फिर फरार हुवे गाजीपुर जेल से दो कैदी, इसके पहले भी हो चुकी है घटनाये
शाहनवाज़ अहमद
गाजीपुर। गाजीपुर जिला जेल से एक बार फिर 2 कैदियों के फरार होने से जिला और जेल प्रशासन में हड़कम्प मचा हुआ है। घटना शनिवार के रात की है। लेकिन जेल प्रशासन पूरी रात पहले मामले को मीडिया के सामने आने से बचाता रहा। मगर मामले की सुगबुगाहट निकल का र्बाहर तक आ ही गई।
प्राप्त समाचारों के अनुसार जनपद के खानपुर निवासी विकास यादव और हिमांशु यादव खानपुर थाना क्षेत्र के गोपालपुर के रहने वाले हैं, और पाक्सो एक्ट में जिला जेल में निरुद्ध थे। शनिवार रात में भोजन के दौरान जब बंदियों का मिलान हुआ तो इन दोनों के फरार होने का पता जेल प्रशासन को चला। फिलहाल डीआईजी जेल जिला जेल पहुंच चुके हैं। मामले की छानबीन में लगे हुए हैं।
बन्दियो की खोजबीन में पुलिस विभाग की कई टीमें लगा दी गई हैं। जेल प्रशासन देर रात तक इस मामले को छिपाने में लगा रहा। दोनों बंदी कब और कैसे भाग निकले इसकी भनक तक जेल प्रशासन को नहीं लगी। बंदियों से पूछताछ हुई लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकला। बाद में पुलिस अधीक्षक डॉ ओमप्रकाश सिंह ने कोतवाली व अन्य पुलिस टीम गठित कर संभावित ठिकानों पर छापेमारी का निर्देश दिया। रात में ही कोतवाली पुलिस खानपुर के लिए रवाना हो गई। उनकी तलाश जारी है।
गौरतलब हो कि इससे पहले छह जुलाई 2007 को भुड़कुड़ा थाना क्षेत्र के मंझनपुर गांव निवासी भाजपा नेता सभाजीत सिंह की हत्या के आरोपी धीरज सिंह, उसका भाई आनंद तथा एक अन्य बंदी प्रमोद सिंह बांस की सीढ़ी से जेल की दीवार फांदकर फरार हो गए थे। बाद में पुलिस ने मऊ के चिरैयाकोट में धीरज सिंह को मुठभेड़ में मार गिराया था। 19 अगस्त 2009 को एनडीपीएस एक्ट का बंदी कृष्णाराम फरार हो गया था, जिसे बाद में नंदगंज पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
बंदियों की फरारी का सिलसिला यहीं पर नहीं थमा। नौ अक्तूबर 2015 को जेल के बाहर सफाई करते समय चंदौली जिला के अलीनगर निवासी शाहरुख फरार हो गया था। कुल मिलाकर बार-बार जिला जेल से फरार होकर बंदी जेल की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलते हुए जेल प्रशासन को चुनौती देने का काम कर रहे हैं।