अदालत की मिली मंजूरी, अब उसी जगह दुगनी जमीन पर बनेगी संत रविदास मंदिर

आदिल अहमद

नई दिल्ली: संत रविदास मंदिर तोड़ने के प्रकरण ने देश में काफी चर्चा हासिल किया था। इस मंदिर को गिराए जाने की खबर फैलते ही संत रविदास के अनुयायियों में जबर्दस्त आक्रोश फैल गया और उन्होंने दिल्ली सहित देश के अनेक हिस्सों में प्रदर्शन किया था। इस सिलसिले में अनेक लोग गिरफ्तार किए गए थे। दिल्ली विकास प्राधिकरण ने शीर्ष अदालत के नौ अगस्त के आदेश पर इस मंदिर को गिरा दिया था।

न्यायालय ने प्राधिकरण से कहा था कि पुलिस की मदद से  इस परिसर को खाली कराया जाए और संरचना को हटाया जाए। अब दिल्ली के तुगलकाबाद वन क्षेत्र के इस मंदिर गिराए जाने की घटना के करीब दो महीने बाद सुप्रीम कोर्ट ने उसी स्थान पर इसके पुनर्निर्माण को मंजूरी दी है। कोर्ट ने इसके के लिए 400 वर्ग मीटर भूमी देने के केंद्र के प्रस्ताव को अपनी स्वीकृति सोमवार प्रदान कर दिया है। जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एस। रवीन्द्र भट की पीठ से अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने कहा कि केंद्र ने श्रद्धालुओं की भावनाओं और आस्था को ध्यान में रखते हुए मंदिर के लिए 200 वर्ग मीटर भूमि के प्रस्ताव में संशोधन कर इसे 400 वर्ग मीटर कर दिया है।

पीठ ने इस प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए केंद्र को निर्देश दिया कि निर्धारित स्थान पर मंदिर निर्माण के लिए एक समिति गठित की जाए। न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि मंदिर के लिए निर्धारित जगह के आस-पास कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह की व्यावसायिक गतिविधि नहीं चलाएगा। शीर्ष अदालत ने इस मंदिर को गिराए जाने की घटना के विरोध में आंदोलन के दौरान गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों को उनके द्वारा निजी मुचलका देने पर रिहा करने का भी निर्देश दिया है।

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