अनटोल्ड स्टोरी आफ मोस्ट वांटेड विश्वास नेपाली – पुलिस की पकड़ से दूर खौफ का दूसरा नाम – (शिक्षित परिवार से लेकर अपराध तक का सफ़र) भाग – 1
तारिक आज़मी
वाराणसी की एक तंग गली से निकला एक नाम आज जरायम की दुनिया में अपना खुद का सिक्का चला रहा है। पुलिस की गिरफ्त से दूर विश्वास नेपाली का अगर हकीकत में देखे तो वाराणसी ही नहीं बल्कि पूर्वांचल में सिक्का चल रहा है। सूत्रों की माने तो मुन्ना बजरंगी के मारे जाने के बाद से विश्वास नेपाली पुलिस की नज़र से दूर अपना कद बढा रहा है। उसका धुर विरोधी रुपेश सेठ के जेल जाने के बाद से विश्वास वर्चस्व और भी बढ़ गया है।
कौन है विश्वास नेपाली उर्फ़ विश्वास शर्मा
पक्के महाल स्थित कपिलेश्वर की गलियों में बैठ कर गांजा पीने वाला युवक जरायम की दुनिया में इतना बड़ा नाम बन जायेगा किसी ने सोचा भी नही था। नेपाल के मूल निवासी श्रीधर शर्मा और आशा शर्मा की तीन बेटे विश्वास, विशाल और वल्लभ थे। श्रीधर शर्मा लहुराबीर स्थित बाटा में मैनेजर के पद पर कार्यरत थे। बच्चो को तालीम तो उन्होंने काफी दिया था। तीनो भाई पढाई में ठीक ठाक थे। दो बेटिया भी पढ़ लिख रही थी। नौकरी में वाराणसी आने के बाद कपिलेश्वर गली में किराय का मकान लेकर रहने वाले श्रीधर शर्मा का बेटा विश्वास इलाके के कुछ दोस्तों के साथ उठना बैठना शुरू करता है। मूल रूप से नेपाल का रहने वाला विश्वास इलाके में नेपाली नाम से मशहूर हो चूका था।
शुरू से ही मनबढ़ विश्वास का पहली बार जरायम में नाम वर्ष 2001 में भेलूपुर थाना क्षेत्र में सामने आया जब उसके नाम से पहली ऍफ़आईआर आईपीसी की 506 में दर्ज हुई थी। इसके बाद इसी साल कोतवाली थाना क्षेत्र में रंगदारी मांगने का मामला सामने आने के बाद पुलिस ने उसके ऊपर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहां और इसी वर्ष गुंडा एक्ट तथा गैंगेस्टर की भी कार्यवाही कोतवाली पुलिस द्वारा किया गया। यहाँ से अपराध की प्राइमरी में पढने वाला विश्वास अचानक ही जरायम की दुनिया के यूनिवर्सिटी में पंहुच जात है और उसको साथ अनुराग त्रिपाठी उर्फ़ अन्नू त्रिपाठी, बाबु यादव गैंग का मिल जाता है। फिर क्या था दुबारा उसने पलट कर पीची नही देखा और पुलिस के हत्थे भी फिर नहीं चढ़ पाया।
सूत्र बताते है कि अन्नू त्रिपाठी गैंग का मुख्य शूटर ही नहीं बल्कि गैंग का मास्टर माइंड विश्वास नेपाली ही था। कोई भी घटना को कैसे अंजाम देना है और कहा देना है का प्लान विश्वास ही बनाता था। उसकी हरकतों से परिवार भले ही परेशान रहता था, मगर विश्वास शायद अपना कदम पीछे नही खीचना चाहता था। कोतवाली क्षेत्र में हुई हत्या में भी विश्वास का नाम आया, पूर्वांचल की सबसे बड़ी मडी विशेश्वरगंज में रंगदारी का पोस्टर लगा कर अन्नू गैंग ने दहशत कायम कर डाला था। लगभग डेढ़ दशक पहले लगे इन पोस्टरों के बाद वाराणसी पुलिस की काफी किरकिरी हुई थी। पुलिस सूत्र बताते है कि मामले में तफ्तीश शुरू हुई तो पता चला कि यह पोस्टर विश्वास नेपाली के खुद के कंप्यूटर से बनाये गए थे।
