बजाज मिल के गन्ना क्रय केंद्रों पर समस्या में किसान, सर्द रातों में पताई जला कर गुजारा कर रहे हैं गन्ना किसान
फारुख हुसैन
पलिया कला खीरी. चीनी का कटोरा कहे जाने वाले तराई इलाके के गन्ना क्रय केंद्रों पर किसानों के साथ हो रहे भेदभाव को देखने वाला कोई नहीं है । किसानों के लिए गन्ना पेमेंट का मुद्दा तो बड़ा है ही साथ ही गन्ने को उगा कर क्रय केंद्र तक पहुंचाना उसे घाट तौली से बचाना भी एक चुनौती सिद्ध हो रहा है। अफसरों की उदासीनता के चलते गन्ना किसानों की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं नतीजा यह है गन्ना किसान चौतरफा समस्याओं से घिरा हुआ है।
अधिकतर बजाज हिंदुस्तान चीनी मिल के गन्ना क्रय केंद्रों पर सर्द रातों के बीच किसान खुले आसमान के नीचे सोते नजर आ रहे हैं। तमाम किसान पूरी रात ट्राली के नीचे आग जलाकर तपते हुए मिलते हैं। ग्राम पंचायत बसंतापुर कला के निवासी शालीगराम ने बताया कि चीनी मिल में 12 से 14 घंटे लग जाते हैं ऐसे समय में पूरी रात चाली के नीचे अस्थाई चारपाई पर लेट कर गुजारनी पड़ती है इतना ही नहीं गन्ना क्रय केंद्र फुलवरिया पर गन्ना लेकर आए इंद्रजीत बताते हैं कि बैलगाड़ी से गन्ना लाने और खाली बैलगाड़ी ले जाने के बीच का समय पताई जलाकर गुजारना पड़ता है इन दिनों ठंड की रातों में परेशानियां दुगनी हो जाती हैं।
किरतपुर के गन्ना किसान राम सागर का कहना था कि गन्ना के केंद्रों पर शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं है ना ही साफ पीने का पानी है जिससे तमाम किसानों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है गन्ना क्रय केंद्रों पर आने वाले ट्रकों में होने वाली देरी की वजह से जाम की स्थित आए दिन बनी रहती है।