ईद पर सामूहिक नमाज के लिए ईदगाहों को खोलने के मामले में हस्तक्षेप से किया इनकार – हाई कोर्ट ने
तारिक खान
प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रमजान में ईद उल फितर की सामूहिक नमाज और दुआ पढ़ने के लिए उत्तर प्रदेश के ईदगाहों को खोलने और अलविदा जुमे की नमाज पढ़ने की अनुमति देने का समादेश जारी करने की मांग को लेकर कायम जनहित याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि याची अपनी मांगों को लेकर सक्षम अधिकारी के समक्ष आवेदन दें। यदि कोई आदेश नहीं होता है या लटकाए रखा जाता है तब वह हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सकता है। बिना सरकार को अर्जी दिये सीधे हाई कोर्ट में याचिका दायर नहीं की जा सकती।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर तथा न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने शाहिद अली सिद्दीकी के मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र पर कायम जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा है कि समादेश जारी करने के लिए याची को अपनी मांग शासन में रखनी चाहिए। कोई आदेश न होने या खिलाफ आदेश होने के बाद याचिका दाखिल की जा सकती है। याची ने सरकार के समक्ष अपनी मांग रखे बगैर जनहित याचिका कायम कर समादेश जारी करने की मांग की है, जिस पर कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
बता दें कि कोरोना महामारी के प्रकोप के चलते मुस्लिम धर्म गुरुओं ने आगे आकर घरों में ही ईद की नमाज का एलान किया है। इदारा-ए-शरिया दारुल इफ्ता वल कजा फिरंगी महल के अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती अबुल इरफान मियां फरंगी महली ने फतवा जारी कर अलविदा जुमा और ईद में नमाज अपने घरों में अदा करने का एलान किया है। रुल उलूम फरंगी महल के अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली इस संबंध में पहले ही फतवा जारी कर चुके हैं। इसी प्रकार दारुल उलूम देवबंद ने भी नमाज अदा करने को लेकर मुस्लिमों की रहनुमाई करते हुए फतवा जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि शासन-प्रशासन के निर्देशों पर अमल करते हुए जुमे की तरह ही ईद की नमाज घरों पर अदा करें। यदि मजबूरी में कोई नमाज अदा नहीं कर पाया तो उनके लिए नमाज-ए-ईद माफ होगी।