किस्सा गैग आफ बादशाह अली एंड राशिद खान – मामला जब न्यायालय में विचाराधीन है तो फिर कथित पीडिता इतना व्याकुल क्यों है? जाने हाल-ए-दालमंडी
तारिक़ आज़मी
वाराणसी के दशाश्वमेघ पुलिस आज कल परेशान है। एक महिला लगभग 25-30 प्रार्थना पत्र दे चुकी है कि उसके साथ कथित रूप से संजय सहगल उर्फ़ बब्बल नाम के व्यक्ति ने अपने घर में रेप किया। प्रकरण में पुलिस ने काफी तफ्तीश किया, खुद क्षेत्राधिकारी दशाश्वमेघ ने तफ्तीश किया मगर मामला उन्हें भी पूरी तरह संदिग्ध लगा। आरोपी संजय सहगल का आरोप है कि स्थानीय एक बिल्डर के इशारों पर क्षेत्र के चालबाज़ के रूप में मशहूर हो चुके बादशाह अली और उसके भांजे राशिद ने प्रकरण में झारखण्ड की मूल निवासिनी महिला को आगे करके उसके ऊपर फर्जी तरीके से फंसाने के लिए शिकायत किया है।
प्रकरण में कथित आरोपी संजय सहगल का कहना है कि मेरे घर में किरायदार रहते है जहा पीडिता ने घटना होना बताया है और किरायदारो में 25 महिलाये है। इसके अतिरिक्त भी कथित आरोपी संजय सहगल ने कई अन्य अपनी सफाई में मुद्दे पुलिस जाँच में सामने लाये। इस जाँच में पुलिस को मामला पूरी तरह संदिग्ध लगने पर पुलिस ने प्रकरण को दर्ज नहीं किया। इसके बाद लगातार महिला कई नए नए आरोपों के साथ पुलिस को शिकायत दर्ज करवाने पहुचती रही। कभी किसी के द्वारा धमकी देने तो कभी किसी के द्वारा धमकी देने की बात कथित पीडिता द्वारा शिकायती पत्र में किया जाता रहा है।
इस दरमियान मामले में कथित पीडिता ने न्यायालय की शरण ले लिया और प्रकरण में सम्बन्धित न्यायालय में 156(3) के तहत शिकायत किया है। मामला न्यायालय में विचाराधीन है और मामले में अदालत सुनवाई कर रही है। हम इस प्रकरण के अदालत में विचाराधीन होने के बाद कोई भी क्रिया प्रतिक्रिया नही दे सकते है। हम बताते चले कि हम प्रेस नियमावली और सम्मानित सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का पूरी तरह पालन करते है।
मगर शायद कथित पीडिता को और उसके पैरोकार राशिद अली को अदालत पर भरोसा नही होगा। रोज़ ब रोज़ एक तथाकथित पत्रकारों को इस मुद्दे पर अपना बयान देते हुवे नए नए आरोप गढ़ते जा रहे है। नए आरोपों की कड़ी में जिसका हमको पूरा विश्वास था कि हमे भी किसी झूठे आरोपों का सामना करना पड़ेगा के तहत पत्रकार तारिक आज़मी और क्षेत्रीय पार्षद मो सलीम पर धमकी का आरोप लगाते हुवे कथित पीडिता ने एक और शिकायती पत्र दशाश्वमेघ थाने को दिया। इस प्रार्थना पत्र में क्षेत्र के चौकी इंचार्ज तक पर उसने धमकी देने का आरोप गढ़ डाला।
प्रकरण सामने आने के बाद पत्रकार तारिक आज़मी और क्षेत्रीय पार्षद मो सलीम ने क्षेत्राधिकारी दशाश्वमेघ अवधेश पाण्डेय से लिखित शिकायत करते हुवे मामले में झूठा आरोप लगाने के लिए कड़ी कानूनी कार्यवाही करने का अनुरोध किया।
पत्रकार तारिक आज़मी और पार्षद मोहम्मद सलीम के शिकायत पर मामले में विवेचना शुरू हो गई है। पुलिस सूत्रों की माने तो मामले में पुलिस द्वारा कथित पीडिता को बुलाये जाने के बावजूद भी कथित पीडिता नही आई। वही उसके पैरोकार लोग भी नही आये। साथ ही साथ राशिद खान ने फोन नही उठाया। उलटे अपने दायर मुक़दमे में सोशल मीडिया पर तथा कथित पत्रकारों को अपना बयान देने ज़रुर हाज़िर है। कभी घर पर तो कभी किसी अधिवक्ता की चौकी पर। कभी कही तो कभी कही बयान दिया जा रहा है।
अब समझने वाली बात ये है कि जिस कथित घटना को अदालत से सामने रखकर कथित पीडिता इन्साफ की गुहार लगा रही है और अदालत मामले में सुनवाई कर रही है। उस मामले को लेकर बार बार नया शिकायती पत्र लेकर कथित पीडिता और उसके पैरोकार थाने क्यों दौड़ रहे है ? आखिर जब अदालत में विचाराधीन मामला है तो फिर कैसे पीडिता अनेको आरोपों के साथ पुलिस पर आरोप लगाते हुवे बयानबाज़ बनी हुई है। प्रकरण जब अदालत में है तो फिर कैसे दोषारोपण हो रहा है। क्या पीडिता और उसके पैरोकार को अदालत पर भरोसा नही है। क्या ये “अदालत की अवामानन” के श्रेणी में नहीं आता है ?
