आखिर क्या थी वजह जो रात के अंधेरे में आवास विकास परिषद के जलाए गए दस्तावेज ?
सरताज खान
गाजियाबाद लोनी। बीती रात आवास विकास परिषद के कार्यालय के बाहर दीवार के नीचे कुछ रद्दी कागज जलाए गए है। जिनसे उठता धुंआ वहाँ धरनारत किसानों ने देख लिया और उन्होंने मौके पर जाकर जैसे ही वीडियो बनानी शुरू की।तभी रद्दी कागज जला रहे कर्मचारी मौके से भाग खड़े हुए और किसानों ने उन अधजले कागजो को उठाकर देखा। जिसमे किसानों ने आरोप लगाया कि आवास विकास के अधिकारी देर रात को रद्दी जलाने की आड़ में भ्र्ष्टाचार से सम्बन्धित जरूरी कागजरात जला रहे थे और उन्होंने मांग की है कि इसकी जांच होनी चाहिये।
धरनारत किसान नीरज त्यागी ने बताया कि आवास विकास परिषद के अधिकारियो ने रात करीब 8 बजे कई महत्वपूर्ण फ़ाइलो को आग के हवाले कराया। आरोप है कि परिषद के भृष्ट अधिकारियो ने रद्दी कागजो की आड़ में महत्वपूर्ण फाइलो को जलाया है जिसकी जाँच होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि रात करीब 8 बजे धरने पर बैठे किसानो ने आवास विकास परिषद के कार्यालय की दीवार के पास धुआं उड़ता देखा तो किसान दौड़कर धुंए की तरफ को दौड़े तो देखा कि परिषद कार्यालय की दीवार के पीछे आवास विकास परिषद के कुछ कर्मचारी फाइल व अन्य कागजात ढेर लगाकर जला रहे हैं।
जब धरनारत किसान मौके पर पहुँचे तो फाइलो का ढेर लगभग जलकर राख हो चूका था जैसे किसान अपने मोबाइल फोन से जलती फाइलो के फोटो व वीडियो बनाने लगे तो सभी कर्मचारी भाग खड़े हुए। कुछ कागजात किसानो द्वारा आग से बचा लिए गए। नीरज त्यागी का आरोप है कि जो कागजात धरनारत किसानो द्वारा बचाये गए उनमे लगभग सभी आदेश व प्रत्यावेदन 2017 के हैं तथा 2017 में ही मंडोला योजना के आवास विकास परिषद कार्यालय में आग लगी थी जिससे यह प्रतीत हो रहा है कि परिषद के भृष्ट अधिकारियों ने ही महत्वपूर्ण फाइलो को नष्ट करने के उद्देश्य से कार्यालय की एक यूनिट को 2017 में जलाकर राख कर दिया होगा।
आरोप है कि तत्कालीन जॉइंट कमिश्नर ने भी कुछ अधिकारियो द्वारा मिटटी बिक्री घोटाले व भ्र्ष्टाचार की जाँच के आदेश दिए थे लेकिन जाँच कहाँ दफन हो गयी इसका कुछ पता ही नही चला और रात जलाई गई फाइलो का कार्यालय में लगी आग से जरूर कोई सम्बन्ध है जिसकी जाँच होनी चाहिए।बता दे कि दिसम्बर 2016 से मुआवजे की मांग को लेकर मन्डोला सहित 6 गांव के किसान आवास विकास परिषद के खिलाफ धरने पर बैठे है।