दुखद – एकलौते बेटे पत्रकार पुनीत निगम के वियोग को न बर्दाश्त कर पाए पिता, बेटे के अंतिम संस्कार के महज़ 14 घंटो बाद ही कहा दुनिया को अलविदा

तारिक़ आज़मी

कानपुर। बेटे की मय्यत को कंधे पर उठाना एक बाप के लिए कितना भारी होता है ये सभी समझते है। खुद के एकलौते बेटे को अपनी आँखों के सामने दुनिया से रुखसत होते कोई बाप देख कर कितना बड़ा बोझ लेकर इस दुनिया में रहता है इसका अहसास ही किया जा सकता है। इस बोझ को कोई उठा नहीं पाता है। इस बोझ को पत्रकार पुनीत निगम के पिता भी नही बर्दाश्त कर पाए और इस दुनिया को कल देर रात रुखसत कर गए।

कानपुर के गीतानगर के रहने वाले पत्रकार पुनीत निगम का 16/17 अप्रैल की रात को निधन हो गया था। सुधीर निगम के एकलौते पुत्र पुनीत निगम कानपुर पत्रकारिता में एक बड़ा नाम था। अचानक हुवे इस निधन से पत्रकार जगत अचम्भित रह गया था। कल दोपहर कानपुर के मुक्तिधाम भैरोघाट पर उनका अंतिम संस्कार हुआ था। एकलौते बेटे के गम में पिता सुधीर निगम अन्दर तक हिल चुके थे। वह एकदम शांत हो गए थे। शायद ये ख़ामोशी उनके जीवन के साथ अन्य परिजनों के चीत्कार के बाद टूटी।

कल देर रात 17-18 अप्रैल को वह सोने के लिए अपने शयन कक्ष में गए और फिर दुबारा उठे नही। देर रात किसी समय उन्होंने अपने पुत्र वियोग में इस संसार को अलविदा कह दिया। बेटे की जुदाई का सदमा उनको ऐसा लगा कि वह 24 घंटे भी इस दुनिया में नहीं रह पाए। आज दोपहर उनका भी भैरव घाट पर अंतिम संस्कार हुआ। परिवार का अन्य कोई पुरुष नही बचा। पत्रकार हितो की रक्षा करते हुवे उनके दर्द को सीने में समेटे पुनीत निगम इस दुनिया को रुखसत कर चुके है। उनके पिता भी अब इस संसार को छोड़ कर जा चुके है। वही पुनीत निगम की पत्नी भी भारी सदमे में है। पुरे परिवार पर ये समय एक कहर की तरह टुटा है।

पत्रकार हितो की रक्षा निगम परिवार के चराग को बुझा चूका है। अजीब दास्तान बनकर उभरा ये पत्रकार हित। पत्रकार हितो का दर्द लिए पुनीत निगम पहले दुनिया को रुखसत करते है। फिर उसके बाद उनके पिता सुधीर निगम अगले 24 घंटे भी इस संसार में नही रह पाए। आखिर वो भी इस दुनिया को रुखसत कर गए। दुखो का पहाड़ इस परिवार पर टूट पड़ा है। शायद इस दर्द को आप लफ्जों में बयाँ न कर पाए।

आखिर क्यों न बताया पुनीत जी इस दुविधा को

पुनीत जी मेरे अच्छे दोस्त थे। हमारे वैचारिक मतभेद के बाद हम लोग भले दुबारा एक दुसरे से मिले नही, मगर उसके बाद भी दूरभाष पर एक दुसरे के दुःख और सुख साझा किया करते थे। हर एक मसले पर मैं निगम जी से और निगम जी मुझसे सलाह मशवरा किया करते थे। दुनिया के नजरो में भले ये लगे कि हम दोनों के बीच बातचीत न के बराबर होती है। मगर हकीकत ये है कि हम दोनों एक दुसरे के जज्बातों को एक दुसरे के हालातो को भली भांति जानते थे।

हर मामले में मुझे फोन करके बात करने वाले पुनीत जी एक दर्द सारी ज़िन्दगी का मुझको देकर चले गए। आखिर कोई बात उनके दिल पर बोझ बन रही थी तो उन्होंने ये बात मुझे क्यों नही बताया। काश पुनीत जी आपने एक बार मुझको बताया होता। काश कुछ हल्का सा हिंट दिया होता। मैं खुद चलकर आपके पास आता और फिर हम दोनों सब देख लेते। ये एक दर्द हमेशा रहेगा मुझको कि पुनीत जी स्वास्थ्य इतना बिगड़ गया था आपने एक फोन मुझको नहीं किया। आप जानते थे कि मैं आपसे महज़ 5 घटे की दुरी पर हु। आपकी एक फोन पर आ जाऊंगा। फिर आखिर क्यों नही आवाज़ दिया आपने मुझको।

कल मुझको जानकारी मिली कि तीन घंटे से अधिक मधु जी एम्बुलेंस में लेकर आपको एक अस्पताल से दुसरे अस्पताल दौड़ती रही। शायद ऐसी स्थिति न हुई होती अगर मैं वहा होता तो। भले मुझको खुद को बेचना पड़ जाता आपको इलाज पूरा मिलता। आखिर कैसी दोस्ती थी पुनीत जी कि आपने एक बार भी मुझको नही बताया। मैं आपको 13 अप्रैल को फोन मिलाने वाला था, मगर रात को मैंने घडी देख कर रिंग जाने के पहले ही काट दिया। काश मैंने फोन पूरा मिला लिया होता। काश मुझको आपके बिगड़ते स्वास्थ्य की जानकारी मिल जाती। काश……..!

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *