कानपुर – नहीं रहे देवबंदी विचारधारा समर्थक क़ाज़ी-ए-शहर कानपुर मुफ़्ती मंज़ूर अहमद मज़हिरी, 88 बरस की उम्र में हुआ इन्तेकाल

आदिल अहमद

कानपुर। शहर में देवबंदी विचारधारा के कट्टर समर्थक और इसी विचारधारा के कानपुर काजी मुफ्ती मंजूर अहमद मजाहिरी (88) का रविवार शाम को इंतकाल हो गया। वे शहर के इकलौते शहरकाजी थे, जिन्हें उत्तर प्रदेश के राज्यपाल ने 1978 में मनोनीत किया था। लंबे समय से बीमार चल रहे मुफ्ती मजाहिरी का इन्तेकाल चुन्नीगंज के अपोलो अस्पताल हुआ।

आखरी सफ़र में मय्यत को कन्धा देने सभी विचारधारा के शहर की आवाम इकठ्ठा थी। उनका जनाजा परेड स्थित उनके आवास आजाद कांप्लेक्स से आज सोमवार सुबह 10 बजे निकला। इसके बाद नमाज-ए-जनाजा बेनाझाबर स्थित बड़ी ईदगाह में हुई और यहीं सामने कब्रिस्तान में उनको सुपुर्द-ए-खाक किया गया। मुफ्ती मंजूर अहमद मजाहिरी 42 वर्षों तक बतौर शहर काजी मुस्लिम समाज की रहनुमाई करते रहे।

शहर में सांप्रदायिक माहौल बिगड़ने और समाज की हिफाजत के लिए बरेलवी शहर काजी कारी अब्दुस्समी के साथ मिलकर अहम भूमिका निभाई थी। वह देश के बड़े इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम देवबंद की सबसे बड़ी कमेटी शूरा के भी आजीवन प्रमुख सदस्य रहे।

पटकापुर के सबसे बडे़ और पुराने मदरसे जामे-उल-उलूम में 52 वर्ष तक बतौर शेखुल हदीस रहे। इस्लामिक शिक्षा और शरीअत के बड़े जानकार होने की वजह से कई बड़े फतवे दिए। उन्होंने परेड के तोपखाना स्थित मस्जिद में करीब 50 सालों तक इमामत भी किया है। उन्होंने अपने जीवनकाल में ही मौलाना मतीनुल हक ओसामा को अपना जानशीं (कार्यवाहक शहर काजी) बना दिया था। मौलाना ओसामा का नायब शहर काजी अपने तीसरे बेटे हाफिज मामूर अहमद को बनाया था। उनके परिवार में उनकी पत्नी, चार बेटे और तीन बेटियां हैं। एक बेटी का इंतकाल हो चुका है।

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