नहीं रहे पत्रकार पुनीत निगम, कानपुर पत्रकारिता को कभी न भर सकने वाला मिला जख्म
तारिक आज़मी
कानपुर। पत्रकारों के संगठन आल इण्डिया रिपोर्टर्स एसोसिएशन (आईरा) के संस्थापक सदस्य रहे कानपुर के वरिष्ठ पत्रकार पुनीत निगम अब इस दुनिया में नहीं रहे। महज़ 48 साल के उम्र में उन्होंने इस दुनिया को आज 16-17 अप्रैल की रात 3 बजे के लगभग अलविदा कह दिया। कानपुर में छोटे और मझोले मीडिया संस्थानों के पत्रकारों से हो रहे भेदभाव को दूर करने में उनकी भूमिका सराहनीय रही। समाचार पत्र खुलासा द विज़न, खबरदार शहरी और पब्लिक स्टेटमेंट्स के प्रधान सम्पादक थे और एक अधिवक्ता भी थे।
मिले समाचारों के अनुसार हाई ब्लड प्रेशर से वह काफी दिनों से जूझ रहे थे। पिछले तीन-चार दिनों से उनको सांस में काफी तकलीफ हो रही थी। आज देर रात अचानक उनका देहांत हो गया। पुनीत निगम के देहांत का समाचार मिलते ही पत्रकारिता जगत में शोक की लहर दौड़ पड़ी। संगठन से जुड़े पत्रकार समाचार मिलते ही उनके आवास पर श्रधान्जली अर्पित करने पहुच रहे है।
संस्मरण
पुनीत निगम एक अधिवक्ता भी थे। हमारा उनसे संपर्क आईरा संगठन के स्थापना के दौरान हुआ था। यह वह समय था जब कानपुर में छोटे मझोले मीडिया हाउस के पत्रकारों का शोषण होता था। उनको वांछित सम्मान नही मिलता था। हम दोनों ने ही सम्मान की इस लड़ाई को एक साथ लड़ा। लम्बे समय तक हम दोनों ने एक साथ काम किया। किसी भी फैसले के पहले हम दोनों ही एक दुसरे से संपर्क स्थापित करते थे।
विगत वर्षो से कुछ वैचारिक आपसी मतभेद उभर आने के बावजूद भी हम दोनों ही एक दुसरे के संपर्क में रहते थे। अभी पिछले सप्ताह ही हम दोनों की फोन पर काफी लम्बी बातचीत हुई थी। संगठन भले ही मैंने छोड़ दिया था मगर अपने इस फैसले से मैं स्वयं खुश था। वही संगठन में होने वाली गतिविधियों की जानकारी अक्सर पुनीत जी मुझको प्रदान किया करते थे। अक्सर ही एक दुसरे के सुख दुःख का हाल चाल लिया करते थे।
पुनीत जी और मेरा सम्बन्ध एक समालोचक दोस्तों जैसा था। एक दुसरे के लिए उनके कार्यो की एक दुसरे से प्रशंसा के साथ उसकी समालोचना भी हुआ करती थी। आज उनके इस आकस्मिक निधन ने अन्दर तक झकझोर के रख दिया है। एक अच्छा दोस्त खोने का आभास हो रहा है। उनके जाने से कानपुर में पत्रकारिता जगत को एक ऐसी क्षति हुई है जिसकी भरपाई कभी नही हो सकती है। विनम्र श्रधांजलि …….!