जारी है प्रयागराज में CAA,NRC का विरोध प्रदर्शन, मंसूर पार्क में 21 संतो ने किया सरकार के खिलाफ बुद्धिसुद्धि यज्ञ
तारिक खान
प्रयागराज। दिल्ली के शाहीन बाग़ की तर्ज पर चल रहे प्रयागराज के रोशनबाग़ क्षेत्र में स्थित मंसूर अली पार्क में धरना प्रदर्शन का कार्यक्रम बदस्तूर जारी है। मात्र सायरा के साथ बैठने वाली दस महिलाओं से शुरू हुआ ये आन्दोलन कही न कही से अन्ना आन्दोलन की याद ताज़ा करवा रहा है। मात्र दस महिलाओं के लगभग से शुरू ये आन्दोलन अब हजारो के हुजूम में तब्दील हो चूका है। इसमें जहा मुस्लिम नकाबपोश महिलाए लगातार ठण्ड में धरना पर बैठी है वही दूसरी तरफ हिन्दू समाज के लोग भी आन्दोलन से जुड़ते जा रहे है।
इसी क्रम में कल संत समाज ने आकर इस आन्दोलन को अपना समर्थन दिया था। वही आज संत समाज के तरफ से धरना स्थल पर सरकार की बुद्धि शुद्धि हेतु एक यज्ञ का आह्वाहन किया गया। इस क्रम में आज संत समाज के संतोषनन्द महाराज अपने अनुयायियों के साथ धरना स्थल पर पहुचे और NRC,CAA के विरोध में सरकार हेतु बुद्धि शुद्धि यज्ञ किया।
मंसूर पार्क मे NRC,CAA के विरोध में संतोषा नन्द महाराज के साथ 21 साधु सन्तो ने सरकार को सदबुद्धी हेतु हवन किया। मंसूर पार्क में आज 10 वे दिन भी महिलाओ का जोश देखनो को मिल रहा है। या फिर कहा जा सकता है कि जोश और भी अधिक बढ़ चूका है। कड़ाके के ठंड के बीच महिलाए पीछे हटने का नाम नहीं ले रही है। सरकार के खिलाफ उनकी लड़ाई अब उनके साथ साथ महंत संतो की भी बन चुकी है।
जहा आज धरना स्थल पर ये देखने को मिला। संतो ने सरकार के खिलाफ हवन किया और सदबुद्धी यज्ञ भी किया। जैसे जैसे दिन बीत रहा है, वैसे वैसे हौसले भी बढ़ रहे है। महंत संतोषानंद महाराज ने कहा कि हिन्दू मुस्लिम एक है इन्हें लड़ाया न जाए और न ही ये कही और से आए है। इनके पूर्वज यही के है और ये हिंदुस्तान के लड़ाई में बराबर से हिस्सेदार है। मगर सरकार हमको लडवा रही है। इसलिए सरकार की सद्बुद्धि हेतु यह बुद्धि शुद्धि यज्ञ किया गया है। सरकार ने जो कानून बनाया है उसपर उसे विचार करना चाहिए और इस कानून को रद्द करना चाहिए।
इस क्रम में आज दिन भर पार्क में राजनैतिक और सामजिक शख्सियतो की आमदरफ्त बनी हुई थी। लोग आते और अपनी बात रखते रहे। महिलाओं के समर्थन में अन्य सम्प्रदाय की भी महिलाए आती जा रही है। एक प्रदर्शनकारी महिला ने हमसे बात करते हुवे कहा कि हम यह लड़ाई अपने मरते दम तक लड़ेगे।