संबित पात्रा – खाना भी खाया, गाना भी गया, मीडिया ने भी खूब दिखाया, मगर नजदीकी मुकाबले में हारे पात्रा
आफताब फारुकी
नई दिल्ली. लगता है जनप्रतिनिधित्व अभी संबित पात्रा के कुंडली में नहीं है। कारपोरेशन इलेक्शन हारने के बाद इस बार संबित पात्रा को भाजपा ने पूरी से टिकट दिया। टिकट मिलने के बाद से पात्रा ने अपना डेरा पूरी में जमा लिया। नामांकन जुलूस में भगवान की मूर्ति लिए चलने वाले संबित पात्रा ने पुरे चुनाव भर मीडिया को भरपूर मसाला दिया और मीडिया ने ओड़िसा की इस सीट पर काफी चर्चा भी किया। कही गाना गया तो पात्रा ने कही खाना खाया। भले ही इसकी फोटो और वीडियो वायरल होने पर वह ट्रोलर्स के शिकार हुवे मगर हर बाद मीडिया उनकी बचत करके उनके ऊपर पूरा फोकस किये हुई थी। मगर इसके बाद भी कम अंतर से ही सही संबित पात्रा चुनाव हार गए।
संबित पात्रा ने पूरी में चुनाव जीतने के लिए काफी मेहनत की। संबित खुद पुरी के रहने वाले नहीं है लेकिन जब उन्हें पुरी से उम्मीदवार के रूप में घोषित किया गया उनके पास सिर्फ दो महीने का समय था। संबित ने लोगों से भावनात्मक रूप से जुड़ने की कोशिश की। संबित रोज़ सभाएं और रैलियां करते थे। जहां रैली खत्म होता था वहीं सो जाते थे, किसी के भी घर में खाना खा लेते थे। संबित ने साथ-साथ अपनी वेश-भूषा भी बदल डाली। वह रोज़ धोती पहनते थे, चंदन टिका लगाते थे। पुरी में जो तेलुगु वोटर्स हैं उन्हें लुभाने के लिए तेलुगु में भाषण भी देते थे। वह तेलुगु में गाना भी गाने सिख गए थे। संबित ने मीडिया का भी काफी इस्तेमाल किया। पहली बार काफी नेशनल मीडिया ओडिशा के किसी लोकसभा उम्मीदवार को कवर करने के लिए पहुंचा था। संबित पात्रा ने पीएम मोदी के नाम से वोट मांग रहे थे। उन्हें पता था पुरी से जीतना इतना आसान नहीं है।
इस सबके बावजूद भी संबित पात्रा यह लड़ाई जीतते-जीतते हार गए। संबित पात्रा को पुरी से तीन बार सांसद रहे पिनाकी मिश्र ने 11714 वोट से हराया है। पुरी में लड़ाई बहुत नजदकी रही है। साबित पात्रा कभी आगे निकल जाते तो कभी पिनाकी मिश्रा। आखिरकार पिनाकी को जीत नसीब हुई। पिनाकी चौथी बार संसद पहुंचेंगे। 2014 में पिनाकी मिश्र यहां से 263361 वोट से जीत हासिल की थी।
2014 में बीजेपी यहां तीसरी स्थान पर थी लेकिन इस बार जीत के करीब पहुंच गई। संबित पात्रा की हार के पीछे बीजेडी के कोर वोटर हैं जो पिनाकी मिश्र के साथ खड़े रहे