अकीदत के साथ मनाया गया कुर्बानी और त्याग का पर्व ईद-उल-अजहा
प्रदीप दुबे विक्की
ज्ञांनपुर, भदोही। खुदा की राह में सबसे अजीज चीज कुर्बानी देने का पर्व ईद- उल -अजहा (बकरीद) समूचे जनपद में अकीदत के साथ मनाई गई।सुबह ईदगाहों और मस्जिदों में लोगों ने विशेष नमाज अदा की। इस दौरान अकीदतमन्दों ने मुल्क की सलामती और खुशहाली की दुआ मांगी। एक दूसरे से गले मिलकर त्योहार की मुबारकबाद दी। सुबह 8:00 बजे से 10:00 बजे तक ईदगाह और विभिन्न मस्जिदों में ईद उल अजहा की विशेष नमाज अदा की गई। नमाज पढ़कर ईदगाह व मस्जिद में से निकले लोगों ने एक दूसरे के गले मिलकर तोहार की मुबारकबाद देने के पश्चात खुदा की राह में बकरों की कुर्बानी दी। नमाज के बाद बाहर निकले लोगों ने मिलकर बच्चों के साथ-साथ कहीं न कहीं लोग विशेष मेले में जमकर लुफ्त उठाया। बच्चों ने ज्यादातर झूलों का आनंद लिया। वहीं लोग खरीददारी में जुटे रहे।
ज्ञांनपुर नगर में ईद-उल-अजहा की नमाज सुबह 8:00 बजे पुरानी बाजार ज्ञानपुर के ईदगाह में हजरत मौलाना नजीर आलम (प्रिंसिपल मदरसा अरबिया नजीबुल उलूम) ने किबला इमामत फरमाया। इस मौके पर हजारों लोगों ने एक साथ शामिल होकर नमाज अदा की। गौरतलब है कि कुर्बानी की रस्म अदा करने के बाद उसे तीन हिस्सों में बांटने की परंपरा है। जिसका एक हिस्सा यतीमों-गरीबों में, दूसरा रिश्तेदारों में व तीसरा हिस्सा परिवार के लिए रखा जाता है। कुर्बानी का यह पर्व अभी मंगलवार और बुधवार यानी तीन दिन और चलेगा।
मदरसा अरबिया नजीबुल उलूम के मौलाना नजीर आलम ने बताया कि ईद उल अजहा मनाने का मकसद दूसरों की खुशी के लिए खुद को बलिदान कर देना है। बताया कि हजरत इब्राहिम अलै० अपने पुत्र हजरत इस्माइल अलै०को इसी दिन खुदा के हुक्म पर कुर्बान करने जा रहे थे। तभी अल्लाह ने उनके पुत्र को जीवनदान दे दिया। उसी की याद में यह कुर्बानी का पर्व मनाया जाता है। इससे यह सीख मिलती है कि दूसरों की खुशी में यदि खुद को भी कुर्बान करना पड़े तो पीछे नहीं हटना चाहिए।
इसी प्रकार गोपीगंज नगर में भी त्याग और बलिदान का पर्व ईद-उल- अजहा पारंपरिक हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया। इस मौके पर मुस्लिम समुदाय ने बकरों की कुर्बानी देकर पाक परवरदिगार से मुल्क और समाज की सलामती की दुआ की। ईद-उल-अजहा को लेकर नगर में नमाज का प्रोग्राम गेराई़ स्थित ईदगाह में अदा किया गया। अपनी तकरीर में जामा मस्जिद के इमाम मौलाना अनीस ने कहा कि इन दिनों में अल्लाह के नजदीक कुर्बानी से पसंदीदा कोई अमल नहीं है। कुर्बानी के जरिए अल्लाह की कुरबत हासिल होती है। अल्लाह की राह में अधिक से अधिक कुर्बानी की जानी चाहिए। बकरीद पर कुर्बानी करना सिर्फ उन मुसलमानों के लिए फर्ज होता है जो आर्थिक रूप से मजबूत होते हैं। इस्लाम की मान्यता के अनुसार हजरत इब्राहिम खुदा के हुक्म पर खुदा की राह पर अपने बेटे हजरत इस्माइल को कुर्बान करने जा रहे थे,
बताया कि उन्होंने जैसे ही अपने प्यारे बेटे की गर्दन पर आंख बंद करके छूूरी चलाई तो पुत्र की बजाए दुम्बे (बकरे की आवाज सुनी और आंख खोला तो देखा इस्माइल के बजाय दुम्बे (बकरे) की गर्दन कटी थी। अल्लाह ने इब्राहिम के इस नेक जज्बे को देखते हुए स्माइल की जान बख्श दी। इस्माइल की जगह बकरा कुर्बान हो गया था। इसी की याद में ईद उल अजहा का पर्व मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि रसूल के बताए तरीके पर दुनिया में मोहब्बत, भाईचारा, खुशाहाली फैले, हमें इसका पुरजोर प्रयास करना चाहिए।
इस क्रम में फूल बाग गोपीगंज स्थित ईदगाह में पेश इमाम हाफिज मुर्तुजा ने ईद उल अजहा की नमाज अदा कराई। नमाज के बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अल्लाह की बारगाह में दोनों हाथों को बुलंदी से फैला कर देश में खुशहाली,मुल्क की तरक्की एवं आपसी सौहार्द और भाईचारे के लिए सामूहिक दुआ मांगी। जिले के जंगीगंज बाजार, कटरा, कोइरौना, खमरिया, माधोसिंह, घोसिया, औराई, बाबूसराय, उगापुर, चौरी, भदोही, नई बाजार आदि मस्जिदों व ईदगाहों में ईद उल अजहा की नमाज अकीदत के साथ पढ़ी गई और बकरीद का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।