बुज़ुर्ग माँ, मंदबुद्धि भाई सहित परिवार पालते रामलाल को आखिर कैसे मिलेगा जॉब कार्ड और राशन कार्ड

प्रदीप दुबे विक्की

भदोही। सरकार के तरफ से तो गरीबों व आम आदमी के लिए कई कल्याणकारी योजना चल रही है और लोगों का इन योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है। लेकिन जिले में कुछ ऐसे भी परिवार या लोग है जिनको सरकार की योजना का लाभ जरूर मिलना चाहिए लेकिन अधिकारियों की उदासीनता और ग्राम प्रधान की लापरवाही या सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार की वजह से पात्रों को शासन के मंशा के अनुरूप लाभ नही मिल पाता है। और शासन को मनमानी आंकडे भेजकर खानापुर्ति कर ली जाती है।

इसका सबसे बडा उदाहरण है जिले में बने शौचालय। क्योकि जिला को खुले से शौच मुक्त कर दिया गया है लेकिन वास्तविकता पूरे जिला के लोग और अधिकारी खूब जान रहे है कि सरकार की इस बडी योजना के साथ कितना बडा मजाक हुआ है? फिरहाल सरकार की योजनाओं का लाभ पात्रों को मिलना जरूरी है लेकिन आज खास लोगों को पात्र बनाने में कुरेज नही करते जिम्मेदार लोग। और सच में पात्र व्यक्ति टकटकी लगाए ‘विकास’ का इंतजार करता रहता है।

भदोही जिले के अभोली ब्लाक के अन्तर्गत कनकपुर गांव के गोविन्दपट्टी में एक ऐसा परिवार है जिसे सरकार की योजनाओं का एक भी लाभ नही मिला है। जबकि इस परिवार को सख्त जरूरत है। कनकपुर निवासी रामलाल बिन्द जिसकी वृद्ध मां शान्ता देवी, मंदबुद्धि भाई रमाशंकर बिन्द, पत्नी तथा तीन बच्चे है। यह सात सदस्यीय परिवार का भरण पोषण रामलाल मेहनत मजदूरी करके करता है। पहले कालीन की बुनाई करता था लेकिन कई वर्षो से कालीन के बाजार में कमी की वजह से केवल मेहनत मजदूरी ही सहारा है। रामलाल का मनरेगा का जाबकार्ड भी नही बना है।

आवास के नाम पर भले ही सरकार सबको आवास देने की बात कह रही है लेकिन रामलाल का परिवार कई वर्षो से प्लास्टिक की झोपडी बनाकर रहता है। किसी भी ग्राम प्रधान ने रामलाल की गरीबी पर तरस न खाई और आज भी रामलाल प्लास्टिक की झोपडी में रहने पर विवश है। रामलाल के दो बेटे और दो बेटियां है जिसमें से रामलाल के बडी बेटी की शादी रिश्तेदारों ने किसी तरह कर दी लेकिन आज रामलाल के तीनों बच्चे गरीबी की वजह से पढाई बन्द कर दिये है। और शासन की मंशा की धज्जियां  उड रही है।

सरकार ने खाद्य सुरक्षा कानून बनाकर सबको राशन का अधिकार तो दिया लेकिन कनकपुर के कोटेदार पर बड़ा आरोप है कि उसने इस गरीब से पांच सौ रूपये लेने के बाद भी राशन कार्ड नही बनाया और इस परिवार को राशन भी नही मिलता है। यदि इस गरीब का राशन कार्ड बना होता तो कम से कम राशन की समस्या तो कुछ राहत मिल जाती।

कनकपुर के रामलाल तो एक उदाहरण मात्र है न जाने कितने रामलाल जैसे गरीब है जिनको योजनाओं का लाभ नही मिल पा रहा है। और सम्बन्धित लोग केवल कागजी खानापुर्ति करके सरकार व जनता को बेवकूफ बनाकर अपना काम निकाल रहे है। अब यहां प्रश्न बनता है कि कनकपुर गांव ब्लाक- जिला मुख्यालय मार्ग पर पडता है। जहां से अधिकारियों का आवागमन होता रहता है। लेकिन किसी भी अधिकारी ने गांवों में जाकर जमीनी हकीकत देखने का प्रयास न किया और जो उनके ‘दूत’ आंकडा भेज देते है उसी को ‘ब्रह्मलेखनी’ मानकर शासन भेजकर अपना ‘धर्म’ निभा लेते है। यदि यही हाल रहेगा तो शासन की योजना का लाभ पात्रों को नही मिलेगा और लोग यूं ही अपनी जिन्दगी बिताते रहेंगे। अधिकारी और गांवों के जिम्मेदार लोग तो अपनी व्यवस्था कर ही लेंगे केवल समस्याओं से दो चार गरीबों को ही होना पडेगा।

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *