सीएमएस के सामने खेल,पैसे दो,मेडिकल सर्टिफिकेट लो

प्रदीप दुबे विक्की

ज्ञानपुर, ।भदोही। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकारी विभागों में फैले भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। जिसके लिए उन्होंने भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों को कड़ी चेतावनी दी है। भ्रष्टाचार में लिप्त किसी भी सरकारी कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा। बावजूद सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार का दीमक पीएम और सीएम के तमाम निर्देशों व चेतावनी यों को ठेंगा दिखाकर जमकर लूटखसोट कर रहे हैं। कुछ ऐसा ही मामला ज्ञानपुर जिला चिकित्सालय चेेतसिंह का है। जहां पर तैनात जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी जनपद के लोगों को अच्छी और बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए तैनात किए गए हैं। वही अधिकारी व कर्मचारी लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं देने के नाम पर जमकर खुलेआम अवैध वसूली कर रहे हैं।

बताते चलें कि वेजिला चिकित्सालय चेेतसिंह के सीएमएस कार्यालय में मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने के नाम पर जमकर धन उगाही की जा रही है। हालात यह है कि कार्यालय में बाबुओं को सीएमएस का भी जरा सा खौफ नहीं है। खुलेआम ₹100 से लेकर 200 रुपये में मेडिकल सर्टिफिकेट मुहैया कराया जा रहा है। सोमवार को न्यायाधीश रिपोर्टर पर्ची काउंटर पर पहुंचे और एक रुपये की पर्ची कटवाने के बाद सीएमएस कार्यालय में घुसा। जहां कुछ और स्टूडेंट की भीड़ लगी थी। जो अपना मेडिकल सर्टिफिकेट बनवा रहे थे। फार्मेल्टी पूरा करने के बाद कार्यालय में तैनात बाबू उस फार्मो कोलेकर साहब के पास जाता है। वहां से हस्ताक्षर हो जाने के बाद वह सर्टिफिकेट लेकर बाहर आता है, और बांटना शुरू कर देता है। इस दौरान वह बार्गेनिंग भी चलती रहती है।किसी से ₹100 तो किसी से 200 रुपये तक लिए जा रहे थे। जबकि मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने के लिए स्टूडेंट को ₹16 देने के लिए अनिवार्य किया गया है। यह हम नहीं बल्कि जिला अस्पताल के कुछ कर्मचारी कह रहे हैं। लेकिन जल्द मेडिकल के नाम पर 200 तक वसूले जा रहे है। मजबूरी व परेशानी के हालत में स्टूडेंट पैसे दे रहे हैं। इस दौरान कुछ लोग ऐसे भी दिखे ,जो रुपया देना नहीं चाह रहे थे। ऐसी हालत में सर्टिफिकेट बनवाने के पहले मेडिसिन, फिर सर्जन, इएनटी, आई जांच, ब्लड टेस्ट भी करवाना पड़ता है। यह सारी रिपोर्ट एक दिन में मिल जाएगी, इसकी कोई गारंटी नहीं रहती है। ऐसे में अगले दिन फिर आकर दूसरी जांच के लिए दौड़ लगानी पड़ेगी। इस झंझट से बचने के लिए लोग बाबू को पैसे देकर सर्टिफिकेट बनवा रहे हैं।

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