वाराणसी – कथित रेप पीडिता मामले में आया नया मोड़, कथित रेप पीडिता के पति ने दिया घटना के फर्जी होने का खुलासा करता हुआ शपथ पत्र

ए जावेद

वाराणसी। वाराणसी के दशाश्वमेघ थाने में एक झारखण्ड की मूल निवासिनी महिला ने प्रार्थना पत्र देकर आरोप लगाया था कि क्षेत्र के एक झोला कारोबारी संजय सहगल के द्वारा उसका रेप किया गया है। स्थानीय पुलिस ने मामले की जाँच किया और मामला पूरी तरह फर्जी पाते हुवे मामले में कोई रिपोर्ट दर्ज नही किया। इसके बाद कथित रेप पीडिता ने खुद को जलीलपुर चंदौली की निवासिनी बताते हुवे एक और प्रार्थना पत्र दिया। इस मामले में भी जाँच हुई और स्थानीय पुलिस को मामला फिर से संदिग्ध लगा और प्रकरण में दुबारा शातिरो को मुह की खानी पड़ी।

बात यही खत्म नही हुई। इसके बाद कथित रेप पीडिता ने मामले में एक और प्रार्थना पत्र दो दिनों पहले दिया कि प्रकरण में मुझे मेरे पति के नंबर पर फोन करके खुद को पत्रकार कहने वाले तारिक आज़मी और क्षेत्र के पार्षद मुहम्मद सलीम के द्वारा धमकी दिया जा रहा है। प्रकरण की शिकायत लेकर अपने अधिवक्ता और खुद के पैरोकार के रूप में आये दो कथित पत्रकारों के साथ कथित रेप पीडिता ने दशाश्वमेघ थाने में तहरीर दिया और मामले में मुकदमा दर्ज करने को कहा। कथित रेप पीडिता की पैरवी में आये लोगो ने पुलिस पर जमकर दबाव बनने की कोशिश किया। मगर पुलिस मामले में जाँच की बात पर कायम रही।

वाराणसी – दालमंडी से संचालित फर्जी रेप/पाक्सो केस दर्ज करवाने वाले गिरोह का खुलासा करने वाले पत्रकार पर हो रहा इस गैंग द्वारा फर्जी रेप/पाक्सो केस लगवाने का षड़यंत्र

प्रकरण की जानकारी पत्रकार तारिक आज़मी और पार्षद मो0 सलीम को होने के बाद इस प्रकरण में दोनों ने आज क्षेत्राधिकारी दशाश्वमेघ से मुलाकात कर मामले में कथित पीडिता को साक्ष्य उपलब्ध करवाने अथवा कथित पीडिता द्वारा झूठा आरोप लगाने के खिलाफ मुकदमा लिखे जाने की अपील किया। क्षेत्राधिकारी दशाश्वमेघ अवधेश पाण्डेय ने आश्वासन दिया कि मामले की जाँच कर दोषियों पर ऐसी सख्त कार्यवाही होगी कि नजीर कायम रहे। इस दरमियान मामले की गंभीरता को देखते हुवे प्रकरण की जाँच क्षेत्राधिकारी ने स्वयं करने का निर्णय भी लिया।

हुआ बड़ा उलटफेर

इस प्रकरण में एक बड़ा उलटफेर उस समय हुआ जब कथित रेप पीडिता का वास्तविक पति प्रकरण में शपथ पत्र लेकर आ गया। कथित रेप पीडिता के पति ने सर्वप्रथम आज सम्बन्धित न्यायालय में बयान दिया कि कुख्यात सटोरिया राशिद खान और उसके मामा बादशाह अली के सिंडिकेट का हिस्सा उसकी पत्नी हो चुकी है। ये लोग शरीफ लोगो पर झूठे आरोप लगा कर उनको झूठे केस में फंसा कर वसूली करते है। वही कथित पीडिता के पति ने एक शपथ पत्र के माध्यम से इस बात को भी सशपथ बयान किया कि उसको फोन करके अथवा मिल कर न तो पत्रकार तारिक आज़मी ने और न ही पार्षद सलीम ने कोई धमकी दिया।

