सफ़ेद हाथी साबित हो रहे सरकार द्वारा बनवाये गये शौचालय, ओडीऍफ़ स्कीम की ज़मीनी हकीकत कुछ और ही है
शुभम पटेल
सीतापुर। जनपद सीतापुर के ओडीएफ (ओपन डेफिकेशन फ्री) यानी ऐसी ग्राम पंचायत और गांव जहां कोई भी खुले में शौच नहीं जाता है। इस कुप्रथा को समाप्त करने की दिशा में स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्राम पंचायतों में सरकार की तरफ से घर-घर शौचालय बनाये जा रहे हैं। इतना ही नहीं तय मापदंड पूरे करने के बाद पंचायतों को ओडीएफ घोषित भी किया जा रहा है। लेकिन, जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।
सरकार के सामने अधिकारियों व ग्राम प्रधानों द्वारा ग्राम पंचायतों में घटिया सामग्री से शौचालय निर्माण करवाए जा रहे हैं। लेकिन आज भी लोग खुले में शौच जा रहे हैं। हद तो यह है कि- जिस घर में शौचालय का निर्माण हुआ भी है उस घर के लोग भी शौचालय में न जाकर खुले में शौच जा रहे हैं। शौचालय लाभार्थियों का कहना है कि शौचालय इतने घटिया व निष्प्रयोज्य बनाये गए हैं कि-ये शौच जाने के लायक नहीं है। ऐसा ही ताजा मामला विकास खण्ड रेउसा की ग्राम पंचायत थौरा का है। विकास खण्ड रेउसा की ग्राम पंचायत थौरा के ग्राम प्रधान प्रतिनिधि नसीम खाँ व ग्राम विकास अधिकारी राजकुमार शुक्ला पर ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि उनकी मिलीभगत से धन का बंदरबांट करके शौचालयों का निर्माण कराया गया है। जो शौचालय निष्प्रयोज्य होने के साथ साथ घटना के सबब भी बन सकते हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि इन शौचालयों का प्रयोग भी नहीं किया है। पीली ईंटो से बने इन शौचालयों में टैंक के नाम पर केवल दो मीटर के गड्ढे खोदे गए हैं। बनने के कुछ ही दिन बाद दरवाजे उखड़ गए हैं, छतों ने दीवाल छोड़ दी है। जिससे ये कभी भी किसी दुर्घटना का सबब बन सकते हैं। हकीकत में थौरा ग्रामसभा के लोगों ने इन शौचालयों का प्रयोग शौच के लिए न करके इनमें ईंधन, भूसा रख रहे हैं। सुबह होते ही थौरा ग्राम सभा के अधिकतर ग्रामीण खुले में शौच जाने पर मजबूर हो रहे हैं।
इस प्रकरण में जब ग्राम पंचायत अधिकारी राजकुमार शुक्ला से जानकारी की गई तो उन्होंने बताया कि ग्राम सभा थौरा में शौचालयों की जांच की जाएगी। लेकिन सवाल यह उठता है कि प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत मिशन का सपना जमीन पर पूरा होगा या केवल कागजो में सिमट कर रह जायेगा।