जगह-जगह जलजमाव से मच्छरों का बड़ा आतंक

बापूनन्दन मिश्र

रतनपुरा (मऊ) मच्छरों का आतंक इतना बढ़ गया है कि ग्रामवासियों  का जीना दूभर कर दिया है. स्थिति इतनी बदतर है कि बंद कमरे में भी घड़ी देखकर 30 सेकेंड भी लोग शांति चित्त से नहीं बैठ पाते हैं. दिनभर तो अपेक्षाकृत इनका प्रकोप कम रहता है, लेकिन शाम ढलते ही इनका तांडव शुरू हो जाता है.

स्थानीय प्रखंड के रतनपुरा बाजार ,कस्बा और अधिकाधिक सभी  ग्रामपंचायतो की नालिया मलबे से लबालब भरी पड़ी है. साथ ही साथ क्षेत्र की सड़कों पर गढ्ढो के कारण जगह जल जमाव है. जिसके कारण मच्छरों की संख्या काफी हद तक बढ़ गई है। लोगों को रात में भोजन का एक निवाला लेने में भी समस्या होती है. मच्छरों के आतंक से बचने के लिये लोग अपने स्तर से कीटनाशक का उपयोग करते हैं. बावजूद राहत नहीं मिल पाती है. अब तो मच्छरों पर “नजर हटी और दुर्घटना घटी” वाली कहावत चरितार्थ हो रही हैं।

लोगो की माने तो सरकार ने जिस उद्देश्य से सफाई कर्मियों के न्युक्ति की थी सब धरी की धरी रह गई। सफाई कर्मियों पर उच्च अधिकारियों का नियंत्रण नहीं के बराबर रह गया है। वे टीशर्ट, पैंट और गाड़ी पर चढ़के आते है और हाजिरी लगाकर चले जाते है। ग्राम पंचायतों के अध्यक्ष भी सफाई कर्मियों के साथ कदम से कदम मिला कर चलने में थोड़ा भी संकोच नहीं करते। रतनपुरा कस्बा निवासी दिलीप सिंह, द्रोणाचार्य, शैलेश और ममता देवी के अनुसार कई महीनों से कस्बा अन्तर्गत सभी नालीया भरी पड़ी है. सफाई कर्मी नालियों के दयनीय स्थिति से बिल्कुल बेखबर है। यहां सफाई कर्मी हफ्ते दिन पर अपनी सिर्फ हाजिरी लगाने के लिए ही आते है. बाकी सब रामभरोसे है।

स्पष्ट पहलु यह है कि इतनी विकट स्थिति होने के बाद संबंधित विभाग  द्वारा मच्छरों के रोकथाम के लिए दवा का छिड़काव भी नहीं किया जाता है जिससे की आम लोगों को राहत मिल सके।

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