यहाँ से विश्वास नेपाली पुलिस के लिए अबूझ पहेली बना जो आज तक है। सूत्र बताते है कि किलर मशीन मुन्ना बजरंगी सबसे अधिक विश्वास पर ही विश्वास करता था। सूत्र तो ये तक बताते है कि मुन्ना बजरंगी के कामो में भी विश्वास की काफी पैठ थी और घटना के बाद का एग्जिट प्लान केवल विश्वास ही बनाता था। हाईटेक टेकनोलाजी का माहिर विश्वास के नाम कई अपराध पंजीकृत हुवे और वह पुलिस की पकड़ से दूर ही होता चला गया। विश्वास का परिवार बनारस छोड़ कर वापस नेपाल चला गया। वही सूत्र कहते है कि विश्वास ने नेपाल जाकर पहले खुद की पैठ बनाया और उसके बाद परिवार को वहा बुलवा लिया।
ट्रेवेल का नाम अपराध का काम
सूत्रों बताते है कि बनारस से नेपाल जाने के बाद विश्वास ने जहा माओवाद का साथ दिया और एक बड़े माओवादी नेता का संरक्षण पाया वही दिखावे के लिए एक टूर एंड ट्रेवेल का काम भी शुरू किया। सूत्रों की माने तो विदेशो में प्लेसमेंट का काम भी दिल्ली की किसी फार्म के साथ मिल कर इसने शुरू कर दिया। साथ ही माओवाद आन्दोलन में भी हिस्सा लिया। इस दौरान पूर्वांचल में अपना नाम कायम रखने के लिए अपने गैंग को भी संचालित करता रहा।
इसी वर्चस्व में उसके आगे सबसे बड़ा रोड़ा उभर का सामने आया सनी सिंह गैंग। सनी सिंह और रुपेश सेठ ने मिलकर क्षेत्र के जुआ अड्डो और सर्राफा कारोबारियों को निशाना बनाना शुरू कर दिया था। मगर बीच में विश्वास का ही आदमी रोड़ा बना हुआ था क्योकि विश्वास अपना वर्चस्व खत्म नही करना चाहता था। इसी दौरान विश्वास के आदमी की 6 गोलिया मार कर हत्या कर दिया गया था। इस हत्या में गुड्डू मामा और रुपेश सेठ का नाम सामने आया था। विश्वास को अपनी जरायम की रियासत हिलती हुई दिखाई दे रही थी। इस दौरान पुलिस को शंका थी कि कही दोनों गुटों में गैंगवार न हो जाए।
सनी सिंह के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने और फिर मामा बिन्द के जेल जाने के बाद से रुपेश सेठ विश्वास के वर्चस्व को चुनौती दे रहा था। इस दौरान विश्वास ने भी अपने पकड़ दुबारा काफी मजबूत कर लिया था। सूत्र तो बताते है कि सफ़ेदपोश लोगो के कई विवाद इसने नेपाल में बैठ कर ही हल करवा दिये। इसका नाम एक बार फिर चर्चा में 2019 में आया था जब एक घी व्यवसाई से रंगदारी की बात सामने आई थी। पुलिस ने मामला तो हल कर लिया मगर पुलिस के हाथ कोई सुराग इसमें विश्वास नेपाली के होने का नही लग सका।
अपराधियों को देता है नेपाल में शरण
सूत्र बताते है कि फरारी काट रहे अपराधियों को रहने और खाने की व्यवस्था ये नेपाल में करता है। इसके संरक्षण में नेपाल में उत्तर प्रदेश और बिहार से फरार कई अपराधी है। आम के आम और गुठलियों के दाम एक तर्ज पर ये संरक्षण के लिए पैसे भी लेता है और उनको अपने गैंग में जोड़ कर काम भी करवाता है। नेपाल के पहाड़ी इलाको में खासी पकड़ बना चूका विश्वास वहा माओवादियों के लिए भी काम करता है। Continue in Part 2
नोट – समस्त जानकारिया सूत्रों के माध्यम से. उक्त इनामिया अपराधी का नवीनतम फोटो भी उपलब्ध है परन्तु सुरक्षा के मद्देनज़र उसे प्रकाशित नही किया गया है