बुनकर समुदाय को केवल लम्बा चौड़ा भाषण और वायदे मिले, मगर समुदाय आज भी अभाव का जीवन जीने को मजबूर है – डॉ मुहम्मद आरिफ

ए जावेद

वाराणसी. एम ट्रस्ट द्वारा (आईजीएसएसएस नई दिल्ली के सहयोग से) वाराणसी में समावेशी शहर परियोजना का संचालन किया जा रहा है। वाराणसी जनपद में असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों की संख्या लाखों में है जिसमे घरेलू कामगार, निर्माण मजदूर, रिक्शा चालक, पटरी दुकानदार, हैंडलूम और पावरलूम के मजदूर, कारपेंटर, चमड़ा का काम करने वाले श्रमिक इत्यादि शामिल हैं। इसी तरह लगभग 4000 के करीब में ऐसे श्रमिक है जो बेघर है और फुटपाथ पर गुजर बसर करते है। असंगठित क्षेत्र में बड़ी संख्या में निर्माण मजदूर आते हैं। इन मजदूरों को जब गांव में काम नहीं मिलता तो बड़ी संख्या में शहरों की तरफ पलायन करते हैं, और शहर में इनका ठिकाना बनता है फुटपाथ  या मलिन बस्ती, जहाँ ये बहुत ही अभाव में अपना जीवन यापन करते है क्योकि इन्हें यहाँ भी रोज काम नहीं मिलता।

उक्त बातें एम ट्रस्ट द्वारा आयोजित, बेघरों, शहरी गरीबों के हक़ और अधिकारों तथा मलिन बस्ती की स्थानीय समस्याओं पर एक जनसुनवाई में एम ट्रस्ट के निदेशक संजय राय ने कही उन्होंने कहा की पटरी दुकानदारों को सरकार व्यवस्थित करने हेतु वाराणसी में 9 वेंडर जोन बनाये है लेकिन स्थानीय स्तर पर पटरी दुकानदारों का रजिस्ट्रेशन, उन्हें पहचान पत्र वितरण तथा चिन्हित किये गए वेंडर जोन पर उन्हें व्यवस्थित करने की प्रक्रिया को गति नहीं मिल रही है।

शहरी सामाजिक मुद्दों के सलाहकार संजीव जैन ने घरेलू कामगार महिलाओं की स्थिति को रखा उन्होंने कहा की प्रदेश में इन कामगारों के सामाजिक सुरक्षा हेतु अलग से बोर्ड का गठन किया जाय जिससे उन्हें समाज में कार्य के दौरान होने वाले किसी भी प्रकार की हिंसा को रोकने और उन्हें सामाजिक सुरक्षा से जोड़ने का कार्य प्रभावशाली हो सके। असंगठित कामगार अधिकार मंच (AKAM) वाराणसी से डॉ.मोहम्मद आरिफ ने बुनकर समुदाय के अधिकारों पर अपना वक्तव्य रखा, उन्होंने कहा की असंगठित क्षेत्र में इन समुदाय को भी जोड़कर देखने की जरुरत है जो दिनरात मेहनत करके बनारसी साडी बनाने में अपना अपना श्रम देते है लेकिन इनके श्रम के आधार पर इनकी आय बहुत ही कम है जिसके चलते ये अपने परिवार के साथ बहुत ही अभाव में अपना जीवन यापन कर रहे है। जितनी भी सरकारे आयीं वो बुनकर समुदाय के विकास पर बहुत लम्बा चौड़ा भाषण व इन्हें सपने दिखाए गए लेकिन ये समुदाय हमेशा से वंचना का शिकार रहा।

खिरकिया घाट निकट मालवीय पुल मलिन बस्ती में मेहनत मजदूरी करके अपना जीवन यापन कर रहे गोपाल साहनी तथा राजू साहनी ने जिला प्रशासन द्वारा उनके घरों को उजाड़े जाने पर दुःख प्रकट करते हुए कहा कि हम सभी इसी देश और शहर के नागरिक है और हम भी अपने मताधिकार का प्रयोग कर पार्षद से प्रधानमंत्री तक चुनते है। हम गरीब मेहनत मजदूरी करके अपना व अपने परिवार का भरण पोषण करने में ही सारी ज़िन्दगी गुजार देते है और बहुत ही मज़बूरी में ऐसी जगह में रहते है जहाँ हम अपने सभी सुख सुविधाओं से वंचित रहते है लेकिन वहां भी हमें चैन से रहने नहीं दिया जाता। हम विकास के खिलाफ नहीं है लेकिन हमरे घरों को उजाड़ने से पहले सरकार हमें सही जगह पर घर देकर बसाने का कार्य करती तो सही था, इस तरह हमारे घरों को तोड़कर बच्चों और महिलाओं सहित हमें बेघर कर देना कहीं से भी ठीक नहीं है ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डा. नूर फातमा ने कहा कि शहरी गरीबों के सभी मुद्दों पर हम सभी संगठन व समुदाय को एक साथ आगे आने की ज़रूरत है इसी के साथ जनसुनवाई में एम ट्रस्ट के सामाजिक कार्यकर्ता प्रेम सोनकर, निखिल कुमार, सर्व सेवा संघ की प्रबंधक सुश्री सीलम झा, जलाली पुरा से पार्षद हाजी ओकास अंसारी, कामता प्रसाद एवं सामाजिक कार्यकर्त्ता  जुबैर खान बागी, फ़ज़लुर्रहमान अंसारी,,सुधीर कुमार जायसवाल तथा आलोक कुमार के साथ ही समुदाय की सामाजिक कार्यकत्री कैसर जहाँ, किला कोहना से समुदाय की महिला मालती देवी ने शहरी गरीबों की वर्तमान स्थिति पर अपने विचार व्यक्त किये । कार्यक्रम का संचालन परियोजना समन्वयक अमित कुमार ने किया।

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