केरल – मानव श्रंखला बनाकर संविधान को बचाने की खाई क़सम

आदिल अहमद

केरल धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाले नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) के ख़िलाफ़ रविवार को प्रदर्शनकारियों ने केरल में 620 किलोमीटर लम्बी मानव ज़ंजीर बनाकर अद्भुत प्रदर्शन किया। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर प्रदर्शनकारियों ने उत्तर केरल से दक्षिण तक मानव ज़ंजीर बनाई, जिसमें 70 लाख लोग एक दूसरे का हाथ थामकर खड़े हुए।

इस मानव ज़ंजीर की ख़ास बात यह रही कि इसमें केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन भी शामिल हुए। मानव ज़ंजीर बनाकर खड़े होने वाले 70 लाख प्रदर्शनकारियों ने पहले संविधान की प्रस्तावना पढ़ी, उसके बाद क़सम खाई कि वे संविधान की रक्षा के लिए अपनी जान की बाज़ी तक लगा देंगे।

ग़ौरतलब है कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने सीएए जैसा भेदभाव करने वाला क़ानून पारित करके भारत के संविधान को ही ख़तरे में डाल दिया है। वरिष्ठ माकपा नेता एस रामचंद्रन पिल्लै कसारगोड़ में इस 620 लंबी मानव ज़ंजीर की पहली कड़ी थे, जबकि कालियाक्कविलाई में एम.ए बेबी आख़िरी कड़ी थे। जीवन के विभिन्न क्षेत्रों की कई अहम हस्तियां भी इस ज़ंजीर का हिस्सा बनीं।

केरल सीएए के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित करने वाला भारत का पहला राज्य भी है। केरल के लोगों ने दर्शा दिया है कि वे संविधान और देश के सेक्यूलर ढांटे से किसी तरह की छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं करेंगे।

इस प्रदर्शन में शामिल होकर मुख्यमंत्री विजयन ने कहा, हमें इस बात पर गर्व है कि लोग एकजुट होकर किस तरह से शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर सकते हैं। लोगों ने बड़ी संख्या में शामिल होकर यह स्पष्ट संदेश दे दिया है कि धर्म के आधार पर लोगों को बांटने वाला क़ानून सीएए उन्हें स्वीकार नहीं है। यहां तक कि राष्ट्र संघ ने इसका विरोध किया है। केरल में हम पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि एनपीआर और एनआरसी नहीं होगा। जब तक सीएए को वापस नहीं लिया जाएगा, हम शांति से नहीं बैठेंगे।

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