विपक्ष के कड़े एतराज के बावजूद राज्य सभा में तीन तलाक़ बिल हुआ पास, जाने क्या है तीन तलाक़ पर नया प्रावधान
आफताब फारुकी
नई दिल्ली. विपक्ष के कड़े ऐतराज और बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग के बीच तीन तलाक बिल राज्यसभा से पास हो गया। राज्यसभा में बिल के समर्थन में 99, जबकि विरोध में 84 वोट पड़े। इससे पहले विपक्ष की बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग भी सदन में गिर गई। वोटिंग के दौरान बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने के पक्ष में 84, जबकि विरोध में 100 वोट पड़े। अब इस बिल को स्वीकृति के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा।
राज्यसभा से तीन तलाक बिल पास होना मोदी सरकार की बड़ी जीत मानी जा रही है। बिल पास होने के बाद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आज एक ऐतिहासिक दिन है। दोनों सदनों ने मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिया है। यह एक उन्नतिशील भारत की शुरुआत है।
बिल पर चर्चा के लिए चार घंटे का समय तय किया गया था। बिल को लेकर बीजेपी ने अपने सांसदों को पहले ही व्हिप जारी कर दिया था। राज्यसभा में बिल को पास कराने के लिए मोदी सरकार की राह उस समय आसान हो गई जब जेडीयू और एआईएडीएमके के सदस्यों ने सदन से वॉकआउट कर दिया था। नितीश कुमार की जेडीयु हमेशा से तीन तलाक बिल का विरोध कर रही थी। इस विरोध के बावजूद सरकार से अपनी मित्रता निभाते हुवे जेडीयु ने मतदान के समय सदन से वाकआउट कर देने से सरकार का पक्ष मजबूत हो गया। बताते चले कि सदन में एआईडीएमके के कुल 11 और जेडीयु के कुल 6 सदस्य है।
तीन तलाक बिल में क्या हैं प्रावधान:
- तुरंत तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को रद्द और गैर कानूनी बनाना
- तुरंत तीन तलाक को संज्ञेय अपराध मानने का प्रावधान, यानी पुलिस बिना वारंट गिरफ़्तार कर सकती है
- तीन साल तक की सजा का प्रावधान है
- यह संज्ञेय तभी होगा जब या तो खुद महिला शिकायत करे या फिर उसका कोई सगा-संबंधी
- मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकता है. जमानत तभी दी जाएगी, जब पीड़ित महिला का पक्ष सुना जाएगा
- पीड़ित महिला के अनुरोध पर मजिस्ट्रेट समझौते की अनुमति दे सकता है
- पीड़ित महिला पति से गुज़ारा भत्ते का दावा कर सकती है
- इसकी रकम मजिस्ट्रेट तय करेगा
- पीड़ित महिला नाबालिग बच्चों को अपने पास रख सकती है. इसके बारे में मजिस्ट्रेट तय करेगा