कथित रेप पीडिता के पति ने अपने शपथ पत्र में यहाँ तक कहा कि मैं इन दोनों को न जानता हु और न कभी इनसे मिला हु। केवल इस सिंडिकेट का खुलासा करने वाले पत्रकार को फंसाने और राशिद के जुआ को बंद करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पार्षद सलीम से बदला लेने के लिए इन लोगो ने षड़यंत्र के तहत उनके नाम डाले है। कथित रेप पीडिता के पति का कहना था कि कुख्यात सटोरिया रह चुके राशिद खान और उसके मामा बादशाह अली ने एक सिंडिकेट बनाया है जो गैंग शरीफ लोगो पर झूठे मुक़दमे दर्ज करवाता है और फिर मामले में मोटी वसूली करता है।

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झूठे मुक़दमे दर्ज करवाने वाले इस गैग की है कारनामो की लम्बी फेहरिश्त

इस झूठे रेप अथवा छेड़खानी के मामले दर्ज करवाने वाले गैंग का शिकार अब तक कई लोग हो चुके है। राजा बाबु, कैफ़ी, मुईनुद्दीन से लेकर इमरान खान और संजय सहगल बड़ी नजीर है। इसी क्रम में इस गैंग के द्वारा एक मुकदमा अपराध संख्या 66/19 आदमपुर थाने में दर्ज करवाया गया था। इस मुक़दमे को पाक्सो सहित 376AB जैसी गंभीर धाराओं में दर्ज करवाया गया था। इस प्रकरण में तत्कालीन विवेचक ने फाईनल रिपोर्ट लगा दिया। जिसके बाद बिना वादी मुकदमा की जानकारी के इसकी पुनः विवेचना का आदेश राशिद खान के द्वारा करवा लिया गया। दुबारा विवेचना हो ही रही थी कि हमारी मुलाकात इस मामले में वादी मुकदमा से हो गई।

66/19 की वादी मुकदमा ने हमसे बताया कि प्रकरण पूरी तरह झूठा है। राशिद खान ने दबाव देकर उससे ये झूठा केस करवाया था। वादी मुकदमा ने यहाँ तक खुलासा करते हुवे कहा कि वादी मुकदमा अगर ऐसा झूठा केस करती है तो वह प्रदेश सरकार से उसको डेढ़ लाख रुपया दिलवाएगा। साथ ही ढाई लाख में ज़मीन भी दिलवा देगा। वादी मुकदमा ने बताया कि इसके बाद उसकी जीवन भर की बचत ढाई लाख रुपया भी राशिद खान ने उससे ले लिया और वापस नही कर रहा है।

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वादी मुकदमा ने बताया कि प्रकरण में उसने जब काफी बहस किया तो राशिद खान के एक भाई ने 76 हज़ार रुपया वापस करने की बात किया और एक स्टाम्प पेपर पर लिख कर उसको दे दिया। जिसके एवज में केवल 5 हज़ार रुपया महिना दे रहा है। अब वादी मुकदमा ऐसा कोई झूठा केस नही लड़ना चाहती है और मामले को खत्म करना चाहती है। ताज़ा जानकारी के अनुसार वादिनी ने अदालत में जाकर इस केस को खत्म करने का बयान भी दे दिया है। ऐसा केवल इस कारण हुआ कि राशिद खान को हमारे खबर के बाद पता चल गया कि हमारे पास इस मामले से जुडा बड़ा सबूत है। राशिद खान ने मामले को खत्म करवाने में अपनी भलाई समझी और मामले को खत्म करवा दिया।

क्या बोले पत्रकार तारिक आज़मी

एक यूट्यूब चैनल बना कर फर्जी तरीके से मामले को पेश करने वाले कथित पत्रकार के द्वारा पत्रकार तारिक आज़मी को फर्जी पत्रकार की संज्ञा देने पर उन्होंने कहा कि दुनिया में सबको जवाब नही दिया जात है। रही बात मेरे असली और फर्जी होने की तो वो तथाकथित विवादित शख्सियत एक आरटीआई की कापी लेकर घूम रहे है। वह आरटीआई नवम्बर में तत्कालीन थाना प्रभारी (क्राइम) भेलूपुर राकेश कुमार पाण्डेय ने सुचना विभाग से माँगा था। इसका कारण ये था कि राकेश कुमार पाण्डेय के खिलाफ एक खबर वाराणसी के एक बड़े अखबार के द्वारा ब्रेक किया गया था कि उन्होंने थाना परिसर में थाना प्रभारी श्रोतिया पर पिस्टल तान दिया था। इसके बाद वाराणसी के एक अन्य वरिष्ठ पत्रकार वर्त्तमान काशी के दिवंगत प्रधान सम्पादक विशुद्धानंद मिश्रा के द्वारा उठाया गया और वही खबर PNN24 न्यूज़ द्वारा ए जावेद के नाम से उठाया गया था।

