पत्रकारों ने सीएम से पूछा, गुजरात भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के पास 5 हज़ार रेमडेसिविर इंजेक्शन कहा से आये, मिला जवाब “उन्ही से पूछे”, तो भास्कर ने दिया ऐसी क्रन्तिकारी हेडिंग जो हो रही सोशल मीडिया पर जमकर वायरल
यश कुमार/आफताब फारुकी
सूरत। गुजरात में कोरोना की दूसरी लहर में कोरोना संक्रमितो की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है। इस दरमियान रेमडेसिविर इंजेक्शन की डिमांड भी काफी बढ़ गई है। चिकित्सको के अनुसार ये इंजेक्शन कोरोना संक्रमितो के लिए संजीवनी के सामान है। मेडिकल स्टोर पर इसको लेने के लिए लम्बी लम्बी लाइन लग रही है। मार्किट में रेमडेसिविर इंजेक्शन शोर्ट हो चूका है। इसी दरमियान रेमडेसिविर इंजेक्शन उस समय सियासी दंगल में आ गया जब भाजपा प्रदेश कार्यालय से ये इंजेक्शन 5000 फ्री में तकसीम होना शुरू हो गए। एक तरफ सरकार का दावा कि ये इंजेक्शन स्टॉक में नही है इसीलिए इसको प्राइवेट अस्पतालों में नही दिया जा रहा है। वही दूसरी तरफ भाजपा प्रदेश कार्यालय से इसके फ्री में बाटे जाने का मुद्दा सियासी हो गया।
गुजरात के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल ने कहा कि 5000 रेमडेसिविर इंजेक्शन कोरोना संक्रमित मरीजों के रिश्तेदारों को फ्री में उपलब्ध करवाए जा रहे है। जिसके बाद से सियासत का पारा गर्म हो गया और सवाल उठाने लगे कि राज्य के लोगो की सेहत को सँभालने और उनका इलाज करवाने के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन मुहैया करवाने की ज़िम्मेदारी सरकार की है या फिर संगठन की। जिस इंजेक्शन की व्यवस्था सरकार नही कर पा रही है वह इंजेक्शन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष फ्री में मुहैया करवा रहे है।
ભારતીય જનતા પાર્ટી સુરત મહાનગરનાં ઉપક્રમે ભાજપ કાર્યાલય ઉધના ખાતેથી આજે રેમડેસિવીરનું વિના મૂલ્યે વિતરણ શરૂ કરાયું.
ઇન્જેક્શન મેળવવા માટે કોરોનાનો રિપોર્ટ અને ડોક્ટરનું પ્રિસ્ક્રીપ્શન સાથે લાવવું જરૂરી છે. pic.twitter.com/DNop5F76Wf
— C R Paatil (@CRPaatil) April 10, 2021
इस मुद्दे पर जब पत्रकारों ने सीधा सवाल प्रदेश के मुख्यमंत्री विजय रुपानी से किया कि सरकार के पास स्टाक की कमी है, लेकिन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल ये इंजेक्शन लोगो को भाजपा दफ्तर से मुफ्त में दे रहे है, तो गुजरात के मुख्यमंत्री ने कहा ये आप उन्ही से पूछे कि वो कहा से लाये इंजेक्शन, सरकार ने एक भी इंजेक्शन सीआर पाटिल को नहीं दिया। इस जवाब के बाद कुछ पत्रकारों ने सीआर पाटिल से भी सवाल किया तो उन्होंने कहा कि “हमने इसे खुद मैनेज किया है। इस रेमडेसिविर इंजेक्शन को मुफ्त में देने की बात सीआर पाटिल ने ट्वीट कर दिया है।
गौरतलब हो कि कोरोना संक्रमित मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्शन लाइफ सेविंग इंजेक्शन के तौर पर लग रहा है। इसको फ़ूड एंड ड्रग्स डिपार्टमेंट कंट्रोल कर रहा है। इसको लेकर काग्रेस ने भी मामले को उठाया और भाजपा पर रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस नेता अर्जुन मोधवाडिया ने पीएम मोदी को ट्वीट कर लिखा कि “पाटिल भाऊ के पास 5000 इंजेक्शन कहा से ये, ये सिर्फ राजनीती ही नही क्रिमिनल एक्ट है।” मामला गर्माते देख फ़ूड एंड ड्रग्स डिपार्टमेंट ने इस मामले में जाँच का फैसला लेटे हुवे कहा है कि वह जाँच करेगा कि आखिर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के पास कैसे इतना रेमडेसिविर इंजेक्शन का स्टोक पंहुचा।
भास्कर ने दिया क्रांतिकारी हैडिंग
इस खबर को सभी मीडिया संस्थानों ने प्रमुखता से उठाया। मगर मामले में सबसे अधिक क्रन्तिकारी खबर भास्कर ने छाप डाला जिसका किसी को अंदाज़ नही था। दिव्य भास्कर ने अपने अख़बार में खबर से एक बार फिर साबित कर दिया कि कलम के नोक का नुख्ता अगर चुभे न तो फिर कलम ही क्या है। दिव्य भास्कर ने इस खबर की हैडिंग ही भाजपा के गुजरात प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल के मोबाइल नम्बर को डाल दिया। अपने अख़बार की कटिंग को ट्वीट करते हुवे गुजरात भास्कर के स्टेट एडिटर ने लिखा कि “लोग इंजेक्शन के लिए घंटों लाइन में लग रहे, लेकिन इंजेक्शन नहीं मिल रहा, फिर भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटील के पास 5000 इंजेक्शन कहां से आए? किसने दिए? कैसे दिए? सरकार जवाब दे। ये नंबर इंजेक्शन के सरकार सीआर पाटील का है! इंजेक्शन के लिए परेशान जनता सीधे इन्हें फोन लगाए और इंजेक्शन मांगे।”
लोग इंजेक्शन के लिए घंटों लाइन में लग रहे, लेकिन इंजेक्शन नहीं मिल रहा, फिर भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटील के पास 5000 इंजेक्शन कहां से आए? किसने दिए? कैसे दिए? सरकार जवाब दे। ये नंबर इंजेक्शन के सरकार सीआर पाटील का है! इंजेक्शन के लिए परेशान जनता सीधे इन्हें फोन लगाए और इंजेक्शन मांगे pic.twitter.com/Qcf5ljgOfv
— Devendra Bhatnagar (@DevendraBhatn10) April 11, 2021
जमकर हो रहा है ट्वीट वायरल
भास्कर के स्टेट एडिटर देवेन्द्र भटनागर ट्वीटर पर वैसे तो बहुत ख़ास चर्चित नही है। उनके 2539 फलोवर है। मगर ये ट्वीट कमाल कर गया। इस ट्वीट को अब तक हज़ार के ऊपर लाइक और 275 रीट्वीट मिल चुके है। इसका स्क्रीन शॉट जमकर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस प्रकार की निर्भीक पत्रकारिता को भूल रहे लोगो को एक बार फिर क्रन्तिकारी पत्रकारिता की याद आ गई।