी रकम डूबा बैठते है। फ्यूचर से अपने भविष्य को संवारते संवारते लगता है खुद का भविष्य बिगाड़ डालते है। आखिर खुद अपना ज़ेहन दौडाये न, कि दस हज़ार से अधिक की खरीदारी करने वाले कौन लोग है ? फिर ये भी सोचे कि बिकवाल कौन है ? अगर किसी कंपनी का शेयर आगे जाकर बढ़ना है और मैंने इन्वेस्टमेंट फायदे के लिए किया है तो फिर हम बिकवाल क्यों होंगे ?क्या खरीदार यहाँ बिकवाल से ज्यादा समझदार है ?

बहरहाल हमको क्या है हम तो दूर से बैठ कर तमाशा देखते है। शेयर मार्किट में खरीदारी आए और आम जनता अपना पैसा इन्वेस्ट करे वही कार्पोरेट ट्रेडर्स उनको अपना माल बेचे या फिर न बेचे हमको क्या गरज गई है। सोचने की बात तो ये है कि हर्षद मेहता वाले प्रकरण में कई लोग आपको मिले होंगे जो कहते है कि उनको काफी नुकसान हुआ और आर्थिक रूप से दिवाला पिट गया है। मगर एक बात नही समझ आई कि फिर बड़े कार्पोरेट ट्रेडर्स को नुकसान बड़ा होना चाहिये। तो ये नुकसान बड़ा क्यों नही होता है ?

अब आप एग्जिट पोल को ही ले ले। कल जबसे एग्जिट पोल आये है हमारे सूत्र और मीडिया रिपोर्ट्स कह रही है कि कई हज़ार करोड़ का सट्टा हो चूका है। आखिर सत्ता के लिए सट्टा लगाने वाले और लगवाने वाले कौन है ? उनको क्या फायदा है ? एक रेट जो काफी नीचे थे आज वो नाम टॉप कर रहा है। फिर ये सत्ता हेतु सट्टा व्यवसाय वाले कौन है ? आपने सुना अक्सर होगा कि सट्टा बाज़ार में आज का ये रेट खुला। इस रेट को खोलने वाला कौन है ? और देता कौन है इसको ? देखिये हमारे सवालो को अगर आप समझ जायेगे तो फिर ये भी आसानी से समझ जायेगे कि ये एग्जिट पोल को करने करवाने के फायदे क्या है ?

वैसे तो 20 साल से कभी एग्जिट पोल सही साबित नही हुवे है। आज अगर ये साबित हुवे तो फिर वाकई करिश्माई होगा। एकलौता ऐसा काम है कि जो 20 साल से लगातार गलत साबित हो रहा है मगर फिर भी इस काम को गलत करने के लिए पैसे मिलते है। अपनी स्पष्टवादी टिप्पणी के लिए सदा मशहूर रहे उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने तो कहा भी कि एग्जिट पोल को एगजैक्त पोल नही माना जा सकता है। फिर भी देश में लोग आखिर इसको सरकार हेतु अंतिम फैसला मान कर चैनलों पर लम्बी चौड़ी बहस क्यों कर रहे है। इसी एग्जिट पोल के बाद जब भाजपा को खुशिया मनाना चाहिये तो फिर प्लान बी की तैयारी के तहत डिनर पार्टी का आयोजन क्यों हो रहा है ? शायद सवाल और भी है मगर जवाब हमे और आपको तलाशना है।

आज एक बार फिर हम आपको कह रहे है कि एक दशक ऐसा भी रहा है जिसमें टेलिविज़न का नाम बुद्दू बक्सा तक दे दिया गया था। ये वो वक्त था जब टीवी के कान उमेठा जाए तो हर जगह राजीव गांधी के दर्शन होते थे। उस समय मीडिया ने ही ये नाम दिया था। तो कहना चाहूँगा कि अन्य चैनल भी आते है जो बढ़िया मनोरंजन देते है। फिर भी वक्त और ज्यादा हो तो फिल्मो के चैनल है और फिर भी वक्त मिल जाता है तो क्राइम पेट्रोल दस्तक तो है ही। अच्छा वक्त पास हो जायेगा आपका। आपके दिल की बात आपका पडोसी नही बता सकता है ये आप हमेशा ध्यान में रखियेगा। करोडो लोगो के नज़रियो को चंद लाख लोग कैसे बता सकते है ये आप भी समझ रहे है। फिर कहूँगा टीवी को थोडा रेस्ट दीजिये अगर ऐसे ही वक्त है तो आप परिवार के साथ उस वक्त में कही घूम आइये, बच्चो की छुट्टिया भी है तो मौका भी है और दस्तूर भी है। वरना इस एग्जिट पोल के चक्कर में पड़े पड़े आपको कन्फ्यूज़न होता रहेगा कि आखिर जीत कौन रहा है क्योकि आपका एग्जिट पोल बताते हुवे जब आपका चैनल ऐसे की जीत आपके क्षेत्र में बताएगा जिसको सभी हार का खिताब पहना रहे है तो फिर आपका भी सर घूम जाएगा, इस लिए आपका सर घुमे इससे बेहतर है कि आप खुद परिवार के साथ घूम आये।

अगले अंक में हम आपको कुछ देर बाद बता रहे है कि आखिर एग्जिट पोल कैसे तैयार होता है और कितना खर्च आता है एक एग्जिट पोल पर। बने रहे हमारे साथ क्योकि हमारे लिए आपको रिमोट नही दबाना है आपके जेब में पड़े हुवे वो जो स्मार्ट फोन है वही आपका साथ हो जाता है।

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