इस प्रकरण में खुन्नस खाए पाण्डेय जी ने अपने लटक कथित पत्रकारो को पार्टी देकर खबर चलाने वालो का नाम पूछा तो सभी नाम बताये गए। अब जो कथित होंगे उनकी शिक्षा भी हाई स्कूल पास वाली होगी उन्होंने ए जावेद और मेरा नाम दिया। मगर उन कथितो को पता नही था कि ए जावेद और तारिक आज़मी एक निक नेम है और असली नाम कुछ और ही है। मगर दोनों जाने इसी नाम से जाते है। खुद तारिक आज़मी पाईन्द निजाज़ न्यूज़ के प्रधान सम्पादक है और ए जावेद PNN24 न्यूज़ के अलवा एक साप्ताहिक समाचार पत्र हेतु भी काम करते है। निक नेम पंजीकृत न होने के कारण जो जिला सुचना अधिकारी ने जवाब दिया वह ये था कि “मान्यता प्राप्त पत्रकार नही है।” अब इन तथा कथित को ये नहीं पता होगा कि मान्यता प्राप्त पत्रकार और पंजीकृत/श्रमजीवी पत्रकार का मतलब क्या होता है। बस कौवा कान ले गया।

वैसे एक आरटीआई हमारे सूत्र ने भी हमको उपलब्ध करवाया है जो ये साबित करती है कि कुछ तथाकथित तो न मान्यता प्राप्त पत्रकार है और न ही पंजीकृत पत्रकार है। बस ऐसे ही इच्छाधारी पत्रकार है। (क्लाउन टाइम्स के सम्पादक के शब्द साभार)। बहरहाल, रास्ता चलते किसी को अपनी पहचान और खुद का पूरा परिचय बताना हमारा काम नही है। वैसे भी मामले में क्षेत्राधिकारी द्वारा जाच प्रचलित है और प्रकरण को हमारी लीगल टीम देख रही है। जल्द ही न्यायिक प्रक्रिया किस प्रकार किया जाए इसके ऊपर हमारे प्रधान सम्पादक तारिक आज़मी फैसला करेगे। वैसे फिर एक बार बता दू कि तारिक आज़मी उनका निक नेम है।

कौन है कथित रेप पीडिता ?

वैसे कथित रेप पीडिता वही महिला है जिसके साथ आज दालमंडी का कुख्यात राशिद खान आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ा गया था। हुआ कुछ इस प्रकार था कि कथित रेप पीडिता के पति ने पिछले सप्ताह पुलिस से शिकायत किया था कि राशिद खान उसकी पत्नी को लेकर भाग गया है। जिसके बाद कथित रेप पीडिता का पति अपने पैत्रिक आवास चला गया था। एक सप्ताह बाद आने वाला कथित रेप पीडिता का पति आज भोर में ही वापस आ गया और कमरे में अपनी पत्नी को राशिद खाना के साथ आपत्तिजनक स्थित में देख कर पुलिस को बुला लाया। पुलिस महिला और राशिद खान को लेकर जलीलपुर चौकी आ गई। सुबह महिला को तो छोड़ दिया गया था मगर राशिद खान को वापस घर आते हुवे शाम हो गई थी।

नोट – हम प्रेस नियमावली का पूर्णतः पालन करते है साथ ही साथ हम माननीय सुप्रीम कोर्ट के के दिशा निर्देशों का पालन करते हुवे कथित रेप पीडिता की पहचान को ज़ाहिर न करते हुवे उसके नाम को शपथ पत्र में ब्रल कर उसकी पहचान गोपनीय रख रहे है। इसी कारण शपथ पत्र के फोटो को भी ब्रल किया गया है।

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