प्रयागराज जवाहिर पंडित हत्याकाण्ड – अदालत में औंधे मुंह गिरीं बचाव पक्ष की दलीलें

तारिक खान

प्रयागराज। जवाहर हत्याकांड में बचाव पक्ष की दलीलें और 156 गवाहों की लंबी फेहरिस्त काम नहीं आई। अदालत ने अभियोजन के साक्ष्यों को अधिक विश्वसनीय मानते हुए अभियुक्तों को सजा सुनाई। पूर्व मंत्री कलराज मिश्र और मुरली मनोहर जोशी के करवरिया बंधुओं के पक्ष में दिए गए बयान भी बचाव पक्ष के काम न आए। बचाव पक्ष की एक अहम दलील घटना में प्रयोग की गई मारुति वैन को लेकर थी। कहा गया कि जिस वैन से हमलावरों का आना बताया जा रहा है, उस वैन संख्या यूपी 70-8070 का घटना में प्रयोग नहीं किया गया।

मारुति वैन उस समय इसके मालिक सुरेंद्र सिंह के पिता के अंतिम संस्कार में शामिल लोगों द्वारा ले जाई गई थी। कोर्ट ने विचारण में पाया कि मारुति वैन की बरामदगी को लेकर गवाह छेदी सिंह और अन्य गवाहों के बयान में विरोधाभास है। सभी अलग-अलग समय बता रहे हैं। गवाहों का कहना था कि घटना के समय वैन रसूलाबाद घाट गई थी। मगर इसका कोई निश्चय साक्ष्य नहीं दिया गया है। जबकि घटना के कुछ ही देर बाद दर्ज कराई गई एफआईआर में मारुति वैन का नंबर दर्ज किया गया है।

कोर्ट ने माना कि अभियोजन मौखिक और दस्तावेजी साक्ष्य से घटना को संदेह से परे साबित करने में सफल रहा है। बचाव पक्ष ने यह भी दलील दी कि घटना वाली रात 12 बजकर 10 मिनट पर एसएसपी ने लखनऊ एक फैक्स किया था, जिसमें अज्ञात गाड़ी और अज्ञात हमलावरों का जिक्र किया गया। कोर्ट ने यह दलील भी नकार दी।

बचाव पक्ष ने आधार लिया था कि घटना के समय इंस्पेक्टर सिविल लाइंस और पहले विवेचक राधामोहन दुबे ने बयान दिया है कि वह घटना के बाद जब मौके पर पहुंचे तो वहां जवाहर के परिवार का कोई सदस्य उनको नहीं दिखा। कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए विवेचक राधामोहन की भूमिका पर ही सवाल खड़े किए हैं। बचाव पक्ष की यह दलील भी काम नहीं आई, जिसमें कहा गया कि वादी सुलाखी यादव ने प्रेम सिंह से टेलीफोन पर बातचीत में कहा कि कपिल मुनि को मैने झूठा फंसाया है। कोर्ट में टेलीफोन सेट और कॉल डिटेल पेश की गई। वादी सुलाखी ने बातचीत की बात स्वीकार की मगर, उसने यह नहीं माना कि उसने झूठा फंसाए जाने की कोई बात की थी।

बचाव पक्ष का कहना था कि जवाहर पंडित के सभी रिश्तेदारों के पास लाइसेंसी असलहे हैं और वह सुरक्षा के लिए जवाहर के साथ होने की बात कह रहे हैं मगर, घटना के वक्त किसी के पास कोई असलहा नहीं था। सभी के असलहे घर पर थे। इसका अर्थ है कि कोई मौके पर मौजूद नहीं था। मगर इस तर्क को अदालत ने नहीं माना।

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *