इन 5 सीटों पर कुल मिलाकर 7 हजार वोट पाकर सूबे की सबसे बड़ी पार्टी होती कांग्रेस
अब्दुल बासित मलक- हरियाणा
हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली बीजेपी को कांग्रेस ने कड़ी चुनौती दी है। आपसी कलह और नेताओं की फूट के बावजूद पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा का अनुभव पार्टी के काम आया और वहां उसे 31 सीटों पर जीत मिली है। राज्य की कुल 90 विधानसभा सीटों में से 40 पर बीजेपी विजयी रही जबकि 10 सीटें जीतने वाली जेजेपी किंगमेकर की भूमिका में है। राज्य की 9 सीटें अन्य के खाते में गई हैं।
हरियाणा में किसी भी पार्टी को बहुमत हासिल नहीं हुआ है और निर्दलीय के अलावा छोटे दलों का साथ पाकर बीजेपी सरकार बना लेगी। लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस अगर थोड़ा और दम दिखाती तो खट्टर सरकार की वापसी मुश्किल थी। राज्य की करीब 10 सीटें ऐसी हैं जहां जीत-हार का अंतर 2।5 हजार वोटों से भी कम रहा है। इनमें से कुछ सीटों पर तो कांग्रेस को ही शिकस्त मिली है। अगर यह सीटें कांग्रेस जीतती तो वह सूबे की सबसे बड़ी पार्टी बन सकती थी। फिर कांग्रेस को सबसे पहले सरकार बनाने का न्योता मिलता और अन्य दल भी उसके साथ जाने को तैयार हो जाते।
2 हजार से कम वोटों से मिली हार
सबसे पहले बात करते हैं थानेसर सीट की जहां कांग्रेस सिर्फ 842 वोटों से हारी है। इस सीट पर बीजेपी के सुभाष सुधा को जीत मिली है जबकि कांग्रेस के अशोक अरोड़ा कड़े मुकाबले में चुनाव हार गए। इसके अलावा रतिया सीट पर कांग्रेस के जनरैल सिंह बीजेपी उम्मीदवार से सिर्फ 1216 वोटों से चुनाव हार गए।
कैथल में भी कांग्रेस को शिकस्त झेलनी पड़ी जहां पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला को बीजेपी के लीलाराम ने 1246 वोटों से हरा दिया। यमुनानगर में भी कांग्रेस सिर्फ 1455 वोटों से चुनाव हार गई। इस सीट पर बीजेपी के घनश्याम दास ने कांग्रेस के दिलबाग सिंह को हराया है। बड़खल में कांग्रेस सिर्फ 2545 वोटों के अंतर से बीजेपी प्रत्याशी से चुनाव हार गई।
अगर पार्टी इन सीटों पर कुल मिलाकर कांग्रेस 7304 वोट हासिल कर लेती तो पार्टी के खाते में यह 5 सीटें और आ होतीं जबकि बीजेपी के खेमे से 5 सीटें कम हो सकती थीं। तब जाकर समीकरण बदल जाते और कांग्रेस की सीटों की संख्या 36 होती जबकि बीजेपी 35 के आंकड़े पर सिमट जाती। इसके बाद निर्दलीयों या जेजेपी को साथ लेकर सूबे में सरकार बनाने का दावा कांग्रेस भी पेश कर सकती थीं।
कांग्रेस की तरह बीजेपी को भी कुछ सीटों पर काफी कम अंतर से हार मिली है। मुलामा में पार्टी सिर्फ 1688 वोटों से चुनाव हार गई। ऐसे ही नीलोखेड़ी में बीजेपी को निर्दलीय प्रत्याशी ने 2222 वोटों से हराया है। रादौर में पार्टी को सिर्फ 2541 वोटों से हार मिली है। रेवाड़ी में 1317 वोटों ने कांग्रेस ने बीजेपी को हराया है। अगर इन सीटों पर बीजेपी को जीत मिलती तो बहुमत पाने में उसे दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता।
ऐसे ही कुछ सीटें ऐसी भी रहीं जहां कांग्रेस को मामूली अंतर से जीत मिली है। इनमें पुन्हाना की सीट शामिल है जहां कांग्रेस ने निर्दलीय प्रत्याशी को सिर्फ 816 वोटों से हाराया है। साथ ही असंध में कांग्रेस ने बसपा को सिर्फ 1703 वोटों से हराया है। खरखौदा में भी कांग्रेस प्रत्याशी ने जेजेपी पर सिर्फ 1544 वोटों से जीत दर्ज की है। मुलाना में कांग्रेस 1688 वोटों से चुनाव जीतने में सफल रही।