ऑटो सेक्टर और टेक्सटाइल्स सेक्टर में नौकरिया जाने की खबरों के बीच, अब पारले जी कर सकता है कर्मचारियों की छटनी
तारिक ज़की
बंगलुरु: ग्लूकोज़ बिस्किट के नाम पर आपको एक ही नाम याद आता होगा वह है पारले जी, बताते चले कि 4 बिलियन डॉलर से अधिक का सालान राजस्व लाने वाली इस कम्पनी का मुख्यालय मुंबई में है। इस भारत के सबसे पुराने ब्रांड पारले जी की स्थापना 1927 में हुई थी। इस कम्पनी में में लगभग एक लाख लोग काम करते हैं। इसमें कंपनी के 10 प्लांट और 125 थर्ड पार्टी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में प्रत्यक्ष और कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले कर्मचारी शामिल हैं। अब एक बार फिर से यह कम्पनी चर्चा में आई है। इस बार कारण इसका कारोबार नही बल्कि कारोबार में आई गिरावट के कारण कर्मचारियों की छटनी करने के संभावित इरादों के कारण है।
ऑटो सेक्टर और फिर टेक्सटाइल्स सेक्टर में मंदी की मार और कर्मचारियों की छटनी के खबर के बीच अब ऍफ़एमसीजी के फ़ूड सेक्टर में भी मंदी ने अपनी पैठ दिखानी शुरू कर दिया है। इस बीच भारत में बिस्किट के लिए मशहूर ब्रांड पारले जी यानी पारले प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड आर्थिक मंदी और ग्रामीण क्षेत्रों में मांग में कमी आने के बाद उत्पादन में कटौती के कारण दस हजार लोगों की छंटनी कर सकता है।
बीते बुधवार को कंपनी के एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में गिरावट के कारण कार से लेकर कपड़ों तक हर तरह की बिक्री कम हो गई है। इसके कारण कंपनियों को अपने उत्पादन में कटौती करनी पड़ रही है और वे उम्मीद जता रही हैं कि अर्थव्यवस्था की रफ्तार को बढ़ाने के लिए भारत सरकार कोई कदम उठाएगी। कंपनी के कैटेगरी हेड मयंक शाह ने बताया है कि पारले बिस्किट की बिक्री में कटौती का सीधा मतलब है कि कंपनी को अपने उत्पादन में कटौती करनी पड़ेगी, जिसके कारण 8-10 हज़ार लोगों की नौकरियां जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि हालात इतने बुरे हैं कि अगर सरकार ने तत्काल कोई कदम नहीं उठाया तो हम यह कदम उठाने के लिए बाध्य हो जाएंगे।
हालांकि, पारले एकमात्र खाद्य उत्पादन कंपनी नहीं है, जिसकी मांग कम हो रही हो। पारले की मुख्य प्रतिद्वंदी ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक वरुण बेरी ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि मात्र 5 रुपये का सामान खरीदने के लिए ग्राहक दो बार सोच रहे हैं। विश्लेषकों के साथ एक कॉन्फ्रेंस में बेरी ने कहा था कि निश्चित तौर पर अर्थव्यवस्था में कुछ गंभीर समस्या है।