सीएचसी में एबीबीपी कार्यकर्ताओं का तांडव, कई घंटे बंद रही ओपीडी, मरीजो में अफरातफरी का हुआ माहोल, अधीक्षक ने दी कोतवाली में तहरीर
फारुख हुसैन
मोहम्मदी खीरी. मोहम्मदी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रदर्शन के नाम पर एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने जमकर दबंगई किया। मरीजों की परेशानी को दरकिनार कर अस्पताल में ताला लगा दिया और मरीजों को अस्पताल से खदेड़ कर बाहर कर दिया। इस पूरे हंगामे के दौरान डॉक्टर और कर्मचारी बेबस बने खड़े रहे। मरीज इलाज के लिए तड़पते रहे और प्रशासन तमाशा देखता रहा, डॉक्टरों की ओर से अभद्रता, अभिलेख पढ़ने तथा मरीजों के साथ धक्का-मुक्की कर चिकित्सकीय कार्य में बाधा पहुंचाने की घटना की तहरीर कोतवाली में दी गई है।
घटना के सम्बन्ध में प्राप्त समाचारों के अनुसार मोहम्मदी कस्बे में बुधवार की रात एक हादसा हुआ हुआ था। बाइक से घर जा रहे युवक को एक ट्रक ने टक्कर मार दी थी। हादसे में जख्मी युवक को अस्पताल लाया गया, जहां से उसे शाहजहांपुर रेफर कर दिया गया। रास्ते में युवक की मौत हो गई। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने युवक की मौत के पीछे डॉक्टरों की लापरवाही का आरोप लगाया और शुक्रवार को बिना किसी अल्टीमेटम के एबीवीपी कार्यकर्ता भारी हुजूम के साथ मोहम्मदी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंच गए।
उस वक्त ओपीडी चल रही थी और डॉक्टर मरीजों को देख रहे थे, लेकिन इन सब बातों को दरकिनार कर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने अस्पताल में हंगामा शुरू कर दिया। यही नहीं कार्यकर्ताओं ने मरीजों को खदेड़ बाहर कर दिया और स्वास्थ्य केंद्र में ताला लगा दिया। इसके बाद सभी धरने पर बैठ गए। मौके पर पहुंचे उपजिलाधिकारी स्वाति शुक्ला ने किसी तरह समझा-बुझाकर धरना प्रदर्शन खत्म कराया।
छात्र संगठन की इस दबंगई के आगे डॉक्टर और कर्मचारी बेबस बने खड़े रहे। तमाम कर्मचारी मौके से भाग निकले। सूचना पुलिस को भी दी गई। लेकिन पुलिस भी इन कार्यकर्ताओं को रोकने की हिम्मत नहीं कर सकी। हालत यह रही कि इमरजेंसी से लेकर ओपीडी सब बंद कर दिया गया। मामले के संबंध में अधीक्षक की तरफ से कोतवाली में एबीपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ तहरीर दी गई। इस संबंध में कोतवाली निरीक्षक से जानकारी चाही तो बताया मामला संज्ञान में है। तहरीर भी आई है। मामले में जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
बात यही इतनी सी नहीं है। डाक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाने वाले एबीवीपी कार्यकर्ताओ के इस तांडव का सबसे बड़ा प्रभाव गरीब मरीजों को पड़ा। ओपीडी चलती हुई बंद करवा कर गेट पर ताला मार देने से डाक्टरों की फजीहत जितनी भी हुई हो मगर सबसे ज्यादा कष्ट उन गरीब मरीजों को हुआ जो इलाज करवाने के लिए अस्पताल में आये थे। मगर प्रशासन केवल पुरे घटनाक्रम में समझाने की स्थिति में ही दिखाई दिया। प्रशासन भी शायद सत्ता का दबाव लेकर बैठे इन कार्यकर्ताओ से आमने सामने नहीं करना चाहता था। मामूली बातो पर तहरीर मिलने के बाद तत्काल मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही करने वाली उत्तर प्रदेश पुलिस सत्ता पक्ष के संगठन के खिलाफ तहरीर पड़ने के बाद उसकी जाँच की बात कहे तो सत्ता का दबाव साफ़ झलक जाता है।