हम तो स्पष्ट कहते है कि मामला जब तक विचाराधीन है तब तक प्रकरण में उक्त कथित पीडिता की पहचान तक ज़ाहिर नही करेगे। अदालत प्रकरण में जो फैसला सुनाएगी उस फैसले के सम्बन्ध में हम खबर लिखेगे और यदि कथित आरोपों को आधार मान अदालत मुकदमा दर्ज करने का पुलिस को आदेश देती है तो हम उसके लिए भी खबर लिखेगे। यदि अदालत ने वाद ख़ारिज किया तो उसके लिए भी लिखेगे।
यही नही जब तक हमारे पास साक्ष्य नही है तब तक हम बिल्डर के खिलाफ खबर में कुछ भी नही कहेगे भले आरोपी संजय सहगल कहे कि सभी षड़यंत्र बनिया बाग़ के एक बड़े बिल्डर के इशारे पर हो रहा है। हाँ ये भी सच है कि यदि साक्ष्य उपलब्ध हो गया तो उस बिल्डर के खिलाफ भी लिखेगे भले वो जितना बड़ा खुद को बाहुबली समझे। आज तक बहुबल से हमारी कलम न डरी है और न डरेगी। एक जान है, अल्लाह ले या मोहल्ला ले। यहाँ कौन सी फिक्र है। कौन सा अमृत पीकर आये है जो मरना नही है। भाई दुनिया में हर एक इंसान मरने के लिए ही तो पैदा होता है।
दालमंडी की गन्दगी कलम से साफ़ कर रहा हु तो कीचड़ उछलेगा ही
आरोप लाख लगे हमारे ऊपर। हम तो गलती का इंतज़ार कर रहे थे। इस इंतज़ार का फल मीठा होता है और आखिर गलती हो ही गई। उस गलती का इंतज़ार था और इंतज़ार पूरा हुआ। लीगल टीम जो आखिर पैसे भी तो साल में एक बार देना होता है। अब रही बात हमारे असली नकली होने की तो हर भौ-भौ का जवाब नही दिया जाता है। पहली बार तो ऐसा हुआ है कि मेरे विरोधी भी मेरी कलम के इस मामले में कायल है। उनका भी कहना है कि दालमंडी की सबसे बड़ी गन्दगी को साफ़ कर रहा हु।
मेरे एक धुर विरोधी और समालोचक सज्जन आज मुझसे मिले। वैसे तो सिर्फ उनसे मेरी हाय हेल्लो ही रहती है क्योकि वह मेरे कटु आलोचक है। दूर से ही सलाम और जवाब देना इसलिए जारी रहता है कि रिश्ते आलोचना के ही सही बने रहे। आज वह सड़क पार करके हमारे पास आये और मुझसे बड़ी गर्मजोशी से मिले। कहा कि आइये चाय पिलाऊ। मैं भी बड़ा कन्फ्यूज़ हो गया भाई खैरियत तो है। पास की ही एक मशहूर चाय की दूकान पर चाय के साथ उनके शब्द मेरी मेहनत को सुल कर गए। उन्होंने कहा कि “पहली बार दालमंडी की सबसे बड़ी गन्दगी को साफ़ कर रहे हो, कलम से साफ़ कर रहे हो तो मान के चलो कि थोडा कीचड़ तो उछलेगा ही। मगर घबराना नही। पूरी दालमंडी तुम्हारे साथ है।” मुझे हसी भी आई और थोडा ख़ुशी भी हुई कि चलो कुछ अच्छा तो कर रहा हु।
अगले अंक का इंतज़ार करे। इस बादशाह अली और राशिद खान के गैंग का और भी बड़ा खुलासा होगा। जुड़े रहे हमारे साथ।